5 संबंधों: पल्लव राजवंश, प्रदक्षिणा, शिखर, स्तूप, विमान।
पल्लव राजवंश
पल्लव राजवंश प्राचीन दक्षिण भारत का एक राजवंश था। चौथी शताब्दी में इसने कांचीपुरम में राज्य स्थापित किया और लगभग ६०० वर्ष तमिल और तेलुगु क्षेत्र में राज्य किया। बोधिधर्म इसी राजवंश का था जिसने ध्यान योग को चीन में फैलाया। यह राजा अपने आप को क्षत्रिय मानते थे। .
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प्रदक्षिणा
इष्टदेव की मूर्ति (या कहीं-कहीं देवायतन) के चारों ओर वृत्ताकार इस प्रकार घूमना जिसमें देव या मंदिर अपने दक्षिण भाग में रहे, प्रदक्षिणा कहलाता है। यह प्रदक्षिणा (नमस्कार के साथ) एक 'उपचार' (षोडश उपचारों में अन्यतम) माना जाता है, ऐसा बहुतों का मत है। प्रदक्षिणा के अंत में प्रणाम अवश्य करना चाहिये, बहुतों का मत है। किसी-किसी ग्रंथ में प्रदक्षिणा के विशेष नियम उपलब्ध होते है; विश्वासरतंत्र में कहा गया है कि हाथ में शंख लेकर देवता की प्रदक्षिणा करनी चाहिए। नमस्कार के साथ प्रदक्षिणा के विभिन्न रूप कहे गए हैं, जैसे, शिवप्रणाम में अर्धचंद्राकार प्रदक्षिणा कर नमस्कार करना चाहिए। देवविशेष के अनुसार प्रदक्षिणा की संख्या में भी भेद होते हैं। चंडी के लिये एक, सूर्य के लिये सात प्रदक्षिणाएँ विहित हैं। पदक्षिणा का यह नियम अधिक प्रचलित है कि गणेश के लिये एक बार, सूर्य के लिये दो बार, शिव के लिये तीन बार, विष्णु के लिये चार बार और अश्वत्थ वृक्ष के लिये सात बार प्रदक्षिणा करनी चाहिए। यह प्रदक्षिणा पूजा का एक अंग है, अत: भक्तिभाव से ही इसका अनुष्ठान होना चाहिए। .
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शिखर
खजुराहो के मंदिर का '''शिखर''' कोणार्क के सूर्य मंदिर का प्लान (सामने से दृश्य) संस्कृत में शिखर का शाब्दिक अर्थ 'पर्वत की चोटी' है किन्तु भारतीय वास्तुशास्त्र में उत्तर भारतीय मंदिरों के गर्भगृह के ऊपर पिरामिड आकार की संरचना को शिखर कहते हैं। दक्षिण भारत में इसी को 'विमानम्' कहते हैं। .
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स्तूप
अशोक महान द्वारा बनवाया गया महान साँची का स्तूप, भारत सारनाथ का धमेक स्तूप, उत्तरपूर्वी भारत मे स्थित सबसे पुराना स्तूप है। स्तूप (संस्कृत और पालि: से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ "ढेर" होता है) एक गोल टीले के आकार की संरचना है जिसका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिए किया जाता है। माना जाता है कभी यह बौद्ध प्रार्थना स्थल होते थे। महापरिनर्वाण सूत्र में महात्मा बुद्ध अपने शिष्य आनन्द से कहते हैं- "मेरी मृत्यु के अनन्तर मेरे अवशेषों पर उसी प्रकार का स्तूप बनाया जाये जिस प्रकार चक्रवर्ती राजाओं के अवशेषों पर बनते हैं- (दीघनिकाय- १४/५/११)। स्तूप समाधि, अवशेषों अथवा चिता पर स्मृति स्वरूप निर्मित किया गया, अर्द्धाकार टीला होता था। इसी स्तूप को चैत्य भी कहा गया है। स्तूप मंडल का पुरातन रूप हैं। .
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विमान
विमान शब्द भारतीय साहित्य (मुख्यतः वेद, रामायण, महाभारत एवं जैन साहित्य में) में एक उड़ाने वाली युक्ति को इंगित करता है। कहीं-कहीं पर यह 'मंदिर', 'स्थान' आदि का भी अर्थ रखता है। समरांगणसूत्रधार तथा वैमानिक शास्त्र आदि कई ग्रन्थों में इनका विशद तकनीकी वर्णन भी मिलता है। .
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