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गणनीय समुच्चय

सूची गणनीय समुच्चय

गणित में, गणनीय समुच्चय (countable set) वह समुच्चय है जिसमें प्राकृत संख्याओं के समुच्चय के किसी उपसमुच्चय के समान गणनांक (अवयवों की संख्या) है। गणनीय समुच्चय या तो परिमित समुच्चय होता है अथवा गणनीय अनन्त समुच्चय होता है। या तो अपरिमित या फिर अनन्त, अर्थात किसी गणनीय समुच्चय के अवयव या तो एक बार में गिने जा सकते हैं अथवा गणना कभी भी समाप्त न हो जिसमें समुच्चय का प्रत्येक अवयव किसी एक प्राकृत संख्या से सम्बद्ध हो। कुछ लेखकों के अनुसार गणनीय समुच्चय का अर्थ केवल अनन्त गणनीय होता है।उदाहरण के लिए देखें। इस अस्पष्टता से बचने के लिए, परिमित समुच्चयों के लिए अधिक से अधिक गणनीय शब्द का प्रयोग किया जा सकता है और अन्य स्थितियों में अनन्त गणनीय, संख्येय अथवा प्रगणनीय शब्द प्रयुक्त किये जाते हैं।See.

8 संबंधों: एकैकी फलन, परिमित समुच्चय, प्राकृतिक संख्या, समुच्चय (गणित), गणनांक, गणित, गणितीय तर्कशास्त्र, उपसमुच्चय

एकैकी फलन

एकैकी फलन (किन्तु यह बाइजेक्टिव नहीं है) एकैकी फलन जो बाइजेक्टिव भी है। अनैकैकी फलन - जो वस्तुतः 'सर्जेक्टिव' है। गणित में ऐसे फलन एकैकी फलन या अंतःक्षेपी कहलाते हैं जो डोमेन के एक से अधिक अवयवों को सहडोमेन के एक ही अवयव से प्रतिचित्रण नहीं करते। दूसरे शब्दों में, सहडोमेन का प्रत्येक अवयव डोमैन के अधिकतम एक अवयव से ही प्रतिचित्रित होता है। यदि कोई फलन एकैकी होने के अलावा यह भी शर्त पूरा करता है कि कोडोमेन के सभी अवयव डोमेन के किसी न किसी अवयव से प्रतिचित्रित हों, तो ऐसे फलन को बाइजेक्टिव फलन कहते हैं। .

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परिमित समुच्चय

वह समुच्चय जिसके अवयवों की संख्या परिमित हो उसे परिमित समुच्चय (Finite set) कहते हैं। .

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प्राकृतिक संख्या

प्राकृतिक संख्याओं से गणना की सकती है। उदाहरण: (ऊपर से नीचे की ओर) एक सेब, दो सेब, तीन सेब,... गणित में 1,2,3,...

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समुच्चय (गणित)

समुच्चय या कुलक (set) सुपरिभाषित समूह अथवा संग्रह को कहते हैं। परिभाषा के रूप में वस्तुओं के उस समूह अथवा समाहार को समुच्चय कहते हैं जिसमें सम्मिलित प्रत्येक वस्तु किसी गुण विशेष को संतुष्ट करती हो जिसके आधार पर स्पष्ट रूप से यह बताया जा सके कि अमुक वस्तु उस संग्रह में सम्मिलित है अथवा नहीं है। .

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गणनांक

गणित में, किसी समुच्चय का गणनांक "समुच्चय के तत्त्वों की संख्या" का एक मापन है। उदाहरण के लिए, समुच्चय A .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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गणितीय तर्कशास्त्र

गणितीय तर्कशास्त्र (Mathematical logic) गणित की शाखा है किसका संगणक विज्ञान एवं दार्शनिक तर्कशास्त्र से निकट का सम्बन्ध है। तर्कशास्त्र का गणितीय अध्ययन तथा गणित के अन्य विधाओं में तर्कशास्त्र (formal logic) के अनुप्रयोग दोनो ही इसके अंतर्गत आते हैं। प्राय: गणितीय तर्कशास्त्र को समुच्चय सिद्धान्त, मॉडल सिद्धान्त (model theory), रिकर्सन सिद्धान्त (recursion theory) तथा सिद्धि सिद्धान्त (proof theory) नामक क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है। .

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उपसमुच्चय

यदि कोई दो समुच्चय ऐसे हों कि एक का प्रत्येक अवयव दूसरे का भी अवयव हो तो प्रथम समुच्चय को द्वितीय का उपसमुच्चय (subset) कहते हैं। इसे ⊂ और ⊃ से निरुपित किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि समुच्चय A का प्रत्येक अवयव B का भी अवयव है तो इसे A ⊂ B से निरुपित करते हैं और 'A उपसमुच्चय है B का' पढ़ते हैं एवं B को A का अधिसमुच्चय कहते हैं। .

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