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ग़ज़नवी साम्राज्य और महमूद ग़ज़नवी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ग़ज़नवी साम्राज्य और महमूद ग़ज़नवी के बीच अंतर

ग़ज़नवी साम्राज्य vs. महमूद ग़ज़नवी

ग़ज़नवी राजवंश (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Ghaznavids) एक तुर्क मुस्लिम राजवंश था जिसने ९७५ ईसवी से ११८६ ईसवी काल में अधिकाँश ईरान, आमू पार क्षेत्रों और उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप पर राज किया। इसकी स्थापना सबुक तिगिन ने तब की थी जब उसे अपने ससुर अल्प तिगिन की मृत्यु पर ग़ज़ना (आधुनिक ग़ज़नी प्रांत) का राज मिला था। अल्प तिगिन स्वयं कभी ख़ुरासान के सामानी साम्राज्य का सिपहसालार हुआ करता था जिसने अपनी अलग रियासत कायम कर ली थी।, Martijn Theodoor Houtsma, pp. महमूद ग़ज़नवी (971-1030) मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था जो पूर्वी ईरान भूमि में साम्राज्य विस्तार के लिए जाना जाता है। वह तुर्क मूल का था और अपने समकालीन (और बाद के) सल्जूक़ तुर्कों की तरह पूर्व में एक सुन्नी इस्लामी साम्राज्य बनाने में सफल हुआ। उसके द्वारा जीते गए प्रदेशों में आज का पूर्वी ईरान, अफगानिस्तान और संलग्न मध्य-एशिया (सम्मिलिलित रूप से ख़ोरासान), पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत शामिल थे। उनके युद्धों में फ़ातिमी सुल्तानों (शिया), काबुल शाहिया राजाओं (हिन्दू) और कश्मीर का नाम प्रमुखता से आता है। भारत में इस्लामी शासन लाने और आक्रमण के दौरान लूटपाट मचाने के कारण भारतीय हिन्दू समाज में उनको एक आक्रामक शासक के रूप में जाना जाता है। वह पिता के वंश से तुर्क था पर उसने फ़ारसी भाषा के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाँलांकि उसके दरबारी कवि फ़िरदौसी ने शाहनामे की रचना की पर वो हमेशा कवि का समर्थक नहीं रहा था। ग़ज़नी, जो मध्य अफ़गानिस्तान में स्थित एक छोटा शहर था, को उन्होंने साम्राज्य के धनी और प्रांतीय शहर के रूप में बदल गया। बग़दाद के इस्लामी (अब्बासी) ख़लीफ़ा ने उनको सुल्तान की पदवी दी। .

ग़ज़नवी साम्राज्य और महमूद ग़ज़नवी के बीच समानता

ग़ज़नवी साम्राज्य और महमूद ग़ज़नवी आम में 8 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्राचीन ख़ुरासान, फ़ारसी भाषा, सबुक तिगिन, सलजूक़ साम्राज्य, सामानी साम्राज्य, सुन्नी इस्लाम, ग़ज़नी, ग़ज़नी प्रान्त

प्राचीन ख़ुरासान

इस पुराने नक़्शे में ख़ोरासान नामकित है प्राचीन ख़ुरासान (फ़ारसी:, ख़ुरासान-ए-कहन) या प्राचीन ख़ोरासान मध्य एशिया का एक ऐतिहासिक क्षेत्र था जिसमें आधुनिक अफ़्ग़ानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और पूर्वी ईरान के बहुत से भाग शामिल थे। इसमें कभी-कभी सोग़दा और आमू-पार क्षेत्र शामिल किये जाते थे। ध्यान दीजिये कि आधुनिक ईरान में एक 'ख़ोरासान प्रांत' है जो इस ऐतिहासिक ख़ुरासान इलाक़े का केवल एक भाग है। .

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फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

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सबुक तिगिन

सुबुक तिगिन (फ़ारसी - ابو منصور سبکتگین, अबु मंसूर सबक़तग़िन) ख़ोरासान के गज़नवी साम्राज्य का स्थापक था और भारत पर अपने आक्रमणों के लिए प्रसिद्ध महमूद गज़नवी का पिता। अल्प तिगिन, सामानी साम्राज्य का एक सूबेदार था जो ख़ोरासान (उत्तरी अफ़गानिस्तान, पूर्वोत्तर ईरान और सटा हुआ मध्य-एशिया) के शासक के रूप में काम करता था। सुबुकतिगिन उसका गुलाम था। जब अल्प तिगिन ने सामानी शासकों के खिलाफ विद्रोह किया जो उसने सुबुकतिगिन को ग़ज़नी का प्रभारी बना दिया और अपनी बेटी की शादी उससे कर दी। सुबुकतिगिन ने अलप्तिगिन के दो परवर्ती शासकों के अन्दर भी एक ग़ुलाम के रूप में शासन का कार्यभार देखा और सन् 977 में वो ग़ज़नी का सुल्तान बना। सन् 997 में उसकी मृत्यु के बाद सुबुकतिगिन का छोटा बेटा ईस्माईल शासक बना पर उसके बड़े भाई महमूद ने ईस्माइल के ख़िलाफ़ विद्रोह कर दिया और ख़ुद ग़ज़नी का सुल्तान बन बैठा। श्रेणी:ग़ज़नवी साम्राज्य.

