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क्षत्रिय और तीर्थंकर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

क्षत्रिय और तीर्थंकर के बीच अंतर

क्षत्रिय vs. तीर्थंकर

क्षत्रिय (पाली रूप: क्खत्रिय), (बांग्ला रुप:ক্ষত্রিয়), क्षत्र, राजन्य - ये चारों शब्द सामान्यतः हिंदू समाज के द्वितीय वर्ण और जाति के अर्थ में व्यवहृत होते हैं किंतु विशिष्ठ एतिहासिक अथवा सामाजिक प्रसंग में पारिपाश्वों से संबंध होने के कारण इनके अपने विशेष अर्थ और ध्वनियाँ हैं। 'क्षेत्र' का अर्थ मूलतः 'वीर्य' अथवा 'परित्राण शक्ति' था। किंतु बाद में यह शब्द उस वर्ग को अभिहित करने लगा जो शास्त्रास्त्रों के द्वारा अन्य वर्णों का परिरक्षण करता था। वेदों तथा ब्राह्मणों में क्षत्रीय शब्द राजवर्ग के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है जातकों और रामायण, महाभारत में क्षत्रीय शब्द से सामंत वर्ग और अनेक युद्धरत जन अभिहित हुए हैं। संस्कृत शब्द "क्षस दस्यों हो पूरा क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र नामक चार वर्गों में विभक्त था। स्मृतियों में कुछ युद्धपरक जनजातियाँ जैसे कि किरात, द्रविड़, आभीर, सबर, मालव, सिवी, त्रिगर्त, यौद्धेय, खस तथा तंगण आदि, व्रात्य क्षत्रीय वर्ग के अंतर्गत अनुसूचित की गई। पारंपरिक रूप से शासक व सैनिक क्षत्रिय वर्ग का हिस्सा होते थे, जिनका कार्य युद्ध काल में समाज की रक्षा हेतु युद्ध करना व शांति काल में सुशासन प्रदान करना था। पाली भाषा में "खत्रिय" क्षत्रिय शब्द का पर्याय है। वर्तमान समय में राजपूत और कुशवाहा जाति की गणना क्षत्रिय के रूप में की जाती है, जो सुर्यवंश के राजा श्रीरामचन्द्र के वंशज माने जाते हैं। . जैन धर्म में तीर्थंकर (अरिहंत, जिनेन्द्र) उन २४ व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है, जो स्वयं तप के माध्यम से आत्मज्ञान (केवल ज्ञान) प्राप्त करते है। जो संसार सागर से पार लगाने वाले तीर्थ की रचना करते है, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। तीर्थंकर वह व्यक्ति हैं जिन्होनें पूरी तरह से क्रोध, अभिमान, छल, इच्छा, आदि पर विजय प्राप्त की हो)। तीर्थंकर को इस नाम से कहा जाता है क्योंकि वे "तीर्थ" (पायाब), एक जैन समुदाय के संस्थापक हैं, जो "पायाब" के रूप में "मानव कष्ट की नदी" को पार कराता है। .

क्षत्रिय और तीर्थंकर के बीच समानता

क्षत्रिय और तीर्थंकर आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): महाभारत, रामायण

महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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रामायण

रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके २४,००० श्लोक हैं। यह हिन्दू स्मृति का वह अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा कही गयी। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

क्षत्रिय और तीर्थंकर के बीच तुलना

क्षत्रिय 17 संबंध है और तीर्थंकर 113 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 1.54% है = 2 / (17 + 113)।

संदर्भ

यह लेख क्षत्रिय और तीर्थंकर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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