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गण संघ देश (प्राचीन भारत) और महाजनपद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गण संघ देश (प्राचीन भारत) और महाजनपद के बीच अंतर

गण संघ देश (प्राचीन भारत) vs. महाजनपद

गणसंघ (संस्कृत: गणसंघ, समूह की सभा) या गणराज्य (समानता की सरकार), प्राचीन भारत के वे अनेक गणतांत्रिक अथवा अल्पतंत्रिक जनपद या राज्य थे जिनका बोध अनेक प्राचीन साहित्यों में पाया जाता है। कई बौद्ध, हिन्दू और अन्य संस्कृत साहित्यों में इनका ज़िक्र है। ये गनसंघ साधारणतः बड़े राजतंत्रों के सीमांतों पर अवस्थित हुआ करते थे। सामान्यतः इन का राजनैतिक संरचना किसी विशेष कुल या गोत्र की अल्पतंत्र(उदाहरण: शाक्य गणराज्य) या अनेक गोत्रों के महासंघ के रूप की हुआ करती थी(उदाहरण:कोली गणराज्य)। . महाजनपद, प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है। 6वीं-5वीं शताब्दी ईसापूर्व को प्रारंभिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में माना जाता है; जहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आंदोलनों (बौद्ध धर्म और जैन धर्म सहित) का उदय हुआ, जिसने वैदिक काल के धार्मिक कट्टरपंथ को चुनौती दी। पुरातात्विक रूप से, यह अवधि उत्तरी काले पॉलिश वेयर संस्कृति के हिस्सा रहे है। .

गण संघ देश (प्राचीन भारत) और महाजनपद के बीच समानता

गण संघ देश (प्राचीन भारत) और महाजनपद आम में 15 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पाञ्चाल, पाणिनि, बिहार, मल्ल, महाभारत, महाजनपद, मगध महाजनपद, राजतन्त्र, शाक्य, संस्कृत भाषा, वैशाली, गणराज्य, गंगा नदी, कपिलवस्तु, अष्टाध्यायी

पाञ्चाल

पांचाल या पांचाल प्राचीन भारत के १६ महाजनपदों में से एक था। यह उत्तर में हिमालय के भाभर क्षेत्र से लेकर दक्षिण में चर्मनवती नदी के उत्तरी तट के बीच के मैदानों में फैला हुआ था। इसके पश्चिम में कुरु, मत्स्य तथा सुरसेन राज्य थे और पूर्व में नैमिषारण्य था। बाद में यह दो भागों में बाँटा गया। उत्तर पांचाल हिमालय से लेकर गंगा के उत्तरी तट तक था तथा उसकी राजधानी अहिछत्र थी तथा दक्षिण पांचाल गंगा के दक्षिणी तट से लेकर चर्मनवती तक था और उसकी राजधानी काम्पिल्य थी। अखण्ड पांचाल की सत्ता पाण्डवों के ससुर तथा द्रौपदी के पिता द्रुपद के पास थी। कहा जाता है कि पहले द्रुपद तथा पाण्डवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य के बीच घनिष्ट मित्रता थी लेकिन कुछ कारणवश दोनों में मन-मुटाव हो गया। फलतः दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया। युद्ध में द्रुपद की हार हुयी और पांचाल का विभाजन हुआ। उत्तर पांचाल के राजा द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा मनोनीत हुये तथा द्रुपद को दक्षिण पांचाल से ही संतोष करना पड़ा। दोनों राज्यों को गंगा अलग करती थी। .

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पाणिनि

पाणिनि (५०० ई पू) संस्कृत भाषा के सबसे बड़े वैयाकरण हुए हैं। इनका जन्म तत्कालीन उत्तर पश्चिम भारत के गांधार में हुआ था। इनके व्याकरण का नाम अष्टाध्यायी है जिसमें आठ अध्याय और लगभग चार सहस्र सूत्र हैं। संस्कृत भाषा को व्याकरण सम्मत रूप देने में पाणिनि का योगदान अतुलनीय माना जाता है। अष्टाध्यायी मात्र व्याकरण ग्रंथ नहीं है। इसमें प्रकारांतर से तत्कालीन भारतीय समाज का पूरा चित्र मिलता है। उस समय के भूगोल, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा और राजनीतिक जीवन, दार्शनिक चिंतन, ख़ान-पान, रहन-सहन आदि के प्रसंग स्थान-स्थान पर अंकित हैं। .

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बिहार

बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है। .

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मल्ल

'मल्ल' से निम्नलिखित का बोध होता है-.

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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महाजनपद

महाजनपद, प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है। 6वीं-5वीं शताब्दी ईसापूर्व को प्रारंभिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में माना जाता है; जहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आंदोलनों (बौद्ध धर्म और जैन धर्म सहित) का उदय हुआ, जिसने वैदिक काल के धार्मिक कट्टरपंथ को चुनौती दी। पुरातात्विक रूप से, यह अवधि उत्तरी काले पॉलिश वेयर संस्कृति के हिस्सा रहे है। .

