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केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय और मानक हिन्दी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय और मानक हिन्दी के बीच अंतर

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय vs. मानक हिन्दी

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, नई दिल्ली स्थित एक सरकारी विभाग है, जो भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन है और मानक हिन्दी के प्रसार के लिए उत्तरदायी है। यह देवनागरी लिपि के उपयोग और हिन्दी वर्तनी का विनियामन भी करता है।भारतीय संविधान के में हिन्दी भाषा के विकास के लिए दिए गए निर्देश को ध्यान में रखते हुए १ मार्च १९६० को केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की स्थापना की गई थी। इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय हैं जो चैन्नई, हैदराबाद, गुवाहाटी और कोलकाता में स्थित हैं। . मानक हिन्दी हिन्दी का मानक स्वरूप है जिसका शिक्षा, कार्यालयीन कार्यों आदि में प्रयोग किया जाता है। भाषा का क्षेत्र देश, काल और पात्र की दृष्टि से व्यापक है। इसलिये सभी भाषाओं के विविध रूप मिलते हैं। इन विविध रूपों में एकता की कोशिश की जाती है और उसे मानक भाषा कहा जाता है। हिन्दी में ‘मानक भाषा’ के अर्थ में पहले ‘साधु भाषा’, ‘टकसाली भाषा’, ‘शुद्ध भाषा’, ‘आदर्श भाषा’ तथा ‘परिनिष्ठित भाषा’ आदि का प्रयोग होता था। अंग्रेज़ी शब्द ‘स्टैंडर्ड’ के प्रतिशब्द के रूप में ‘मान’ शब्द के स्थिरीकरण के बाद ‘स्टैंडर्ड लैंग्विज’ के अनुवाद के रूप में ‘मानक भाषा’ शब्द चल पड़ा। अंग्रेज़ी के ‘स्टैंडर्ड’ शब्द की व्युत्पत्ति विवादास्पद है। कुछ लोग इसे ‘स्टैंड’ (खड़ा होना) से जोड़ते हैं तो कुछ लोग एक्सटैंड ‘बढ़ाना’ से। मेरे विचार में यह ‘स्टैंड’ से संबद्ध है। वह जो कड़ा होकर, स्पष्टतः औरों से अलग प्रतिमान का काम करे। ‘मानक भाषा’ भी अमानक भाषा-रूपों से अलग एक प्रतिमान का काम करती है। उसी के आधार पर किसी के द्वारा प्रयुक्त भाषा की मानकता अमानकता का निर्णय किया जाता है। .

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय और मानक हिन्दी के बीच समानता

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय और मानक हिन्दी आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मानक हिंदी वर्तनी, हिन्दी, हिन्दी वर्तनी मानकीकरण

मानक हिंदी वर्तनी

हिन्दी की वर्तनी के विविध पहलुओं को लेकर १९वीं शताब्दी के अन्तिम चरण से ही विविध प्रयास होते रहे हैं। इसी तारतम्य में केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा वर्ष 2003 में देवनागरी लिपि तथा हिंदी वर्तनी के मानकीकरण के लिए अखिल भारतीय संगोष्ठी का आयोजन किया था। इस संगोष्ठी में मानक हिंदी वर्तनी के लिए निम्नलिखित नियम निर्धारित किए गए थे जिन्हें सन २०१२ में आईएस/IS 16500: 2012 के रूप में लागू किया गया है। .

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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हिन्दी वर्तनी मानकीकरण

भाषा की वर्तनी का अर्थ उस भाषा में शब्दों को वर्णों से अभिव्यक्त करने की क्रिया को कहते हैं। हिन्दी में इसकी आवश्यकता काफी समय तक नहीं समझी जाती थी; जबकि अन्य कई भाषाओं, जैसे अंग्रेजी व उर्दू में इसका महत्त्व था। अंग्रेजी व उर्दू में अर्धशताब्दी पहले भी वर्तनी (अंग्रेज़ी:स्पेलिंग, उर्दू:हिज्जों) की रटाई की जाती थी जो आज भी अभ्यास में है। हिन्दी भाषा का पहला और बड़ा गुण ध्वन्यात्मकता है। हिन्दी में उच्चरित ध्वनियों को व्यक्त करना बड़ा सरल है। जैसा बोला जाए, वैसा ही लिख जाए। यह देवनागरी लिपि की बहुमुखी विशेषता के कारण ही संभव था और आज भी है। परन्तु यह बात शत-प्रतिशत अब ठीक नहीं है। इसके अनेक कारण है - क्षेत्रीय आंचलिक उच्चारण का प्रभाव, अनेकरूपता, भ्रम, परंपरा का निर्वाह आदि। जब यह अनुभव किया जाने लगा कि एक ही शब्द की कई-कई वर्तनी मिलती हैं तो इनको अभिव्यक्त करने के लिए किसी सार्थक शब्द की तलाश हुई (‘हुई’ शब्द की विविधता द्रष्टव्य है - हुइ, हुई, हुवी)। इस कारण से मानकीकरण की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। हिन्दी शब्द लिखने की दो प्रचलित वर्तनियाँ (ऊपर), (नीचे)हिन्दी फोनोलॉजी सारणी (बाएं), आर्यभाट्ट सारणी (दाएं) .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय और मानक हिन्दी के बीच तुलना

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय 21 संबंध है और मानक हिन्दी 5 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 11.54% है = 3 / (21 + 5)।

संदर्भ

यह लेख केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय और मानक हिन्दी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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