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सलजूक़ साम्राज्य

'बुर्ज तोग़रोल​' ईरान की राजधानी तेहरान के पास तुग़रिल बेग़​ के लिए १२वीं सदी में बना एक स्मारक बुर्ज है सलजूक़​ साम्राज्य या सेल्जूक साम्राज्य(तुर्की: Büyük Selçuklu Devleti; फ़ारसी:, दौलत-ए-सलजूक़ियान​; अंग्रेज़ी: Seljuq Empire) एक मध्यकालीन तुर्की साम्राज्य था जो सन् १०३७ से ११९४ ईसवी तक चला। यह एक बहुत बड़े क्षेत्र पर विस्तृत था जो पूर्व में हिन्दू कुश पर्वतों से पश्चिम में अनातोलिया तक और उत्तर में मध्य एशिया से दक्षिण में फ़ारस की खाड़ी तक फैला हुआ था। सलजूक़ लोग मध्य एशिया के स्तेपी क्षेत्र के तुर्की-भाषी लोगों की ओग़ुज़​ शाखा की क़िनिक़​ उपशाखा से उत्पन्न हुए थे। इनकी मूल मातृभूमि अरल सागर के पास थी जहाँ से इन्होनें पहले ख़ोरासान​, फिर ईरान और फिर अनातोलिया पर क़ब्ज़ा किया। सलजूक़ साम्राज्य की वजह से ईरान, उत्तरी अफ़्ग़ानिस्तान​, कॉकस और अन्य इलाक़ों में तुर्की संस्कृति का प्रभाव बना और एक मिश्रित ईरानी-तुर्की सांस्कृतिक परम्परा जन्मी।, Jamie Stokes, Anthony Gorman, pp.

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सामानी साम्राज्य

सामानी साम्राज्य मध्य एशिया तथा ख़ोरासान का एक मध्यकालीन (819-999) साम्राज्य था जिसकी राजधानी बुखारा एक समय इस्लाम की राजधानी बग़दाद की बराबरी करता था। इसके शासक सुन्नी मुसलमान थे जो जरदोश्त के धर्म से परिवर्तित होकर मुस्लिम बने थे। यह फ़ारस के केन्द्रीय सासानी साम्राज्य के अरबों द्वारा फ़तह के बाद एक प्रमुख राज्य था जो इस्लाम का दूसरा केन्द्र भी माना जाता था। ध्यातव्य है कि बुखारा, यानि सुन्नी सामानी और अरब दुनिया (सुन्नी) के मध्य केन्द्रीय ईरान के लोग शिया हैं (और थे)। सामानी काल का एक कलात्मक कटोरा।Bowl with white slip, incised design, colored, and glazed. Excavated at ''Sabz Pushan'', Neishapur, Iran. 9th-early 10th century. New York Metropolitan Museum of Art. .

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सुन्नी इस्लाम

सुन्नी मुस्लिम इस्लाम के सबसे बड़े सम्प्रदाय सुन्नी इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हैं। सुन्नी इस्लाम को अहले सुन्नत व'ल जमाअत (अरबी: أهل السنة والجماعة‎ "(मुहम्म्द के) आदर्श लोग और समुदाय") या संक्षिप्त में अहल अस- सुन्नाह (अरबी: أهل السنة‎) भी कहते हैं। सुन्नी शब्द अरबी के सुन्नाह (अरबी: سنة) से आया है, जिसका अर्थ (पैगम्बर मोहम्मद) की बातें और कर्म या उनके आदर्श है। सामान्य अर्थों में सुन्नी -पवित्र ईशसन्देश्टा मुहम्मद स० के निधन के पश्चात जिन लोगों ने मुहम्मद स० द्वारा बताये गये नियमों का पालन किया सुन्नी कहलाऐ। सुन्नी दुनिया में 80% हैं ये आंकड़ा 5 गिरोह को मिलाकर बनता हैं।.

