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चतुष्कोटि और शून्यता

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

चतुष्कोटि और शून्यता के बीच अंतर

चतुष्कोटि vs. शून्यता

चतुष्कोटि (तिब्बती: མུ་བཞི, Wylie: mu bzhi) एक तार्किक कथन है जिसमें चार विविक्त फलन (discrete functions) होते हैं। इसका अनेकों कार्यों के लिये उपयोग किया गया है। भारतीय तर्कशास्त्र की परम्परा में यह बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चतुष्कोटि के अनुसार, कोई कथन निम्नलिखित चार (चतुः) में से कोई एक ही हो सकता है-. शून्यवाद या शून्यता बौद्धों की महायान शाखा माध्यमिक नामक विभाग का मत या सिद्धान्त है जिसमें संसार को शून्य और उसके सब पदार्थों को सत्ताहीन माना जाता है (विज्ञानवाद से भिन्न)। "माध्यमिक न्याय" ने "शून्यवाद" को दार्शनिक सिद्धांत के रूप में अंगीकृत किया है। इसके अनुसार ज्ञेय और ज्ञान दोनों ही कल्पित हैं। पारमार्थिक तत्व एकमात्र "शून्य" ही है। "शून्य" सार, असत्, सदसत् और सदसद्विलक्षण, इन चार कोटियों से अलग है। जगत् इस "शून्य" का ही विवर्त है। विवर्त का मूल है संवृति, जो अविद्या और वासना के नाम से भी अभिहित होती है। इस मत के अनुसार कर्मक्लेशों की निवृत्ति होने पर मनुष्य निर्वाण प्राप्त कर उसी प्रकार शांत हो जाता है जैसे तेल और बत्ती समाप्त होने पर प्रदीप। .

चतुष्कोटि और शून्यता के बीच समानता

चतुष्कोटि और शून्यता आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

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चतुष्कोटि और शून्यता के बीच तुलना

चतुष्कोटि 3 संबंध है और शून्यता 6 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (3 + 6)।

संदर्भ

यह लेख चतुष्कोटि और शून्यता के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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