चमार और वाल्मीकि समुदाय
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चमार और वाल्मीकि समुदाय के बीच अंतर
चमार vs. वाल्मीकि समुदाय
चमार अथवा चर्मकार भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली जाति समूह है। वर्तमान समय में यह जाति अनुसूचित जातियों की श्रेणी में आती है। यह जाति अस्पृश्यता की कुप्रथा का शिकार भी रही है। इस जाति के लोग परंपरागत रूप से चमड़े के व्यवसाय से जुड़े रहे हैं। संपूर्ण भारत में चमार जाति अनुसूचित जातियों में अधिक संख्या में पाई जाने वाली जाति है, जिनका मुख्य व्यवसाय, चमड़े की वस्तु बनाना था । संविधान बनने से पूर्व तक इनकोअछूतों की श्रेणी में रखा जाता था। अंग्रेजों के आने से पहले तक भारत में चमार जाति के लोगों को उपर बहुत यातनाएं तथा जु़ल्म किए गए। आजादी के बाद इनके उपर हो रहे ज़ुल्मों व यातनाओं को रोकने के लिए इनको भारत के संविधान में अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया तथा सभी तरह के ज़ुल्मों तथा यातनाओं को प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके बावजूद भी देश में कुछ जगहों पर इन जातियों तथा अन्य अनुसूचित जातियों के साथ यातनाएं आज भी होती हैं। . वाल्मीकि समुदाय, हिन्दू धर्म के अंतर्गत एक दलित समुदाय है, जो ऋषि वाल्मीकि पर केंद्रित है। वाल्मीकि समुदाय के लोग वाल्मीकि को ईश्वर का अवतार मानते हैं तथा उनके द्वारा रचित रामायण तथा योग वशिष्ठ को पवित्र ग्रन्थ मानते हैं। वाल्मीकि समुदाय के लोग अपने कुलनाम के रूप में नायडू या नायुडू, नाइक, डोरा, दोराबिड्डा तथा वाल्मीकि धारण करते हैं। .
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संदर्भ
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