कौलाचार और त्रिक
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कौलाचार और त्रिक के बीच अंतर
कौलाचार vs. त्रिक
कौलों के आचार-विचार तथा अनुष्ठान प्रकार को कौलाचार के नाम से जाना जाता है। शाक्तमत के अनुसार साधनाक्षेत्र में तीन भावों तथा सात आचारों की विशिष्ट स्थिति होती है- पशुभाव, वीरभाव और दिव्यभाव। ये तो तीन भावों के संकेत हैं। वेदाचार, वैष्णवाचार, शैवाचार, दक्षिणचार, वामाचार, सिद्धांताचार और कौलाचार ये पूर्वोल्लिखित भावत्रय से संबद्ध सात आचार हैं। इनमें दिव्यभाव के साधक का संबंध कौलाचार से है। . काश्मीर के शैव-सम्रदाय के सन्दर्भ में त्रिक तीन देवियों के समुच्चय को कहते हैं। तीन देवियाँ हैं- परा, परापरा तथा अपरा। ये नाम मालिनीविजयोत्तरतन्त्र में आया है। श्रेणी:शैव सम्प्रदाय.
कौलाचार और त्रिक के बीच समानता
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कौलाचार और त्रिक के बीच तुलना
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संदर्भ
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