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ग़ज़नी

ग़ज़नी भगवान श्रीकृष्णजी के उत्तराधिकारी द्वारिका की बजाय मथुरा की राजगद्दी पर विराजमान हुए, जिनकी पाँचवीं पीढ़ी में सुबाहु नाम के एक प्रतापी शासक हुए। राजा सुबाहु ने पुरुषपुर(पेशावर) पर आक्रमण कर अपना अधिकार जमा लिया एवं उसे अपनी राजधानी बनाया। एक बार राजा सुबाहु शिकार के दौरान एक सुअर का पीछा करते हुए पाताल लोक पधारे जहां वराह भगवान के दर्शन होने से सुअर का शिकार न करने का संकल्प लिया, तब से यदु वंश राजपूत में सुअर का शिकार निषेध है। राजा सुबाहु के पौत्र एवं राजा रजसेन के पुत्र राजा गजबाहु एक वीर और शक्तिशाली शासक थे। इनका साम्राज्य पशि्चमोतर भारत के विशाल भू-भाग पर फैला था। राजा गजबाहु ने साम्राज्य विस्तार के साथ-साथ उसकी सुरक्षा हेतु गंधार प्रदेश में युधिष्ठिर संवत् ३०८ कि अक्षय तृतीया रविवार को रोहिणी नक्षत्र में कुलदेवी स्वांगिया माता की कृपा से गजनी नगर की स्थापना कर वहां एक सुदृढ़ किले का निर्माण करवाकर उसकी प्रतिष्ठा करवाई। "रवि रोहिणी गजबाहु ने गजनी रची नवीन। वर्तमान से लगभग साढ़े चार हजार से भी अधिक वर्ष पूर्व निर्मित गजनी का किला अत्यंत ही मजबूत व अभेद्य था।पीतल के समान ठोस बनावट वाले इस किले की प्रचीरें एक दूसरे में गुंथी हुई डमरुनुमा थी, जिसे शत्रु बारूद से भी नहीं उड़ा सकता था। राजा गजबाहु के शासन काल में रुम प्रदेश कि फौज ने खुरासान कि मदद से गजनीपर आक्रमण की योजना बनाई दोनों प्रदेशों की सेना के गजनी पहुंचने से पहले राजा गजबाहु ने आगे बढ़कर कुंज शहर के नजदीक मुकाबला किया जिसमें राजा गजबाहु विजय हासिल की। उन्होंने अपने बल व पराक्रम से अपना साम्राज्य खुरासान बकत्रिया व बल्ख बुखारा तक फैला दिया। राजा गजबाहु ने कंधार,काबुल, मुल्तान, लाहौर व मथुरा तक के विस्तृत भू -भाग पर अपना सुशासन स्थापित किया। राजा गजबाहु के वंशज ने कई किलो का निर्माण करवाया गजबाहु के वंशज ने जैसलमेर की स्थापना कर नई राजधानी बसाई के कुछ समय बाद ही राजा कि अकाल मृत्यु ओर सड़यंत्र के कारण राजगद्दी वारिस को जैसलमेर त्यागना पड़ा। एक नया गांव बसाया डांगरी तथा यहाँ के ठाकुर ही राजा गजबाहु के वंशज थे जिन्होंने जैसलमेर त्यागने के पश्चात् इन्हीं के वंशज राजा देरावर ने देरावरगढ कि स्थापना की। राजा भूपत भटनेर ओर भटिन्डा बसाया डांगरी के अन्तिम ठाकुर सतीदानसिहं हुए। डांगरी जैसलमेर जिला मुख्यालयसे ८० किमीदुर है। इनके बाद राजा गजबाहु के वंशजों की पृष्ट नहीं है। नोट:- यह इतिहास १०० वर्ष से ४००० वर्ष पूर्व का है।.

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ग़ज़नी प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का ग़ज़नी प्रान्त (लाल रंग में) ग़ज़नी (पश्तो:, अंग्रेजी: Ghazni) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल २२,९१५ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००२ में लगभग ९.३ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी ग़ज़नी शहर है। ग़ज़नी प्रान्त काबुल से कंदहार जाने वाले राजमार्ग पर आता है और इतिहास में उन दोनों के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा है। इस प्रान्त में लगभग आधे लोग पश्तून हैं लेकिन यहाँ हज़ारा लोगों और ताजिक लोगों के भी बड़े समुदाय रहते हैं। .

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ग़ज़नवी साम्राज्य और महमूद ग़ज़नवी के बीच तुलना

ग़ज़नवी साम्राज्य 27 संबंध है और महमूद ग़ज़नवी 25 है। वे आम 8 में है, समानता सूचकांक 15.38% है = 8 / (27 + 25)।

संदर्भ

यह लेख ग़ज़नवी साम्राज्य और महमूद ग़ज़नवी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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