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गोरखनाथ और नाथ सम्प्रदाय

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गोरखनाथ और नाथ सम्प्रदाय के बीच अंतर

गोरखनाथ vs. नाथ सम्प्रदाय

गोरखनाथ या गोरक्षनाथ जी महाराज प्रथम शताब्दी के पूर्व नाथ योगी के थे (प्रमाण भी हे राजा विक्रमादित्य के द्वारा बनाया गया पञ्चाङ्ग जिन्होंने विक्रम संवत की सुरुआत प्रथम सताब्दी से की थी जब कि गुरु गोरक्ष नाथ जी राजा भरथरी एवं इनके छोटे भाई राजा विक्रमादित्य के समय मे थे) गुरु गोरखनाथ जी ने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेकों ग्रन्थों की रचना की। गोरखनाथ जी का मन्दिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर में स्थित है। गोरखनाथ के नाम पर इस जिले का नाम गोरखपुर पड़ा है। गुरु गोरखनाथ जी के नाम से ही नेपाल के गोरखाओं ने नाम पाया। नेपाल में एक जिला है गोरखा, उस जिले का नाम गोरखा भी इन्ही के नाम से पड़ा। माना जाता है कि गुरु गोरखनाथ सबसे पहले यहीं दिखे थे। गोरखा जिला में एक गुफा है जहाँ गोरखनाथ का पग चिन्ह है और उनकी एक मूर्ति भी है। यहाँ हर साल वैशाख पूर्णिमा को एक उत्सव मनाया जाता है जिसे 'रोट महोत्सव' कहते हैं और यहाँ मेला भी लगता है। . नवनाथ नाथ संप्रदाय उत्तर-पश्चिमी भारत का एक धार्मिक पंथ है। इसके आराध्य शिव हैं। यह हठ योग की साधना पद्धती पर आधारित पंथ है। इसके संस्थापक गोरखनाथ माने जाते हैं। गोरखनाथ ने इस सम्प्रदाय के बिखराव और इस सम्प्रदाय की योग विद्याओं का एकत्रीकरण किया। .

गोरखनाथ और नाथ सम्प्रदाय के बीच समानता

गोरखनाथ और नाथ सम्प्रदाय आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मत्स्येंद्रनाथ, योग

मत्स्येंद्रनाथ

मत्सेन्द्रनाथ मत्स्येंद्रनाथ अथवा मचिन्द्रनाथ ८४ महासिद्धों (बौद्ध धर्म के वज्रयान शाखा के योगी) में से एक थे। वो गोरखनाथ के गुरु थे जिनके साथ उन्होंने हठयोग विद्यालय की स्थापना की। उन्हें संस्कृत में हठयोग की प्रारम्भिक रचनाओं में से एक कौलजणाननिर्णय (कौल परंपरा से संबंधित ज्ञान की चर्चा) के लेखक माना जाता है। वो हिन्दू और बौद्ध दोनों ही समुदायों में प्रतिष्ठित हैं। मचिन्द्रनाथ को नाथ प्रथा के संस्थापक भी माना जाता है।मचिन्द्रनाथ को उनके सार्वभौम शिक्षण के लिए "विश्वयोगी" भी कहा जाता है। .

गोरखनाथ और मत्स्येंद्रनाथ · नाथ सम्प्रदाय और मत्स्येंद्रनाथ · और देखें »

योग

पद्मासन मुद्रा में यौगिक ध्यानस्थ शिव-मूर्ति योग भारत और नेपाल में एक आध्यात्मिक प्रकिया को कहते हैं जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। यह शब्द, प्रक्रिया और धारणा बौद्ध धर्म,जैन धर्म और हिंदू धर्म में ध्यान प्रक्रिया से सम्बंधित है। योग शब्द भारत से बौद्ध धर्म के साथ चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्री लंका में भी फैल गया है और इस समय सारे सभ्य जगत्‌ में लोग इससे परिचित हैं। इतनी प्रसिद्धि के बाद पहली बार ११ दिसंबर २०१४ को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष २१ जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी है। भगवद्गीता प्रतिष्ठित ग्रंथ माना जाता है। उसमें योग शब्द का कई बार प्रयोग हुआ है, कभी अकेले और कभी सविशेषण, जैसे बुद्धियोग, संन्यासयोग, कर्मयोग। वेदोत्तर काल में भक्तियोग और हठयोग नाम भी प्रचलित हो गए हैं पतंजलि योगदर्शन में क्रियायोग शब्द देखने में आता है। पाशुपत योग और माहेश्वर योग जैसे शब्दों के भी प्रसंग मिलते है। इन सब स्थलों में योग शब्द के जो अर्थ हैं वह एक दूसरे के विरोधी हैं परंतु इस प्रकार के विभिन्न प्रयोगों को देखने से यह तो स्पष्ट हो जाता है, कि योग की परिभाषा करना कठिन कार्य है। परिभाषा ऐसी होनी चाहिए जो अव्याप्ति और अतिव्याप्ति दोषों से मुक्त हो, योग शब्द के वाच्यार्थ का ऐसा लक्षण बतला सके जो प्रत्येक प्रसंग के लिये उपयुक्त हो और योग के सिवाय किसी अन्य वस्तु के लिये उपयुक्त न हो। .

गोरखनाथ और योग · नाथ सम्प्रदाय और योग · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

गोरखनाथ और नाथ सम्प्रदाय के बीच तुलना

गोरखनाथ 22 संबंध है और नाथ सम्प्रदाय 10 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 6.25% है = 2 / (22 + 10)।

संदर्भ

यह लेख गोरखनाथ और नाथ सम्प्रदाय के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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