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खड़ीबोली और प्रेमसागर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

खड़ीबोली और प्रेमसागर के बीच अंतर

खड़ीबोली vs. प्रेमसागर

खड़ी बोली वह बोली है जिसपर ब्रजभाषा या अवधी आदि की छाप न हो। ठेंठ हिंदी। आज की राष्ट्रभाषा हिंदी का पूर्व रूप। इसका इतिहास शताब्दियों से चला आ रहा है। यह परिनिष्ठित पश्चिमी हिंदी का एक रूप है। . लल्लू लाल की यह कृति खड़ी बोली गद्य की आरंभिक कृतियों में से एक है। शुक्ल जी इसकी भाषा को पूर्वीपन से युक्त मानते हैं। .

खड़ीबोली और प्रेमसागर के बीच समानता

खड़ीबोली और प्रेमसागर आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): लल्लू लाल

लल्लू लाल

लल्लू लाल (१७६३ - १८३५) हिन्दी गद्य के चार प्रमुख स्तम्भों- (इंशा अल्ला खाँ, सदल मिश्र, मुंशी सदासुखलाल, लल्लू लाल) में से एक हैं। इनका लिखा हुआ ग्रंथ 'प्रेमसागर' है। लल्लू लाल का जन्म सन् १७६३ ई० में उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ। इनके पूर्वज गुजरात से आकर आगरा में बस गये थे। लल्लू लाल आजीविका के लिये अनेक शहरों में घूमते हुये अन्त में कलकत्ता पहुँचे। ये बहुत अच्छे तैराक थे। एक बार तैरते समय इन्होंने एक अँग्रेज को डूबने से बचाया था। बाद में उस अँग्रेज ने इनकी बहुत सहायता की। उसने इन्हें फोर्ट विलियम कालेज में हिन्दी पढ़ाने तथा हिन्दी ग्रंथों की रचना का कार्य दिलवाया। प्रेमसागर इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक है जो कि प्रारम्भिक हिन्दी खड़ीबोली का नमूना है। १८३५ ई० में कलकत्ता में इनका निधन हो गया। .

खड़ीबोली और लल्लू लाल · प्रेमसागर और लल्लू लाल · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

खड़ीबोली और प्रेमसागर के बीच तुलना

खड़ीबोली 28 संबंध है और प्रेमसागर 3 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 3.23% है = 1 / (28 + 3)।

संदर्भ

यह लेख खड़ीबोली और प्रेमसागर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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