गृहयुद्ध और पोलियोमेलाइटिस
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गृहयुद्ध और पोलियोमेलाइटिस के बीच अंतर
गृहयुद्ध vs. पोलियोमेलाइटिस
स्पेनी गृहयुद्ध के दौरान दो सैनिक अपने ज़ख़्मी साथी को ले जाते हुए श्रीलंका के गृहयुद्ध के दौरान कुछ लोग जो अपने घर या सम्बन्धी खो बैठे गृहयुद्ध एक ही राष्ट्र के अन्दर संगठित गुटों के बीच में होने वाले युद्ध को कहते हैं। कभी-कभी गृह युद्ध ऐसे भी दो देशों के युद्ध को कहा जाता है जो कभी एक ही देश के भाग रहे हों। गृहयुद्ध में लड़ने वाले गिरोहों के ध्येय भिन्न प्रकार के होते हैं। कुछ पूरे देश पर नियंत्रण पाकर अपनी मनचाही व्यवस्था लागू करना चाहते हैं, कुछ देश की सरकारी नीतियाँ बदलना चाहते हैं और कुछ देश को विभाजित करके अपने क्षेत्र को स्वतन्त्र बनाना चाहते हैं। गृहयुद्धों अक्सर बहुत घातक होते हैं - लाखों मर सकते हैं, करोड़ों बेघर हो सकते हैं, देश में दशकों तक चलने वाली भयंकर ग़रीबी और भुखमरी फैल सकती है और देश का उद्योग लम्बे अरसे के लिए चौपट हो सकता है। बर्मा, अंगोला और अफ़्ग़ानिस्तान ऐसे देश हैं जिनका भविष्य कभी बहुत उज्वल माना जाता था लेकिन गृहयुद्ध की चपेट में आने से यह दुनिया के सबसे पिछड़े और असुरक्षित देशों में गिने जाने लगे। गृहयुद्धों के दौरान अक्सर विदेशी ताक़तें भी देश को कमज़ोर पाकर उसमें हस्तक्षेप करने लगती हैं, जैसा की १९७५-१९९० तक चलने वाले लेबनान के गृहयुद्ध में हुआ।, Marie Olson Lounsbery, Frederic Pearson, University of Toronto Press, 2009, ISBN 978-0-8020-9672-2 . बहुतृषा, जिसे अक्सर पोलियो या 'पोलियोमेलाइटिस' भी कहा जाता है एक विषाणु जनित भीषण संक्रामक रोग है जो आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति मे संक्रमित विष्ठा या खाने के माध्यम से फैलता है। इसे 'बालसंस्तंभ' (Infantile Paralysis), 'बालपक्षाघात', बहुतृषा (Poliomyelitis) तथा 'बहुतृषा एंसेफ़लाइटिस' (Polioencephalitis) भी कहते हैं। यह एक उग्र स्वरूप का बच्चों में होनेवाला रोग है, जिसमें मेरुरज्जु (spinal cord) के अष्टश्रृंग (anterior horn) तथा उसके अंदर स्थित धूसर वस्तु में अपभ्रंशन (degenaration) हो जाता है और इसके कारण चालकपक्षाघात (motor paralysis) हो जाता है। पोलियो शब्द यूनानी भाषा के पोलियो (πολίός) और मीलोन (μυελός) से व्युत्पन्न है जिनका अर्थ क्रमश: स्लेटी (ग्रे) और "मेरुरज्जु" होता है साथ मे जुड़ा आइटिस का अर्थ शोथ होता है तीनो को मिला देने से बहुतृषा या पोलियोमेरुरज्जुशोथ बनता है। बहुतृषा संक्रमण के लगभग 90% मामलों में कोई लक्षण नहीं होते यद्यपि, अगर यह विषाणु व्यक्ति के रक्त प्रवाह में प्रवेश कर ले तो संक्रमित व्यक्ति मे लक्षणों की एक पूरी श्रृंखला दिख सकती है। 1% से भी कम मामलों में विषाणु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में प्रवेश कर जाता है और सबसे पहले मोटर स्नायु (न्यूरॉन्स) को संक्रमित और नष्ट करता है जिसके कारण मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और व्यक्ति को तीव्र पक्षाघात हो जाता है। पक्षाघात के विभिन्न प्रकार इस पर निर्भर करते हैं कि इसमे कौन सी तंत्रिकायें शामिल हैं। मेरुरज्जु का बहुतृषा का सबसे आम रूप है, जिसकी विशेषता असममित पक्षाघात होता है जिसमे अक्सर पैर प्रभावित होते हैं। बुलबर बहुतृषा से कपालीय तंत्रिकाओं (cranial nerves) द्वारा स्फूर्तित मांसपेशियों मे कमजोरी आ जाती है। बुलबोस्पाइनल बहुतृषा बुलबर और स्पाइनल (मेरुरज्जु) के पक्षाघात का सम्मिलित रूप है। बहुतृषा को सबसे पहले 1840 में जैकब हाइन ने एक विशिष्ट परिस्थिति के रूप में पहचाना, पर 1908 में कार्ल लैंडस्टीनर द्वारा इसके कारणात्मक एजेंट, पोलियोविषाणु की पहचान की गई थी। हालांकि 19 वीं सदी से पहले लोग बहुतृषा के एक प्रमुख महामारी के रूप से अनजान थे, लेकिन 20 वीं सदी मे बहुतृषा बचपन की सबसे भयावह बीमारी बन के उभरा। बहुतृषा की महामारी ने हजारों लोगों को अपंग कर दिया जिनमे अधिकतर छोटे बच्चे थे और यह रोग मानव इतिहास मे घटित सबसे अधिक पक्षाघात और मृत्युओं का कारण बना। बहुतृषा हजारों वर्षों से चुपचाप एक स्थानिकमारी वाले रोगज़नक़ के रूप में मौजूद था, पर 1880 के दशक मे यह एक बड़ी महामारी के रूप मे यूरोप में उदित हुआ और इसके के तुरंत बाद, यह एक व्यापक महामारी के रूप मे अमेरिका में भी फैल गया। 1910 तक, ज्यादातर दुनिया के हिस्से इसकी चपेट मे आ गये थे और दुनिया भर मे इसके शिकारों मे एक नाटकीय वृद्धि दर्ज की गयी थी; विशेषकर शहरों में गर्मी के महीनों के दौरान यह एक नियमित घटना बन गया। यह महामारी, जिसने हज़ारों बच्चों और बड़ों को अपाहिज बना दिया था, इसके टीके के विकास की दिशा में प्रेरणास्रोत बनी। जोनास सॉल्क के 1952 और अल्बर्ट साबिन के 1962 मे विकसित बहुतृषा के टीकों के कारण विश्व में बहुतृषा के मरीजों मे बड़ी कमी दर्ज की गयी। विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और रोटरी इंटरनेशनल के नेतृत्व मे बढ़े टीकाकरण प्रयासों से इस रोग का वैश्विक उन्मूलन अब निकट ही है। .
गृहयुद्ध और पोलियोमेलाइटिस के बीच समानता
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