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मगध महाजनपद

मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना तथा गया ज़िला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज (वर्तमान राजगीर) थी। भगवान बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे। अभी इस नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल। (२) सुमसुमार पर्वत के भाग, (३) केसपुत्र के कालाम, (४) रामग्राम के कोलिय, (५) कुशीमारा के मल्ल, (६) पावा के मल्ल, (७) पिप्पलिवन के मौर्य, (८) आयकल्प के बुलि, (९) वैशाली के लिच्छवि, (१०) मिथिला के विदेह। -- .

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राजतन्त्र

राजतन्त्र (मोनार्की / monarchy) शासन की वह प्रणाली है जिसमें एक व्यक्ति (राजा) शासन का सर्वेसर्वा होता है। राजा, शासित जनता द्वारा चुना हुआ नहीं होता बल्कि वंशगत होता है या किसी दूसरे राजा को युद्ध में पराजित करके राजा बनता है। राजतन्त्र, संसार की सबसे पुरानी एवं स्वाभाविक शासन प्रणाली है। .

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शाक्य

शाक्यों में प्रसिद्ध शाक्यमुनि बुद्ध, चीनी तंग वंश से प्राप्त बैठी हुई मूर्ति शाक्य प्रथम शताब्दी ई.पू में प्राचीन भारत का एक जनपद था।Raychaudhuri H. (1972).

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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वैशाली

वैशाली बिहार प्रान्त के वैशाली जिला में स्थित एक गाँव है। ऐतिहासिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध यह गाँव मुजफ्फरपुर से अलग होकर १२ अक्टुबर १९७२ को वैशाली के जिला बनने पर इसका मुख्यालय हाजीपुर बनाया गया। वज्जिका यहाँ की मुख्य भाषा है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि "रिपब्लिक" कायम किया गया था। भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए वैशाली एक पवित्र स्थल है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ, यह उनकी कर्म भूमि भी थी। महात्मा बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था। अतिमहत्त्वपूर्ण बौद्ध एवं जैन स्थल होने के अलावा यह जगह पौराणिक हिन्दू तीर्थ एवं पाटलीपुत्र जैसे ऐतिहासिक स्थल के निकट है। मशहूर राजनर्तकी और नगरवधू आम्रपाली भी यहीं की थी| आज वैशाली पर्यटकों के लिए भी बहुत ही लोकप्रिय स्थान है। वैशाली में आज दूसरे देशों के कई मंदिर भी बने हुए हैं। .

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गणराज्य

एक गणराज्य या गणतंत्र (रेस पब्लिका) सरकार का एक रूप है जिसमें देश को एक "सार्वजनिक मामला" माना जाता है, न कि शासकों की निजी संस्था या सम्पत्ति। एक गणराज्य के भीतर सत्ता के प्राथमिक पद विरासत में नहीं मिलते हैं। यह सरकार का एक रूप है जिसके अंतर्गत राज्य का प्रमुख राजा नहीं होता। गणराज्य की परिभाषा का विशेष रूप से सन्दर्भ सरकार के एक ऐसे रूप से है जिसमें व्यक्ति नागरिक निकाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसी संविधान के तहत विधि के नियम के अनुसार शक्ति का प्रयोग करते हैं, और जिसमें निर्वाचित राज्य के प्रमुख के साथ शक्तियों का पृथक्करण शामिल होता हैं, व जिस राज्य का सन्दर्भ संवैधानिक गणराज्य या प्रतिनिधि लोकतंत्र से हैं। 2017 तक, दुनिया के 206 सम्प्रभु राज्यों में से 159 अपने आधिकारिक नाम के हिस्से में "रिपब्लिक" शब्द का उपयोग करते हैं - निर्वाचित सरकारों के अर्थ से ये सभी गणराज्य नहीं हैं, ना ही निर्वाचित सरकार वाले सभी राष्ट्रों के नामों में "गणराज्य" शब्द का उपयोग किया गया हैं। भले राज्यप्रमुख अक्सर यह दावा करते हैं कि वे "शासितों की सहमति" से ही शासन करते हैं, नागरिकों को अपने स्वयं के नेताओं को चुनने की वास्तविक क्षमता को उपलब्ध कराने के असली उद्देश्य के बदले कुछ देशों में चुनाव "शो" के उद्देश्य से अधिक पाया गया है। गणराज्य (संस्कृत से; "गण": जनता, "राज्य": रियासत/देश) एक ऐसा देश होता है जहां के शासनतन्त्र में सैद्धान्तिक रूप से देश का सर्वोच्च पद पर आम जनता में से कोई भी व्यक्ति पदासीन हो सकता है। इस तरह के शासनतन्त्र को गणतन्त्र(संस्कृत; गण:पूरी जनता, तंत्र:प्रणाली; जनता द्वारा नियंत्रित प्रणाली) कहा जाता है। "लोकतंत्र" या "प्रजातंत्र" इससे अलग होता है। लोकतन्त्र वो शासनतन्त्र होता है जहाँ वास्तव में सामान्य जनता या उसके बहुमत की इच्छा से शासन चलता है। आज विश्व के अधिकान्श देश गणराज्य हैं और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी। भारत स्वयः एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। .

