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ग्लीसरीन और होम्योपैथी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ग्लीसरीन और होम्योपैथी के बीच अंतर

ग्लीसरीन vs. होम्योपैथी

ग्लिसरिन या ग्लीसरॉल (glycerin or glycerine or Glycerol / C H2 O H. C H O H C H2 O H) एक कार्बनिक यौगिक है। यह तेल और वसा में पाया जाता है। यह रंगहीन, गंधहीन एवं श्यान द्रव है जिसका प्रयोग औषधि निर्माण में बहुतायत से होता है। ग्लिसरॉल में तीन जलप्रेमी (hydrophilic) हाइडॉक्सिल समूह होते हैं जो इसकी जल में विलेयता के लिये उत्तरदायी हैं तथा इन्हीं हाइड्रॉक्सिल समूहों के कारण ही यह यह नमी-शोषक (hygroscopic) होता है। ग्लिसरॉल बहुत से लिपिड्स का मुख्य घटक है। यह स्वाद में मीठा-मीठा एवं कम विषाक्तता (toxicity) वाला होता है। . thumb होम्योपैथी, एक चिकित्सा पद्धति है। होम्‍योपैथी चिकित्‍सा विज्ञान के जन्‍मदाता डॉ॰ क्रिश्चियन फ्राइडरिक सैम्यूल हानेमान है। यह चिकित्सा के 'समरूपता के सिंद्धात' पर आधारित है जिसके अनुसार औषधियाँ उन रोगों से मिलते जुलते रोग दूर कर सकती हैं, जिन्हें वे उत्पन्न कर सकती हैं। औषधि की रोगहर शक्ति जिससे उत्पन्न हो सकने वाले लक्षणों पर निर्भर है। जिन्हें रोग के लक्षणों के समान किंतु उनसे प्रबल होना चाहिए। अत: रोग अत्यंत निश्चयपूर्वक, जड़ से, अविलंब और सदा के लिए नष्ट और समाप्त उसी औषधि से हो सकता है जो मानव शरीर में, रोग के लक्षणों से प्रबल और लक्षणों से अत्यंत मिलते जुलते सभी लक्षण उत्पन्न कर सके। होमियोपैथी पद्धति में चिकित्सक का मुख्य कार्य रोगी द्वारा बताए गए जीवन-इतिहास एवं रोगलक्षणों को सुनकर उसी प्रकार के लक्षणों को उत्पन्न करनेवाली औषधि का चुनाव करना है। रोग लक्षण एवं औषधि लक्षण में जितनी ही अधिक समानता होगी रोगी के स्वस्थ होने की संभावना भी उतनी ही अधिक रहती है। चिकित्सक का अनुभव उसका सबसे बड़ा सहायक होता है। पुराने और कठिन रोग की चिकित्सा के लिए रोगी और चिकित्सक दोनों के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है। कुछ होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति के समर्थकों का मत है कि रोग का कारण शरीर में शोराविष की वृद्धि है। होमियोपैथी चिकित्सकों की धारणा है कि प्रत्येक जीवित प्राणी हमें इंद्रियों के क्रियाशील आदर्श (Êfunctional norm) को बनाए रखने की प्रवृत्ति होती है औरे जब यह क्रियाशील आदर्श विकृत होता है, तब प्राणी में इस आदर्श को प्राप्त करने के लिए अनेक प्रतिक्रियाएँ होती हैं। प्राणी को औषधि द्वारा केवल उसके प्रयास में सहायता मिलती है। औषधि अल्प मात्रा में देनी चाहिए, क्योंकि बीमारी में रोगी अतिसंवेगी होता है। औषधि की अल्प मात्रा प्रभावकारी होती है जिससे केवल एक ही प्रभाव प्रकट होता है और कोई दुशपरिणाम नहीं होते। रुग्णावस्था में ऊतकों की रूपांतरित संग्राहकता के कारण यह एकावस्था (monophasic) प्रभाव स्वास्थ्य के पुन: स्थापन में विनियमित हो जाता है। विद्वान होम्योपैथी को छद्म विज्ञान मानते हैं। .

ग्लीसरीन और होम्योपैथी के बीच समानता

ग्लीसरीन और होम्योपैथी आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

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ग्लीसरीन और होम्योपैथी के बीच तुलना

ग्लीसरीन 16 संबंध है और होम्योपैथी 15 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (16 + 15)।

संदर्भ

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