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गांधारी और पितृमेध

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गांधारी और पितृमेध के बीच अंतर

गांधारी vs. पितृमेध

गांधारी महाभारत की एक पात्र हैं। वो महाराज धृतराष्ट्र की पत्नी थी और प्रमुख खलनायक दुर्योधन की माँ थीं। गांधारी देख सकती थीं लेकिन पति के आँखों से विकलांग होने के कारण उन्होंने खुद की आँखों पर भी हमेशा के लिए एक पट्टी बाँध ली थी। महाभारत के अनुसार वो सौ पुत्रों की माता थीं। . पितृमेध या अन्त्यकर्म या अंत्येष्टि या दाह संस्कार 16 हिन्दू धर्म संस्कारों में षोडश आर्थात् अंतिम संस्कार है। मृत्यु के पश्चात वेदमंत्रों के उच्चारण द्वारा किए जाने वाले इस संस्कार को दाह-संस्कार, श्मशानकर्म तथा अन्त्येष्टि-क्रिया आदि भी कहते हैं। इसमें मृत्यु के बाद शव को विधी पूर्वक अग्नि को समर्पित किया जाता है। यह प्रत्एक हिंदू के लिए आवश्यक है। केवल संन्यासी-महात्माओं के लिए—निरग्रि होने के कारण शरीर छूट जाने पर भूमिसमाधि या जलसमाधि आदि देने का विधान है। कहीं-कहीं संन्यासी का भी दाह-संस्कार किया जाता है और उसमें कोई दोष नहीं माना जाता है। .

गांधारी और पितृमेध के बीच समानता

गांधारी और पितृमेध आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): धृतराष्ट्र, महाभारत

धृतराष्ट्र

महाभारत में धृतराष्ट्र हस्तिनापुर के महाराज विचित्रवीर्य की पहली पत्नी अंबिका के पुत्र थे। उनका जन्म महर्षि वेद व्यास के वरदान स्वरूप हुआ था। हस्तिनापुर के ये नेत्रहीन महाराज सौ पुत्रों और एक पुत्री के पिता थे। उनकी पत्नी का नाम गांधारी था। बाद में ये सौ पुत्र कौरव कहलाए। दुर्योधन और दु:शासन क्रमशः पहले दो पुत्र थे। .

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

गांधारी और पितृमेध के बीच तुलना

गांधारी 3 संबंध है और पितृमेध 78 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 2.47% है = 2 / (3 + 78)।

संदर्भ

यह लेख गांधारी और पितृमेध के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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