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गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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कपिलवस्तु

कपिलवस्तु, शाक्य गण की राजधानी था। गौतम बुद्ध के जीवन के प्रारम्भिक काल खण्ड यहीं पर व्यथीत हुआ था। भगवान बुद्ध के जन्म इस स्थान से १० किमी पूर्व में लुंबिनी मे हुआ था। आर्कियोलजिक खुदाइ और प्राचीन यात्रीऔं के विवरण अनुसार अधिकतर विद्वान्‌ कपिलवस्तु नेपाल के तिलौराकोट को मानते हैं जो नेपाल की तराई के नगर तौलिहवा से दो मील उत्तर की ओर हैं। विंसेंट स्मिथ के मत से यह उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले का पिपरावा नामक स्थान है जहाँ अस्थियों पर शाक्यों द्वारा निर्मित स्तूप पाया गया है जो उन के विचार में बुद्ध के अस्थि है। बुद्ध शाक्य गण के राजा शुद्धोदन और महामाया के पुत्र थे। उनका जन्म लुंबिनी वन में हुआ जिसे अब रुम्मिनदेई कहते हैं। रुम्मिनदेई तिलौराकोट (कपिलवस्तु) से १० मील पूर्व और भगवानपुर से दो मील उत्तर है। यहाँ अशोक का एक स्तंभलेख मिला है जिसका आशय है कि भगवान्‌ बुद्ध के इस जन्मस्थान पर आकर अशोक ने पूजा की और स्तंभ खड़ा किया तथा "लुम्मिनीग्राम' के कर हलके किए। गौतम बुद्ध ने बाल्य और यौवन के सुख का उपभोग कर २९ वर्ष की अवस्था में कपिलवस्तु से महाभिनिष्क्रमण किया। बुद्धत्वप्राप्ति के दूसरे वर्ष वे शुद्धोदन के निमंत्रण पर कपिलवस्तु गए। इसी प्रकार १५ वाँ चातुर्मास भी उन्होंने कपिलवस्तु में न्यग्रोधाराम में बिताया। यहाँ रहते हुए उन्होंने अनेक सूत्रों का उपदेश किया, ५०० शाक्यों के साथ अपने पुत्र राहुल और वैमात्र भाई नंद को प्रवज्जा दी तथा शाक्यों और कोलियों का झगड़ा निपटाया। बुद्ध से घनिष्ठ संबंध होने के कारण इस नगर का बौद्ध साहित्य और कला में चित्रण प्रचुरता से हुआ है। इसे बुद्धचरित काव्य में "कपिलस्य वस्तु' तथा ललितविस्तर और त्रिपिटक में "कपिलपुर' भी कहा है। दिव्यावदान ने स्पष्टत: इस नगर का संबंध कपिल मुनि से बताया है। ललितविस्तर के अनुसार कपिलवस्तु बहुत बड़ा, समृद्ध, धनधान्य और जन से पूर्ण महानगर था जिसकी चार दिशाओं में चार द्वार थे। नगर सात प्रकारों और परिखाओं से घिरा था। यह वन, आराम, उद्यान और पुष्करिणियों से सुशोभित था और इसमें अनेक चौराहे, सड़कें, बाजार, तोरणद्वार, हर्म्य, कूटागार तथा प्रासाद थे। यहाँ के निवासी गुणी और विद्वान्‌ थे। सौंदरानंद काव्य के अनुसार यहाँ के अमात्य मेधावी थे। पालि त्रिपिटक के अनुसार शाक्य क्षत्रिय थे और राजकार्य "संथागार" में एकत्र होकर करते थे। उनकी शिक्षा और संस्कृति का स्तर ऊँचा था। भिक्षुणीसंघ की स्थापना का श्रेय शाक्य स्त्रियों को है। फ़ाह्यान के समय तक कपिलवस्तु में थोड़ी आबादी बची थी पर युआन्च्वाङ के समय में नगर वीरान और खँडहर हो चुका था, किंतु बुद्ध के जीवन के घटनास्थलों पर चैत्य, विहार और स्तूप १,००० से अधिक संख्या में खड़े थे। श्रेणी:ऐतिहासिक स्थान श्रेणी:बौद्ध धर्म श्रेणी:बौद्ध तीर्थ स्थल.

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अष्टाध्यायी

अष्टाध्यायी (अष्टाध्यायी .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

गण संघ देश (प्राचीन भारत) और महाजनपद के बीच तुलना

गण संघ देश (प्राचीन भारत) 36 संबंध है और महाजनपद 89 है। वे आम 15 में है, समानता सूचकांक 12.00% है = 15 / (36 + 89)।

संदर्भ

यह लेख गण संघ देश (प्राचीन भारत) और महाजनपद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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