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कॉमन गेटवे इंटरफेस

सूची कॉमन गेटवे इंटरफेस

कॉमन गेटवे इंटरफेस CGI एक बाहरी एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का सूचना देने वाले सर्वर के साथ संपर्क साधने के लिए एक मानक प्रोटोकॉल है, जो कि आमतौर पर एक वेब सर्वर होता है। इस सूचना देने वाले सर्वर का कार्य, आउटपुट/परिणाम (क्लाईंट वेब ब्राउज़र के अनुरोध के मामले में वेब सर्वर) के द्वारा अनुरोध का जवाब देना है। हर बार एक अनुरोध प्राप्त होने पर, सर्वर अनुरोध का विश्लेषण करता है और उचित उत्तर देता है। ऐसा करने के लिए सर्वर द्वारा निम्नलिखित दो बुनियादी तरीके प्रयुक्त किये जाते हैं.

8 संबंधों: ऍचटीऍमऍल, पर्ल, प्रोटोकॉल, सम स्रोत निर्धारक (स्रोनि), सी++, वेब ब्राउज़र, वेब सर्वर, कार्बन

ऍचटीऍमऍल

(HTML), HyperText Markup Language का संक्षिप्त रूप है। यह वेब पृष्ठों के लिये एक प्रमुख मार्कअप भाषा है। यह किसी द्स्तावेज में टैक्स्ट आधारित जानकारी की संरचना को निर्धारित करने का साधन है। इसके लिये यह टैक्स्ट विशेष को लिंक, हैडिंग, पैराग्राफ, सूची आदि के रूप में नोट करती है तथा इसमें इंटरैक्टिव फॉर्म, संलग्न चित्र, तथा अन्य ऑबजॅक्ट जोडती है। ऍचटीऍमऍल टैग्स के रूप में लिखी जाती है जो कि एंगल ब्रैकेट ("") के द्वारा घिरी होती है। ऍचटीऍमऍल कुछ हद तक किसी दस्तावेज के दृश्य रूप आदि को भी निर्धारित कर सकती है तथा इसमें स्क्रिप्टिंग भाषा कोड जैसे जावास्क्रिप्ट, पीऍचपी आदि भी संलग्न किया जा सकता है। HTML का प्रयोग किसी वेबसाइट के ढांचे को तैयार करने के लिए किया जाता है और यही एक मैं भाषा है जिसकी मदद से सभी वेबसाइट भी चलती है .

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पर्ल

पर्ल (Perl) एक उच्च स्तरीय, सामान्य-प्रयोजन, प्रोग्रामिंग भाषा है। इसका विकास लैरी वॉल द्वारा सन् १९८७ में यूनिक्स स्क्रीप्टिंग भाषा के अंतर्गत रिपोर्ट की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिये किया गया था। तब से, यह अनेक परिवर्तनो और संशोधनो से गुजरी है और प्रोग्रामरों के बीच व्यापक रूप से लोकप्रिय हुई है। पर्ल अन्य प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे कि सी (C), shell scripting (sh), AWK और sed से समानता रखती है। यह भाषा पाठ प्रसंस्करण के लिये शक्तिशाली सुविधाएँ प्रदान करती है, वो भी यूनिक्स उपकरणों की डेटा लंबाई सीमा के बिना। पर्ल ने अपनी पार्सिंग क्षमताओं के कारण 1990 के दशक के अंत में एक CGI स्क्रिप्टिंग भाषा के रूप में व्यापक लोकप्रियता प्राप्त की। CGI के अलावा पर्ल, ग्राफिक्स प्रोग्रामिंग, सिस्टम प्रशासन, नेटवर्क प्रोग्रामिंग, वित्त, जैव सूचना विज्ञान और अन्य अनुप्रयोगों के लिए काम में ली जाती है। अपने लचीलेपन और शक्ति के कारण पर्ल को प्रोग्रामिंग भाषाओं की "स्विस सेना के चेन-सा" की संज्ञा दी गयी है। .

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प्रोटोकॉल

कोई विवरण नहीं।

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सम स्रोत निर्धारक (स्रोनि)

यू.आर.एल एवं यू आर एन के बीच का संबंध। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सम स्रोत निर्धारक (स्रोनि) (युनिफॉर्म रिसोर्स लोकेशन) युनिफॉर्म रिसोर्स आइडेंटिफायर (यू आर आई) का एक सबसेट होता है, जिससे ये ज्ञात होता है, कि एक आइडेन्टिफाइड रिसोर्स एवं उसे पुनर्प्राप्त करने का तरीका कहाँ उपलब्ध है। प्रचलित अनुप्रयोगों एवं कई तकनीकी दस्तावेजों एवं मौखिक चर्चाओं में इसे प्रायः गलत रूप में स्रोनि (यू.आर.आई) के समानार्थी रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका सर्वज्ञात उदाहरण विश्वव्यापी वेब पर किसी जालपृष्ठ का पता होता है। .

