लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

कॅप्लर-२०ऍफ़

सूची कॅप्लर-२०ऍफ़

शुक्र ग्रहों से तुलना कॅप्लर-२०ऍफ़ (Kepler-20f) एक ग़ैर-सौरीय ग्रह है जो पृथ्वी से लगभग ९५० प्रकाश वर्षों की दूरी पर लायरा तारामंडल में स्थित कॅप्लर-२० तारे की परिक्रमा कर रहा है। यह पहला ज्ञात ग़ैर-सौरीय ग्रह है जिसका अकार पृथ्वी से मिलता-जुलता है। इसका व्यास (डायामीटर) पृथ्वी के व्यास का लगभग १.०३ गुना है। यह अपने तारे से १.६ करोड़ किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा करता है, जो सूरज से बुध ग्रह (मरक्युरी) की दूरी से भी कम है। इस वजह से इसका सतही तापमान काफी गरम है और ४२७ °सेंटीग्रेड अनुमानित किया गया है। इस तापमान पर इसकी सतह पर पानी होने की कोई संभावना नहीं है और यह अपने तारे के वासयोग्य क्षेत्र में नहीं है। इस ग्रह की मिल जाने की घोषणा वैज्ञानिकों ने २० दिसम्बर २०११ को की। इस से पहले ब्रह्माण्ड में मिलने वाले सभी ग़ैर-सौरीय ग्रह पृथ्वी से बड़े थे - या तो वे गैस दानव ग्रह थे और या फिर महापृथ्वी के श्रेणी के बड़े ग्रह थे। पृथ्वी के आकार के ग्रह को देख पाने का अर्थ है कि अब वैज्ञानिकों में इस अकार के ग्रह इतनी दूरी पर खोज निकालने की क्षमता विकसित होनी शुरू हो गई है। इस ग्रह का पता कॅप्लर अंतरिक्ष यान के प्रयोग से लगाया गया। कॅप्लर-२० तारे के मंडल में कुल मिलकर पांच ग्रह ज्ञात हुए हैं और कॅप्लर-२०ऍफ़ से भी छोटा एक ग्रह मिला है जो इस तारे के और भी पास परिक्रमा करता है - इस ग्रह का नामकरण कॅप्लर-२०ई (Kepler-20e) किया गया है। .

12 संबंधों: नासा, प्रकाश-वर्ष, पृथ्वी, बहिर्ग्रह, बुध (ग्रह), महापृथ्वी, लायरा तारामंडल, शुक्र, वासयोग्य क्षेत्र, गैस दानव, केप्लर अंतरिक्ष यान, कॅप्लर-२० तारा

नासा

नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (हिन्दी अनुवाद:राष्ट्रीय वैमानिकी और अन्तरिक्ष प्रबंधन; National Aeronautics and Space Administration) या जिसे संक्षेप में नासा (NASA) कहते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की शाखा है जो देश के सार्वजनिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों व एरोनॉटिक्स व एरोस्पेस संशोधन के लिए जिम्मेदार है। फ़रवरी 2006 से नासा का लक्ष्य वाक्य "भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण, वैज्ञानिक खोज और एरोनॉटिक्स संशोधन को बढ़ाना" है। 14 सितंबर 2011 में नासा ने घोषणा की कि उन्होंने एक नए स्पेस लॉन्च सिस्टम के डिज़ाइन का चुनाव किया है जिसके चलते संस्था के अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में और दूर तक सफर करने में सक्षम होंगे और अमेरिका द्वारा मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया कदम साबित होंगे। नासा का गठन नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम के अंतर्गत 19 जुलाई 1948 में इसके पूर्वाधिकारी संस्था नैशनल एडवाइज़री कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (एनसीए) के स्थान पर किया गया था। इस संस्था ने 1 अक्टूबर 1948 से कार्य करना शुरू किया। तब से आज तक अमेरिकी अंतरिक्ष अन्वेषण के सारे कार्यक्रम नासा द्वारा संचालित किए गए हैं जिनमे अपोलो चन्द्रमा अभियान, स्कायलैब अंतरिक्ष स्टेशन और बाद में अंतरिक्ष शटल शामिल है। वर्तमान में नासा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को समर्थन दे रही है और ओरायन बहु-उपयोगी कर्मीदल वाहन व व्यापारिक कर्मीदल वाहन के निर्माण व विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। संस्था लॉन्च सेवा कार्यक्रम (एलएसपी) के लिए भी जिम्मेदार है जो लॉन्च कार्यों व नासा के मानवरहित लॉन्चों कि उलटी गिनती पर ध्यान रखता है। .

