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गुर्जर प्रतिहार राजवंश और ललितपुर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गुर्जर प्रतिहार राजवंश और ललितपुर के बीच अंतर

गुर्जर प्रतिहार राजवंश vs. ललितपुर

प्रतिहार वंश मध्यकाल के दौरान मध्य-उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में राज्य करने वाला राजवंश था, जिसकी स्थापना नागभट्ट नामक एक सामन्त ने ७२५ ई॰ में की थी। इस राजवंश के लोग स्वयं को राम के अनुज लक्ष्मण के वंशज मानते थे, जिसने अपने भाई राम को एक विशेष अवसर पर प्रतिहार की भाँति सेवा की। इस राजवंश की उत्पत्ति, प्राचीन कालीन ग्वालियर प्रशस्ति अभिलेख से ज्ञात होती है। अपने स्वर्णकाल में साम्राज्य पश्चिम में सतुलज नदी से उत्तर में हिमालय की तराई और पुर्व में बगांल असम से दक्षिण में सौराष्ट्र और नर्मदा नदी तक फैला हुआ था। सम्राट मिहिर भोज, इस राजवंश का सबसे प्रतापी और महान राजा थे। अरब लेखकों ने मिहिरभोज के काल को सम्पन्न काल बताते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि गुर्जर प्रतिहार राजवंश ने भारत को अरब हमलों से लगभग ३०० वर्षों तक बचाये रखा था, इसलिए गुर्जर प्रतिहार (रक्षक) नाम पड़ा। गुर्जर प्रतिहारों ने उत्तर भारत में जो साम्राज्य बनाया, वह विस्तार में हर्षवर्धन के साम्राज्य से भी बड़ा और अधिक संगठित था। देश के राजनैतिक एकीकरण करके, शांति, समृद्धि और संस्कृति, साहित्य और कला आदि में वृद्धि तथा प्रगति का वातावरण तैयार करने का श्रेय प्रतिहारों को ही जाता हैं। गुर्जर प्रतिहारकालीन मंदिरो की विशेषता और मूर्तियों की कारीगरी से उस समय की प्रतिहार शैली की संपन्नता का बोध होता है। . ललितपुर उत्तर प्रदेश राज्य प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध एक शहर है। यह ललितपुर जिला का मुख्यालय है। यह उत्तर में झांसी, दक्षिण में सागर, पूर्व में मघ्‍यप्रदेश के टिकमगढ़, छतरपुर एवं शिवपुरी तथा पश्‍िचम गुना से सटा हुआ है। बेतवा, धसन और जमनी यहां की प्रमुख नदियां है। यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में देवगढ़, नीलकंठेश्‍ववर त्रिमूर्ति, रंछोरजी, माताटीला बांध और महावीर स्वामी अभ्यारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस जिले की स्थापना सत्रहवीं शताब्दी में बुंदेल राजपूत द्वारा की गई थी। 1891 से 1974 ई. तक ललितपुर जिला झांसी जिले का ही एक हिस्सा था। .

गुर्जर प्रतिहार राजवंश और ललितपुर के बीच समानता

गुर्जर प्रतिहार राजवंश और ललितपुर आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): चन्देल

चन्देल

खजुराहो का कंदरीय महादेव मंदिर चन्देल वंश मध्यकालीन भारत का प्रसिद्ध राजवंश, जिसने 08वीं से 12वीं शताब्दी तक स्वतंत्र रूप से यमुना और नर्मदा के बीच, बुंदेलखंड तथा उत्तर प्रदेश के दक्षिणी-पश्चिमी भाग पर राज किया। चंदेल वंश के शासकों का बुंदेलखंड के इतिहास में विशेष योगदान रहा है। उन्‍होंने लगभग चार शताब्दियों तक बुंदेलखंड पर शासन किया। चन्देल शासक न केवल महान विजेता तथा सफल शासक थे, अपितु कला के प्रसार तथा संरक्षण में भी उनका महत्‍वपूर्ण योगदान रहा। चंदेलों का शासनकाल आमतौर पर बुंदेलखंड के शांति और समृद्धि के काल के रूप में याद किया जाता है। चंदेलकालीन स्‍थापत्‍य कला ने समूचे विश्‍व को प्रभावित किया उस दौरान वास्तुकला तथा मूर्तिकला अपने उत्‍कर्ष पर थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं खजुराहो के मंदिर। .

गुर्जर प्रतिहार राजवंश और चन्देल · चन्देल और ललितपुर · और देखें »

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गुर्जर प्रतिहार राजवंश और ललितपुर के बीच तुलना

गुर्जर प्रतिहार राजवंश 95 संबंध है और ललितपुर 5 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.00% है = 1 / (95 + 5)।

संदर्भ

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