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सी++

सी++ (C++; उच्चारण: सी प्लस-प्लस) एक स्थैतिक टाइप, स्वतंत्र-प्रपत्र, बहु-प्रतिमान संकलित, सामान्य प्रयोजन प्रोग्रामिंग भाषा है। यह एक मध्यस्तरीय भाषा के रूप में जानी जाती है, क्योंकि यह दोनों उच्च स्तर और निम्न स्तर की भाषा सुविधाओं का एक संयोजन है। यह जार्न स्तार्स्तप द्वारा विकसित सी भाषा की वृद्धि के रूप में बेल लेबोरेटरीज में 1979 में शुरू किया गया था। इस भाषा का मूल नाम सी विथ क्लासेस था, जिसे १९८३ में बदल कर सी++ कर दिया गया। यह एक आब्जेक्ट उन्मुखी (ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड) भाषा है। .

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वेब ब्राउज़र

deepak kumar parteti 4580551मोजिला फ़ायरफ़ॉक्स, एक बहुत प्रयुक्त होता वेब ब्राउज़र वेब ब्राउज़र एक प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है, जो की विश्वव्यापी वेब या स्थानीय सर्वर पर उपलब्ध लेख, छवियों, चल-छित्रों, संगीत और अन्य जानकारियों इत्यादि को देखने तथा अन्य इन्टरनेट सुविधाओं के प्रयोग करने मैं प्रयुक्त होता है।।हिन्दुस्तान लाइव।।४ नवंबर, २००९ वेब पृष्ठ एच.टी.एम.एल. नामक कंप्यूटर भाषा मैं लिखे जाते है, तथा वेब ब्राउजर उन एच.टी.एम.एल. पृष्ठों को उपभोक्ता के कंप्यूटर पर दर्शाता है। व्यक्तिगत कंप्यूटरों पर प्रयोग होने वाले कुछ मुख्य वेब ब्राउजर हैं इन्टरनेट एक्स्प्लोरर, मोजिला फ़ायरफ़ॉक्स,सफारी, ऑपेरा, फ्लॉक और गूगल क्रोम, इत्यादि है जबकी वेब ब्राउजरो के स्मार्टफोन संस्करण एच.टी.एम.एल. पृष्ठों को उपभोक्ता के मोबाइल पर दर्शाने मे सहायता करते है प्रत्येक कंप्यूटर एक प्रचालन तंत्र का समर्थन करता है, किसी के सिस्टम में विंडोज, तो किसी में लाइनक्स या यूनिक्स होता है। प्रत्येक व्यक्ति और कंपनी अपनी आवश्यकताओं के अनुसार प्रचालन तंत्र स्थापित करते हैं। प्रत्येक प्रचालन तंत्र की प्रोग्रामिंग अलग होती है और प्रकार्य भी अलग होते हैं। इंटरनेट के आरंभिक काल में प्रचालन तंत्र का अलग-अलग होना एक बड़ी समस्या थी। अलग प्रचालन तंत्र होने के कारण एक प्रचालन तंत्र को दूसरे से संचार के लिए समस्याएं आने लगीं। इस दौर में ऐसी भाषा की अत्यावश्यकता महसूस की जाने लगी, जो सभी प्रचालन तंत्रों के लिए समान हो। ऐसे में सूचना के आदान-प्रदान के लिए सर्वमान्य प्रोग्रामन भाषा एचटीएमएल (हाइपर टेक्सट मार्क अप लैंग्वेज) आई। इसकी प्रोग्रामिंग और प्रकार्य ऐसा बनाया गया, जो वेब ब्राउजर को समझ में आए। प्रत्येक वेबब्राउजर एचटीएमएल प्रोग्रामन भाषा को समझता है। आरंभ के दिनों के कई ब्राउजर सिर्फ एचटीएमल का समर्थन सपोर्ट करते थे, लेकिन वर्तमान में ब्राउजर एचटीएमएल जैसी दूसरी प्रोग्रामन भाषाओं जैसे कि एक्सएचटीएमएल, आदि को भी को सपोर्ट करने लगे। सन १९९१ में टिम बर्नर ली ने कई तकनीकों के संयुक्त प्रयोग से मिलाकर वेब ब्राउजर की नींव रखी थी। इस वेब ब्राउजर का नाम वर्ल्ड वाइड वेब रखा गया था, जिसे लघुनाम में डब्ल्यु.डब्ल्यु.डब्ल्यु भी कहते हैं। पृष्ठको यूआरएल (यूनीफॉर्म रिसोर्स लोकेटर) के रूप में लोकेट किया जाता है और यही यू.आर.एल वेब पते के तौर पर जाना जाता है। इस वेब पते का आरंभ अंग्रेज़ी के अक्षर-समूह एच टी टी पी से होता है। कई ब्राउजर एचटीटीपी के अलावा दूसरे यूआरएल टाइप और उनके प्रोटोकॉल जैसे गोफर, एफटीपी आदि को सपोर्ट करते हैं। .

