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गामा फलन

सूची गामा फलन

कुछ वास्तविक मानों के लिये गामा फलन का ग्राफ गणित में गामा फलन (gamma function) वास्तव में फैक्टोरियल फलन का ही व्यापक या विस्तारित रूप है। इसे ग्रीक वर्ण 'कैपिटल गामा' (Γ) द्वारा निरूपित करते हैं। यदि n धनात्मक पूर्णांक हो तो: गामा फलन शून्य तथा ऋणात्मक पूर्णांकों को छोड़कर शेष सभी समिश्र संख्याओं के लिये परिभाषित है। इसे निम्नलिखित इम्प्रॉपर समाकल (improper integral) के रूप में परिभाषित किया गया है- इस समाकल का मान केवल धनात्मक वास्तविक भाग वाले समिश्र संख्याओं के लिये ही अभिसरित (converge) होता है। गामा फलन अनेकों प्रायिकता-वितरण फलनों (probability-distribution functions) में आता है। यह प्रायिकता, सांख्यिकी और क्रमचय-संचय में उपयोग में आता है। .

7 संबंधों: प्रायिकता, बेसल फलन, बीटा फलन, समिश्र संख्या, सांख्यिकी, गणित, क्रमचय-संचय

प्रायिकता

किसी घटना के होने की सम्भावना (likelihood or chance) को प्रायिकता या संभाव्यता (Probability) कहते हैं। सांख्यिकी, गणित, विज्ञान, दर्शनशास्त्र आदि क्षेत्रों में इसका बहुतायत से प्रयोग होता है। .

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बेसल फलन

बेसल के अवकल समीकरण के विहित हलों (canonical solutions) को बेसल फलन (Bessel function) कहते हैं। बेसल के अवकल समीकरण का सामान्य रूप नीचे दिया गया है- इसमें α (जिसे बेसल फलन का 'आर्डर' कहते हैं) कोई वास्तविक या समिश्र संख्या है। सबसे आम और महत्वपूर्ण स्थितियाँ α के पूर्णांक अथवा अर्ध पूर्णांक मानों के लिये आती हैं। इन फलनों की परिभाषा सर्वप्रथम बर्नौली (Daniel Bernoulli) ने की थी और बाद में बेसल (Friedrich Bessel) ने इनका सामान्यीकरण किया। बेसल फलनों को बेलन फलन (cylinder functions) या 'बेलन सन्नादी' (cylindrical harmonics) भी कहते हैं क्योंकि ये लाप्लास समीकरण को बेलनी निर्देशांक प्रणाली में बदलकर हल करने से प्राप्त होते हैं। .

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बीटा फलन

गणित में बीटा फलन (beta function) एक विशेष फलन है जो निम्नलिखित तरीके से परिभाषित किया गया है- \! \textrm(x) \, के लिये, \textrm(y) > 0.\, इसे 'प्रथम प्रकार का ऑयलर समाकल' (Euler integral of the first kind) भी कहते हैं। बीटा फलन का अध्ययन ऑयलर (Leonhard Euler) और लाग्रेंज (Adrien-Marie Legendre) ने किया था। बिटा फलन के लिये प्रतीक Β का प्रयोग किया जाता है। ध्यान दें कि यह ग्रीक वर्ण 'बीटा' β का कैपिटल रूप है न कि लैटिन अल्फाबेट b का कैपिटल रूप (अर्थात B).

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समिश्र संख्या

किसी समिश्र संख्या का अर्गेन्ड आरेख पर प्रदर्शन गणित में समिश्र संख्याएँ (complex number) वास्तविक संख्याओं का विस्तार है। किसी वास्तविक संख्या में एक काल्पनिक भाग जोड़ देने से समिश्र संख्या बनती है। समिश्र संख्या के काल्पनिक भाग के साथ i जुड़ा होता है जो निम्नलिखित सम्बन्ध को संतुष्ट करती है: किसी भी समिश्र संख्या को a + bi, के रूप में व्यक्त किया जा सकता है जिसमें a और b दोनो ही वास्तविक संख्याएं हैं। a + bi में a को वास्तविक भाग तथा b को काल्पनिक भाग कहते हैं। उदाहरण: 3 + 4i एक समिश्र संख्या है। .