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और नासा · और देखें »

प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और प्रकाश-वर्ष · और देखें »

पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और पृथ्वी · और देखें »

बहिर्ग्रह

धूल के बादल में फ़ुमलहौत बी ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया (हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) बहिर्ग्रह (exoplanet) या ग़ैर-सौरीय ग्रह (extrasolar planet, ऍक्स्ट्रासोलर प्लैनॅट) ऐसे ग्रह को कहा जाता है जो हमारे सौर मण्डल से बाहर स्थित हो। सन् १९९२ तक खगोलशास्त्रियों को एक भी ग़ैर-सौरीय ग्रह के अस्तित्व का ज्ञान नहीं था, लेकिन उसके बाद बहुत से ऐसे ग्रह मिल चुके हैं। २४ मई २०११ तक ५५२ ग़ैर-सौरीय ग्रह ज्ञात हो चुके थे। क्योंकि इनमें से अधिकतर को सीधा देखने के लिए तकनीकें अभी विकसित नहीं हुई हैं, इसलिए सौ प्रतिशत भरोसे से नहीं कहा जा सकता के वास्तव में यह सारे ग्रह मौजूद हैं, लेकिन इनके तारों पर पड़ रहे गुरुत्वाकर्षक प्रभाव और अन्य लक्षणों से वैज्ञानिक इनके अस्तित्व के बारे में विश्वस्त हैं। अनुमान लगाया जाता है के सूरज की श्रेणी के लगभग १०% तारों के इर्द-गिर्द ग्रह परिक्रमा कर रहे हैं, हालांकि यह संख्या उस से भी अधिक हो सकती है। कॅप्लर अंतरिक्ष क्षोध यान द्वारा एकत्रित जानकारी के बूते पर कुछ वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है के आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) में कम-से-कम ५० अरब ग्रहों के होने की सम्भावना है। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने जनवरी २०१३ में अनुमान लगाया कि आकाशगंगा में इस अनुमान से भी दुगने, यानि १०० अरब, ग्रह हो सकते हैं। .

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और बहिर्ग्रह · और देखें »

बुध (ग्रह)

बुध (Mercury), सौरमंडल के आठ ग्रहों में सबसे छोटा और सूर्य से निकटतम है। इसका परिक्रमण काल लगभग 88 दिन है। पृथ्वी से देखने पर, यह अपनी कक्षा के ईर्दगिर्द 116 दिवसो में घूमता नजर आता है जो कि ग्रहों में सबसे तेज है। गर्मी बनाए रखने के लिहाज से इसका वायुमंडल चुंकि करीब करीब नगण्य है, बुध का भूपटल सभी ग्रहों की तुलना में तापमान का सर्वाधिक उतार-चढाव महसूस करता है, जो कि 100 K (−173 °C; −280 °F) रात्रि से लेकर भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में दिन के समय 700 K (427 °C; 800 °F) तक है। वहीं ध्रुवों के तापमान स्थायी रूप से 180 K (−93 °C; −136 °F) के नीचे है। बुध के अक्ष का झुकाव सौरमंडल के अन्य किसी भी ग्रह से सबसे कम है (एक डीग्री का करीब), परंतु कक्षीय विकेन्द्रता सर्वाधिक है। बुध ग्रह पर की तुलना में सूर्य से करीब 1.5 गुना ज्यादा दूर होता है। बुध की धरती क्रेटरों से अटी पडी है तथा बिलकुल हमारे चन्द्रमा जैसी नजर आती है, जो इंगित करता है कि यह भूवैज्ञानिक रूप से अरबो वर्षों तक मृतप्राय रहा है। बुध को पृथ्वी जैसे अन्य ग्रहों के समान मौसमों का कोई भी अनुभव नहीं है। यह जकडा हुआ है इसलिए इसके घूर्णन की राह सौरमंडल में अद्वितीय है। किसी स्थिर खडे सितारे के सापेक्ष देखने पर, यह हर दो कक्षीय प्रदक्षिणा के दरम्यान अपनी धूरी के ईर्दगिर्द ठीक तीन बार घूम लेता है। सूर्य की ओर से, किसी ऐसे फ्रेम ऑफ रिफरेंस में जो कक्षीय गति से घूमता है, देखने पर यह हरेक दो बुध वर्षों में मात्र एक बार घूमता नजर आता है। इस कारण बुध ग्रह पर कोई पर्यवेक्षक एक दिवस हरेक दो वर्षों का देखेगा। बुध की कक्षा चुंकि पृथ्वी की कक्षा (शुक्र के भी) के भीतर स्थित है, यह पृथ्वी के आसमान में सुबह में या शाम को दिखाई दे सकता है, परंतु अर्धरात्रि को नहीं। पृथ्वी के सापेक्ष अपनी कक्षा पर सफर करते हुए यह शुक्र और हमारे चन्द्रमा की तरह कलाओं के सभी रुपों का प्रदर्शन करता है। हालांकि बुध ग्रह बहुत उज्जवल वस्तु जैसा दिख सकता है जब इसे पृथ्वी से देख जाए, सूर्य से इसकी निकटता शुक्र की तुलना में इसे देखना और अधिक कठिन बनाता है। .

