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क्रान्ति और सुधारवाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

क्रान्ति और सुधारवाद के बीच अंतर

क्रान्ति vs. सुधारवाद

क्रान्ति (Revolution) अधिकारों या संगठनात्मक संरचना में होने वाला एक मूलभूत परिवर्तन है जो अपेक्षाकृत कम समय में ही घटित होता है। अरस्तू ने दो प्रकार की राजनीतिक क्रान्तियों का वर्णन किया है. सुधारवाद यह धारणा हैं कि मौजूदा संस्थानों के माध्यम से और उनके भीतर से क्रमिक परिवर्तन आखिरकार समाज के मौलिक आर्थिक प्रणाली और राजनीतिक संरचनाओं को बदल सकते हैं। यह सामाजिक परिवर्तन की परिकल्पना उस क्रान्तिकारी समाजवाद के विरोध में उठी, जो दावा करता हैं कि मौलिक संरचनात्मक बदलाओं के घटित होने हेतु क्रान्ति का कुछ रूप आवश्यक हैं। सुधारवाद व्यावहारवादी सुधारों से अलग हैं: सुधारवाद यह धारणा हैं कि सुधारों के संचय से एक ऐसे सामाजिक-आर्थिक प्रणाली का उद्भव हो सकता हैं, जो पूंजीवाद और लोकतन्त्र के वर्तमान रूपों से पूरी तरह अलग हो; जबकि, व्यवहारवादी सुधार उन प्रयासों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मौलिक और संरचनात्मक बदलावों के ख़िलाफ़ यथास्थिति की रक्षा करते हैं। .

क्रान्ति और सुधारवाद के बीच समानता

क्रान्ति और सुधारवाद आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पूंजीवाद, लोकतंत्र, समाज

पूंजीवाद

पूंजीवाद (Capitalism) सामन्यत: उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी स्वामित्व होता है। इसे कभी कभी "व्यक्तिगत स्वामित्व" के पर्यायवाची के तौर पर भी प्रयुक्त किया जाता है यद्यपि यहाँ "व्यक्तिगत" का अर्थ किसी एक व्यक्ति से भी हो सकता है और व्यक्तियों के समूह से भी। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि सरकारी प्रणाली के अतिरिक्त निजी तौर पर स्वामित्व वाले किसी भी आर्थिक तंत्र को पूंजीवादी तंत्र के नाम से जाना जा सकता है। दूसरे रूप में ये कहा जा सकता है कि पूंजीवादी तंत्र लाभ के लिए चलाया जाता है, जिसमें निवेश, वितरण, आय उत्पादन मूल्य, बाजार मूल्य इत्यादि का निर्धारण मुक्त बाजार में प्रतिस्पर्धा द्वारा निर्धारित होता है। पूँजीवाद एक आर्थिक पद्धति है जिसमें पूँजी के निजी स्वामित्व, उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत नियंत्रण, स्वतंत्र औद्योगिक प्रतियोगिता और उपभोक्ता द्रव्यों के अनियंत्रित वितरण की व्यवस्था होती है। पूँजीवाद की कभी कोई निश्चित परिभाषा स्थिर नहीं हुई; देश, काल और नैतिक मूल्यों के अनुसार इसके भिन्न-भिन्न रूप बनते रहे हैं। .

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लोकतंत्र

लोकतंत्र (शाब्दिक अर्थ "लोगों का शासन", संस्कृत में लोक, "जनता" तथा तंत्र, "शासन") या प्रजातंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें जनता अपना शासक खुद चुनती है। यह शब्द लोकतांत्रिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है। यद्यपि लोकतंत्र शब्द का प्रयोग राजनीतिक सन्दर्भ में किया जाता है, किंतु लोकतंत्र का सिद्धांत दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है। मूलतः लोकतंत्र भिन्न भिन्न सिद्धांतों के मिश्रण से बनते हैं, पर मतदान को लोकतंत्र के अधिकांश प्रकारों का चरित्रगत लक्षण माना जाता है। .

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समाज

समाज एक से अधिक लोगों के समुदाय को कहते हैं जिसमें सभी व्यक्ति मानवीय क्रियाकलाप करते है। मानवीय क्रियाकलाप में आचरण, सामाजिक सुरक्षा और निर्वाह आदि की क्रियाएं सम्मिलित होती है। समाज लोगों का ऐसा समूह होता है जो अपने अंदर के लोगों के मुकाबले अन्य समूहों से काफी कम मेलजोल रखता है। किसी समाज के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति एक दूसरे के प्रति परस्पर स्नेह तथा सहृदयता का भाव रखते हैं। दुनिया के सभी समाज अपनी एक अलग पहचान बनाते हुए अलग-अलग रस्मों-रिवाज़ों का पालन करते हैं। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

क्रान्ति और सुधारवाद के बीच तुलना

क्रान्ति 28 संबंध है और सुधारवाद 7 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 8.57% है = 3 / (28 + 7)।

संदर्भ

यह लेख क्रान्ति और सुधारवाद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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