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सांख्यिकी

एक ग्राफ जिसमें सामान्य वितरण (Normal distribution) प्रदर्शित है। सांख्यिकी, गणित की वह शाखा है जिसमें आँकड़ों का संग्रहण, प्रदर्शन, वर्गीकरण और उसके गुणों का आकलन का अध्ययन किया जाता है। सांख्यिकी एक गणितीय विज्ञान है जिसमें किसी वस्तु/अवयव/तंत्र/समुदाय से सम्बन्धित आकड़ों का संग्रह, विश्लेषण, व्याख्या या स्पष्टीकरण और प्रस्तुति की जाती है। यह विभिन्न क्षेत्रों में लागू है - अकादमिक अनुशासन (academic disciplines), इस से प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, मानविकी, सरकार और व्यापार आदि। सांख्यिकीय तरीकों को डेटा के संग्रह के संग्रहण अथवा वर्णन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे वर्णनात्मक सांख्यिकी (descriptive statistics) कहा जाता है। इसके अतिरिक्त, डेटा में पैटर्न को इस तरह से मॉडल किया जा सकता है कि वह निष्कर्षों की यादृच्छिकता और अनिश्चितता का कारण बने और फिर इस प्रक्रिया को उस विधि, या जिस जनसंख्या का अध्ययन किया जा रहा हो, उसके बारे में अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। इसे अनुमानित सांख्यिकी (inferential statistics) कहा जाता है। वर्णनात्मक तथा अनुमानित सांख्यिकी, दोनों में व्यावहारिक सांख्यिकी सम्मिलित है। एक और विद्या है - गणितीय सांख्यिकी (mathematical statistics), जो विषय के सैद्धान्तिक आधार से सम्बन्ध रखती है। आप किरण किसी श्रेणी में पदों के बेकरार को प्रदर्शित करता है जबकि विषमता का संबंध उसकी आकृति की विशिष्टताओं से होता है अन्य शब्दों में अवकरण हमें श्रेणी की संरचना के बारे में बताता है जबकि विषमता हमें वक्र की आकृति के बारे में बताता है अपकिरण हमें श्रेणी के पदों के मानक रूप में स्वीकृत अन्य किसी पद के व्यक्तिगत अंतरों की ओर संकेत करता है विषमता विचलनों की दशा की ओर संकेत करता है अब करण द्वितीय श्रेणी के माध्यम पर आधारित है .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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क्रमचय-संचय

दोहराव के साथ क्रमपरिवर्तन। क्रमचय-संचय (Combinatorics) गणित की शाखा है जिसमें गिनने योग्य विवर्त (discrete) संरचनाओं (structures) का अध्ययन किया जाता है। शुद्ध गणित, बीजगणित, प्रायिकता सिद्धांत, टोपोलोजी तथा ज्यामिति आदि गणित के विभिन्न क्षेत्रों में क्रमचय-संचय से संबन्धित समस्याये पैदा होतीं हैं। इसके अलावा क्रमचय-संचय का उपयोग इष्टतमीकरण (आप्टिमाइजेशन), संगणक विज्ञान, एर्गोडिक सिद्धांत (ergodic theory) तथा सांख्यिकीय भौतिकी में भी होता है। ग्राफ सिद्धांत, क्रमचय-संचय के सबसे पुराने एवं सर्वाधिक प्रयुक्त भागों में से है। ऐतिहासिक रूप से क्रमचय-संचय के बहुत से प्रश्न विलगित रूप में उठते रहे थे और उनके तदर्थ हल प्रस्तुत किये जाते रहे। किन्तु बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में शक्तिशाली एवं सामान्य सैद्धांतिक विधियाँ विकसित हुईं और क्रमचय-संचय गणित की स्वतंत्र शाखा बनकर उभरा। .

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