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गणेश और नवग्रह

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गणेश और नवग्रह के बीच अंतर

गणेश vs. नवग्रह

गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन डिंक नामक मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रो के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें आदिपूज्य भी कहते है। गणेश कि उपसना करने वाला सम्प्रदाय गाणपतेय कहलाते है। . ग्रह (संस्कृत के ग्रह से - पकड़ना, कब्जे में करना) माता भूमिदेवी (पृथ्वी) के प्राणियों पर एक 'ब्रह्मांडीय प्रभावकारी' है। हिन्दू ज्योतिष में नवग्रह (संस्कृत: नवग्रह, नौ ग्रह या नौ प्रभावकारी) इन प्रमुख प्रभावकारियों में से हैं। राशि चक्र में स्थिर सितारों की पृष्ठभूमि के संबंध में सभी नवग्रह की सापेक्ष गतिविधि होती है। इसमें ग्रह भी शामिल हैं: मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, और शनि, सूर्य, चंद्रमा, और साथ ही साथ आकाश में अवस्थितियां, राहू (उत्तर या आरोही चंद्र आसंधि) और केतु (दक्षिण या अवरोही चंद्र आसंधि).

गणेश और नवग्रह के बीच समानता

गणेश और नवग्रह आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): शिव, गणेश, केतु

शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

गणेश और शिव · नवग्रह और शिव · और देखें »

गणेश

गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन डिंक नामक मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रो के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें आदिपूज्य भी कहते है। गणेश कि उपसना करने वाला सम्प्रदाय गाणपतेय कहलाते है। .

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केतु

केतु (16px) भारतीय ज्योतिष में उतरती लूनर नोड को दिया गया नाम है। केतु एक रूप में स्वरभानु नामक असुर के सिर का धड़ है। यह सिर समुद्र मन्थन के समय मोहिनी अवतार रूपी भगवान विष्णु ने काट दिया था। यह एक छाया ग्रह है। धर्म डेस्क- दैनिक भास्कर। उज्जैन। ०६ जून २०१२। अभिगमन तिथि: ०४ अक्टूबर २०१२ माना जाता है कि इसका मानव जीवन एवं पूरी सृष्टि पर अत्यधिक प्रभाव रहता है। कुछ मनुष्यों के लिये ये ग्रह ख्याति पाने का अत्यंत सहायक रहता है। केतु को प्रायः सिर पर कोई रत्न या तारा लिये हुए दिखाया जाता है, जिससे रहस्यमयी प्रकाश निकल रहा होता है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

गणेश और नवग्रह के बीच तुलना

गणेश 17 संबंध है और नवग्रह 58 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 4.00% है = 3 / (17 + 58)।

संदर्भ

यह लेख गणेश और नवग्रह के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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