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और बुध (ग्रह) · और देखें »

महापृथ्वी

पृथ्वी और "कॅप्लर-१०बी" नामक महापृथ्वी ग्रह के आकारों की तुलना व्यास (r) और द्रव्यमान (m) एक सीमा में संतुलन में होने से कोई ग्रह महापृथ्वी बनता है - नीली लकीर पर स्थित ग्रह पूरे बानी और बर्फ़ के होंगे और लाल लकीर वाले ग्रह लगभग पूरे लोहे के होंगे - इन दोनों के बीच में महापृथ्वियाँ मिलती हैं वरुण के आकारों की तुलना महापृथ्वी ऐसे ग़ैर-सौरीय ग्रह को कहा जाता है जो पृथ्वी से अधिक द्रव्यमान (मास) रखता हो लेकिन सौर मंडल के बृहस्पति और शनि जैसे गैस दानव ग्रहों से काफ़ी कम द्रव्यमान रखे।Valencia et al., Radius and structure models of the first super-Earth planet, September 2006, published in The Astrophysical Journal, February 2007 .

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और महापृथ्वी · और देखें »

लायरा तारामंडल

लायरा तारामंडल लायरा तारामंडल का एक और चित्र लायरा एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसका मुख्य तारा अभिजीत है जो रात्री के आसमान का पाँचवा सब से रोशन तारा है। .

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और लायरा तारामंडल · और देखें »

शुक्र

शुक्र (Venus), सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है। ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है। इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक पहुँच जाता है और यह छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्जवलता है। चूँकि शुक्र एक अवर ग्रह है इसलिए पृथ्वी से देखने पर यह कभी सूर्य से दूर नज़र नहीं आता है: इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है। शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में संदर्भित किया गया है। शुक्र एक स्थलीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत है और समान आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना के कारण कभी कभी उसे पृथ्वी का "बहन ग्रह" कहा गया है। शुक्र आकार और दूरी दोनों मे पृथ्वी के निकटतम है। हालांकि अन्य मामलों में यह पृथ्वी से एकदम अलग नज़र आता है। शुक्र सल्फ्यूरिक एसिड युक्त अत्यधिक परावर्तक बादलों की एक अपारदर्शी परत से ढँका हुआ है। जिसने इसकी सतह को दृश्य प्रकाश में अंतरिक्ष से निहारने से बचा रखा है। इसका वायुमंडल चार स्थलीय ग्रहों मे सघनतम है और अधिकाँशतः कार्बन डाईऑक्साइड से बना है। ग्रह की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी की तुलना मे 92 गुना है। 735° K (462°C,863°F) के औसत सतही तापमान के साथ शुक्र सौर मंडल मे अब तक का सबसे तप्त ग्रह है। कार्बन को चट्टानों और सतही भूआकृतियों में वापस जकड़ने के लिए यहाँ कोई कार्बन चक्र मौजूद नही है और ना ही ज़ीवद्रव्य को इसमे अवशोषित करने के लिए कोई कार्बनिक जीवन यहाँ नज़र आता है। शुक्र पर अतीत में महासागर हो सकते हैलेकिन अनवरत ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान के साथ वह वाष्पीकृत होते गये होंगे |B.M. Jakosky, "Atmospheres of the Terrestrial Planets", in Beatty, Petersen and Chaikin (eds), The New Solar System, 4th edition 1999, Sky Publishing Company (Boston) and Cambridge University Press (Cambridge), pp.