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वेब सर्वर

डैल पावर एज वेब सर्वर का आंकरिक और बाहरी (पिछला) दृश्य वेब सर्वर वह सॉफ्टवेयर होता है जो वेब पेज सर्व करता है, अर्थात वह सॉफ्टवेयर जो वेब पेजों को उपयोक्ताओं तक पहुंचाता है। इसे दो भागों में बांट कर देखा जा सकता है: वह मशीन जिस पर वैबसर्वर को स्थापित किया जाता है और वो सॉफ्टवेयर जो वैब सर्वर की तरह काम करता है। ये पहला हार्डवेयर व दूसरा सॉफ्टवेयर होते हैं। सामान्यतयावे वेब पेज HTTP प्रोटोकॉल द्वारा उपयोक्ताओं तक पहुंचाये जाते है। किसी भी कंप्यूटर में वेब सर्वर का सॉफ्टवेयर स्थापित कर और उसे इंटरनेट से जोड़ कर उपयोक्ता उसे अंतरजाल पर वेब पेज प्रदान करने वाले वेब सर्वर में बदल सकते हैं। उपयोक्ता जो भी वेब पेज अंतरजाल पर देखते हैं वे उनके कंप्यूटर पर पास किसी ना किसी वेब सर्वर के द्वारा ही पहुंचाये जाते हैं। यदि उपयोक्ता अपने कंप्यूटर पर केवल सॉफ्टवेयर स्थापित करें और उसे इंटरनैट से ना जोड़े तो भी वो पूरा वेब सर्वर है जो कि केवल स्थानीय रूप से उपयोक्ता के लिये काम करेगा। .

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कार्बन

कार्बन का एक बहुरूप हीरा। कार्बन का एक अन्य बहुरूप ग्रेफाइट। पृथ्वी पर पाए जाने वाले तत्वों में कार्बन या प्रांगार एक प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इस रासायनिक तत्त्व का संकेत C तथा परमाणु संख्या ६, मात्रा संख्या १२ एवं परमाणु भार १२.००० है। कार्बन के तीन प्राकृतिक समस्थानिक 6C12, 6C13 एवं 6C14 होते हैं। कार्बन के समस्थानिकों के अनुपात को मापकर प्राचीन तथा पुरातात्विक अवशेषों की आयु मापी जाती है। कार्बन के परमाणुओं में कैटिनेशन नामक एक विशेष गुण पाया जाता है जिसके कारण कार्बन के बहुत से परमाणु आपस में संयोग करके एक लम्बी शृंखला का निर्माण कर लेते हैं। इसके इस गुण के कारण पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों की संख्या सबसे अधिक है। यह मुक्त एवं संयुक्त दोनों ही अवस्थाओं में पाया जाता है। इसके विविध गुणों वाले कई बहुरूप हैं जिनमें हीरा, ग्रेफाइट काजल, कोयला प्रमुख हैं। इसका एक अपरूप हीरा जहाँ अत्यन्त कठोर होता है वहीं दूसरा अपरूप ग्रेफाइट इतना मुलायम होता है कि इससे कागज पर निशान तक बना सकते हैं। हीरा विद्युत का कुचालक होता है एवं ग्रेफाइट सुचालक होता है। इसके सभी अपरूप सामान्य तापमान पर ठोस होते हैं एवं वायु में जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड गैस बनाते हैं। हाइड्रोजन, हीलियम एवं आक्सीजन के बाद विश्व में सबसे अधिक पाया जाने वाला यह तत्व विभिन्न रूपों में संसार के समस्त प्राणियों एवं पेड़-पौधों में उपस्थित है। यह सभी सजीवों का एक महत्त्वपूर्ण अवयव होता है, मनुष्य के शरीर में इसकी मात्रा १८.५ प्रतिशत होती है और इसको जीवन का रासायनिक आधार कहते हैं। कार्बन शब्द लैटिन भाषा के कार्बो शब्द से आया है जिसका अर्थ कोयला या चारकोल होता है। कार्बन की खोज प्रागैतिहासिक युग में हुई थी। कार्बन तत्व का ज्ञान विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं को भी था। चीन के लोग ५००० वर्षों पहले हीरे के बारे में जानते थे और रोम के लोग लकड़ी को मिट्टी के पिरामिड से ढककर चारकोल बनाते थे। लेवोजियर ने १७७२ में अपने प्रयोगो द्वारा यह प्रमाणित किया कि हीरा कार्बन का ही एक अपरूप है एवं कोयले की ही तरह यह जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड गैस उत्पन्न करता है। कार्बन का बहुत ही उपयोगी बहुरूप फुलेरेन की खोज १९९५ ई. में राइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर इ स्मैली तथा उनके सहकर्मियों ने की। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष १९९६ ई. का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। .

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