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घना पक्षी अभयारण्य और भरतपुर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

घना पक्षी अभयारण्य और भरतपुर के बीच अंतर

घना पक्षी अभयारण्य vs. भरतपुर

पौराणिक ब्रज क्षेत्र के एक भाग भरतपुर में केवलादेव (महादेव) मंदिर की अवस्थिति के कारण केवलादेव या घना कहा जाने वाला यह असाधारण रूप से विलक्षण राष्ट्रीय उद्यान वर्ष १९८५ से यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है। इस उद्यान का क्षेत्रफल २.८७३ हेक्टेयर है। सर्दी की ऋतु में सेंकडों वर्षों से करीब ३६५ प्रजातियों के प्रवासी पक्षी अफगानिस्तान, तुर्की, चीन और सुदूर साइबेरिया तक से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर के घना पहुँचते आये हैं, इसका उल्लेख मुग़ल सम्राट बाबर(February 23 1483 — जनवरी 5 1531) के ग्रन्थ बाबरनामा में भी आता है। दुर्भाग्य से अनेक कारणों से अब इस राष्ट्रीय पार्क में पिछले कुछ सालों में साइबेरियन क्रेन की यात्राएं और प्रवास दुर्लभ हो चले हैं। गोल्डनबैक्ड वूड्पेकर: छाया: हे.शे. महान पक्षीविज्ञानी सालिम अली के अनुसार पक्षियों का यह अंतर्राष्ट्रीय प्रवास, एक अनसुलझी गुत्थी,'एक रहस्य' है। शीतकाल में पक्षी विशेषज्ञों और पर्यावरण प्रेमियों के लिए ये जगह एक तरह से स्वर्ग बन जाती है, जब लगभग २३० से ज्यादा स्थानीय प्रजातियों के अलावा विदेशी परिंदे, जिनमें साइबेरियन क्रेन सर्वाधिक उल्लेखनीय हैं, यहां निर्द्वन्द्व दाना चुगते, घोंसले बनाते, प्रजनन करते देखे जा सकते हैं। . भरतपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है। 29 वर्ग कि॰मी॰ में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। विश्‍व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है। भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना जाट शासक राजा सूरजमल ने की थी और यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व किले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं इसका नामकरण राम के भाई भरत के नाम पर किया गया है। लक्ष्मण इस राज परिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगडिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली .

घना पक्षी अभयारण्य और भरतपुर के बीच समानता

घना पक्षी अभयारण्य और भरतपुर आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): महाराजा सूरज मल

महाराजा सूरज मल

महाराजा सूरजमल (१७०७-१७६३) भरतपुर राज्य के दूरदर्शी हरयाणा में 'दांगी' भी उन्हीं की शाखा है। मराठों के पतन के बाद महाराजा सूरजमल ने गाजियाबाद, रोहतक, झज्जर के इलाके भी जीते। 1763 में फरुखनगर पर भी कब्जा किया। वीरों की सेज युद्धभूमि ही है। 25 दिसम्बर 1763 को नवाब नजीबुदौला के साथ युद्ध में महाराज सूरजमल वीरगति को प्राप्त हुए। .

घना पक्षी अभयारण्य और महाराजा सूरज मल · भरतपुर और महाराजा सूरज मल · और देखें »

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घना पक्षी अभयारण्य और भरतपुर के बीच तुलना

घना पक्षी अभयारण्य 10 संबंध है और भरतपुर 42 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.92% है = 1 / (10 + 42)।

संदर्भ

यह लेख घना पक्षी अभयारण्य और भरतपुर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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