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गौरी (बहुविकल्पी) और मोहम्मद ग़ोरी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गौरी (बहुविकल्पी) और मोहम्मद ग़ोरी के बीच अंतर

गौरी (बहुविकल्पी) vs. मोहम्मद ग़ोरी

गौरी शब्द का तात्पर्य निम्न में से किसी से हो सकता है. सोहावा झेलम, पाकिस्तान में मोहम्मद ग़ौरी का मकबरा शहाब-उद-दीन मुहम्मद ग़ोरी १२वीं शताब्दी का अफ़ग़ान सेनापति था जो १२०२ ई. में ग़ोरी साम्राज्य का शासक बना। सेनापति की क्षमता में उसने अपने भाई ग़ियास-उद-दीन ग़ोरी (जो उस समय सुल्तान था) के लिए भारतीय उपमहाद्वीप पर ग़ोरी साम्राज्य का बहुत विस्तार किया और उसका पहला आक्रमण मुल्तान (११७५ ई.) पर था। पाटन (गुजरात) के शासक भीम द्वितीय पर मोहम्मद ग़ौरी ने ११७८ ई. में आक्रमण किया किन्तु मोहम्मद ग़ौरी बुरी तरह पराजित हुआ। मोहम्मद ग़ोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच तराईन के मैदान में दो युद्ध हुए। ११९१ ई. में हुए तराईन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की विजय हुई किन्तु अगले ही वर्ष ११९२ ई. में पृथ्वीराज चौहान को तराईन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद ग़ोरी ने बुरी तरह पराजित किया। मोहम्मद ग़ोरी ने चंदावर के युद्ध (११९४ ई.) में दिल्ली के गहड़वाल वंश के शासक जयचंद को पराजित किया। मोहम्मद ग़ौरी ने भारत में विजित साम्राज्य का अपने सेनापतियों को सौप दिया और वह गज़नी चला गया। बाद में गोरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम राजवंश की नीव डाली। .

गौरी (बहुविकल्पी) और मोहम्मद ग़ोरी के बीच समानता

गौरी (बहुविकल्पी) और मोहम्मद ग़ोरी आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मोहम्मद ग़ोरी, ग़ोरी राजवंश

मोहम्मद ग़ोरी

सोहावा झेलम, पाकिस्तान में मोहम्मद ग़ौरी का मकबरा शहाब-उद-दीन मुहम्मद ग़ोरी १२वीं शताब्दी का अफ़ग़ान सेनापति था जो १२०२ ई. में ग़ोरी साम्राज्य का शासक बना। सेनापति की क्षमता में उसने अपने भाई ग़ियास-उद-दीन ग़ोरी (जो उस समय सुल्तान था) के लिए भारतीय उपमहाद्वीप पर ग़ोरी साम्राज्य का बहुत विस्तार किया और उसका पहला आक्रमण मुल्तान (११७५ ई.) पर था। पाटन (गुजरात) के शासक भीम द्वितीय पर मोहम्मद ग़ौरी ने ११७८ ई. में आक्रमण किया किन्तु मोहम्मद ग़ौरी बुरी तरह पराजित हुआ। मोहम्मद ग़ोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच तराईन के मैदान में दो युद्ध हुए। ११९१ ई. में हुए तराईन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की विजय हुई किन्तु अगले ही वर्ष ११९२ ई. में पृथ्वीराज चौहान को तराईन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद ग़ोरी ने बुरी तरह पराजित किया। मोहम्मद ग़ोरी ने चंदावर के युद्ध (११९४ ई.) में दिल्ली के गहड़वाल वंश के शासक जयचंद को पराजित किया। मोहम्मद ग़ौरी ने भारत में विजित साम्राज्य का अपने सेनापतियों को सौप दिया और वह गज़नी चला गया। बाद में गोरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम राजवंश की नीव डाली। .

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ग़ोरी राजवंश

ग़ोरी राजवंश या ग़ोरी सिलसिला (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Ghurids), जो अपने-आप को शनसबानी राजवंश (Shansabānī) बुलाया करते थे, एक मध्यकालीन राजवंश था जिसने ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिमोत्तर भारत (दिल्ली तक), ख़ुरासान और आधुनिक पश्चिमी चीन के शिनजियांग क्षेत्र के कई भागों पर ११४८-१२१५ ईसवी काल में राज किया। यह राजवंश ग़ज़नवी राजवंश के पतन के बाद उठा था। यह राजवंश अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रान्त में केन्द्रित था और इतिहासकारों का मानना है कि इसका राजपरिवार ताजिक मूल का था। ग़ोरी राजवंश की सर्वप्रथम राजधानी ग़ोर प्रान्त का फ़िरोज़कोह शहर था लेकिन बाद में हेरात बन गया। इसके अलावा ग़ज़नी और लाहौर को भी राजधानियों की तरह इस्तेमाल किया जाता था, विशेषकर सर्दियों में। दिल्ली का प्रसिद्द क़ुतुब मीनार इसी वंश के क़ुतुब-उद-दीन ऐबक का बनवाया हुआ है, जिसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना भी की।, Nicholas Ostler, pp.

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गौरी (बहुविकल्पी) और मोहम्मद ग़ोरी के बीच तुलना

गौरी (बहुविकल्पी) 9 संबंध है और मोहम्मद ग़ोरी 19 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 7.14% है = 2 / (9 + 19)।

संदर्भ

यह लेख गौरी (बहुविकल्पी) और मोहम्मद ग़ोरी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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