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और शुक्र · और देखें »

वासयोग्य क्षेत्र

वासयोग्य क्षेत्र कहाँ है यह तारे पर निर्भर है (ऊपर-नीचे तारों का आकार है, दाएँ-बाएँ तारे से दूरी है) खगोलशास्त्र में किसी तारे का वासयोग्य क्षेत्र (habitable zone) उस तारे से उतनी दूरी का क्षेत्र होता है जहाँ पृथ्वी जैसा ग्रह अपनी सतह पर द्रव (लिक्विड) अवस्था में पानी रख पाए और वहाँ पर जीव जी सकें। अगर कोई ग्रह अपने तारे की परिक्रमा वासयोग्य क्षेत्र से ज़्यादा पास कर रहा है तो सम्भावना अधिक है के उसपर पानी उबल कर लगभग ख़त्म हो जाएगा और उस ग्रह के वातावरण का तापमान भी जीव-जंतुओं के लिए बहुत अधिक गरम होगा। अगर इसके विपरीत कोई ग्रह अपने तारे के वासयोग्य क्षेत्र से ज़्यादा दूरी पर होगा तो उस पर बहुत सर्दी होगी और अगर पानी मौजूद भी हुआ तो सख्त बर्फ़ में जमा हुआ होगा और तारे से मिलने वाला प्रकाश भी शायद इतना कमज़ोर होगा के उसकी उर्जा पौधे जैसे जीवों के लिया काफ़ी नहीं है। किसी तारे का वासयोग्य क्षेत्र उस तारे से कितनी दूरी पर है यह बात उस तारे पर निर्भर करती है। अगर तारा अधिक तेज़ी से विकिरण (रेडीएशन) देता है और बड़ा है, तो उसका वासयोग्य क्षेत्र किसी छोटे या अधिक ठन्डे तारे से अधिक दूरी पर होगा। .

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और वासयोग्य क्षेत्र · और देखें »

गैस दानव

हमारे सौर मण्डल के चार गैस दानव - सूर्य के आगे दर्शाए गए गैस दानव उन ग्रहों को कहा जाता है जिनमें मिटटी-पत्थर की बजाय ज़्यादातर गैस ही गैस होती है और जिनका आकार बहुत ही विशाल होता है। हमारे सौर मण्डल में चार ग्रह इस श्रेणी में आते हैं - बृहस्पति, शनि, अरुण (युरेनस)) और वरुण (नॅप्टयून)। इनमें पायी जाने वाली गैस ज़्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम होती है, हालाँकि इनमें अक्सर और गैसें भी मिलती हैं, जैसे कि अमोनिया। अन्य सौर मंडलों में बहुत से गैस दानव ग्रह पाए जा चुके हैं। .

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और गैस दानव · और देखें »

केप्लर अंतरिक्ष यान

निर्मित होते हुआ कॅप्लर अंतरिक्ष यान कॅप्लर अंतरिक्ष यान (अंग्रेज़ी:Kepler spacecraft) अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्थान, नासा, का एक अंतरिक्ष यान है, जिसका काम सूरज से अलग किंतु उसी तरह अन्य तारों के इर्द-गिर्द ऐसे ग़ैर-सौरीय ग्रहों को ढूंढना है जो पृथ्वी से मिलते-जुलते हों। कॅप्लर को ७ मार्च २००९ में रोकेट के ज़रिये अंतरिक्ष में भेजा गया था, जहाँ यह अब पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है और अन्य तारों पर अपनी नज़रें रखे हुए है। अनुमान है कि यह कम-से-कम ३.५ वर्ष तक अपना कार्य करेगा। .

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और केप्लर अंतरिक्ष यान · और देखें »

कॅप्लर-२० तारा

शुक्र ग्रहों से तुलना कॅप्लर-२० उर्फ़ कॅप्लर-२०ए (Kepler-20a) पृथ्वी से ९५० प्रकाश वर्ष दूर लायरा तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G8 श्रेणी का तारा है। यह आकार में हमारे सूरज से ज़रा छोटा है - इसका द्रव्यमान (मास) हमारे सूरज के द्रव्यमान का ०.९१ गुना और इसका व्यास (डायामीटर) हमारे सूरज के व्यास का ०.९४ गुना अनुमानित किया गया है। सम्भव है कि यह एक मुख्य अनुक्रम तारा है हालाँकि वैज्ञानिकों को अभी यह पक्का ज्ञात नहीं हुआ है। पृथ्वी से देखा गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +१२.५१ मैग्नीट्यूड मापी गई है, यानी इसे देखने के लिए दूरबीन आवश्यक है। इसके इर्द-गिर्द एक ग्रहीय मंडल मिला है, जिसमें पांच ज्ञात ग़ैर-सौरीय ग्रह इस तारे की परिक्रमा कर रहे हैं। .

नई!!: कॅप्लर-२०ऍफ़ और कॅप्लर-२० तारा · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »