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कूर्म अवतार और हिन्दू धर्म

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कूर्म अवतार और हिन्दू धर्म के बीच अंतर

कूर्म अवतार vs. हिन्दू धर्म

कूर्म अवतार कूर्म अवतार को 'कच्छप अवतार' (कछुआ के रूप में अवतार) भी कहते हैं। कूर्म के अवतार में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदार पर्वत को अपने कवच पर संभाला था। इस प्रकार भगवान विष्णु, मंदर पर्वत और वासुकि नामक सर्प की सहायता से देवों एंव असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नोंकी प्राप्ति की। इस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप भी धारण किया था। नरसिंहपुराण के अनुसार कूर्मावतार द्वितीय अवतार है जबकि भागवतपुराण (१.३.१६) के अनुसार ग्यारहवाँ अवतार। शतपथ ब्राह्मण (७.५.१.५-१०), महाभारत (आदि पर्व, १६) तथा पद्मपुराण (उत्तराखंड, २५९) में उल्लेख है कि संतति प्रजनन हेतु प्रजापति, कच्छप का रूप धारण कर पानी में संचरण करता है। लिंगपुराण (९४) के अनुसार पृथ्वी रसातल को जा रही थी, तब विष्णु ने कच्छपरूप में अवतार लिया। उक्त कच्छप की पीठ का घेरा एक लाख योजन था। पद्मपुराण (ब्रह्मखड, ८) में वर्णन हैं कि इंद्र ने दुर्वासा द्वारा प्रदत्त पारिजातक माला का अपमान किया तो कुपित होकर दुर्वासा ने शाप दिया, तुम्हारा वैभव नष्ट होगा। परिणामस्वरूप लक्ष्मी समुद्र में लुप्त हो गई। पश्चात् विष्णु के आदेशानुसार देवताओं तथा दैत्यों ने लक्ष्मी को पुन: प्राप्त करने के लिए मंदराचल की मथानी तथा वासुकी की डोर बनाकर क्षीरसागर का मंथन किया। मंथन करते समय मंदराचल रसातल को जाने लगा तो विष्णु ने कच्छप के रूप में अपनी पीठ पर धारण किया और देवदानवों ने समुद्र से अमृत एवं लक्ष्मी सहित १४ रत्नों की प्राप्ति करके पूर्ववत् वैभव संपादित किया। एकादशी का उपवास लोक में कच्छपावतार के बाद ही प्रचलित हुआ। कूर्मपुराण में विष्णु ने अपने कच्छपावतार में ऋषियों से जीवन के चार लक्ष्यों (धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष) की वर्णन किया था। . हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

कूर्म अवतार और हिन्दू धर्म के बीच समानता

कूर्म अवतार और हिन्दू धर्म आम में 7 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): धर्म, पृथ्वी, महाभारत, लक्ष्मी, शिव, विष्णु, इन्द्र

धर्म

धर्मचक्र (गुमेत संग्रहालय, पेरिस) धर्म का अर्थ होता है, धारण, अर्थात जिसे धारण किया जा सके, धर्म,कर्म प्रधान है। गुणों को जो प्रदर्शित करे वह धर्म है। धर्म को गुण भी कह सकते हैं। यहाँ उल्लेखनीय है कि धर्म शब्द में गुण अर्थ केवल मानव से संबंधित नहीं। पदार्थ के लिए भी धर्म शब्द प्रयुक्त होता है यथा पानी का धर्म है बहना, अग्नि का धर्म है प्रकाश, उष्मा देना और संपर्क में आने वाली वस्तु को जलाना। व्यापकता के दृष्टिकोण से धर्म को गुण कहना सजीव, निर्जीव दोनों के अर्थ में नितांत ही उपयुक्त है। धर्म सार्वभौमिक होता है। पदार्थ हो या मानव पूरी पृथ्वी के किसी भी कोने में बैठे मानव या पदार्थ का धर्म एक ही होता है। उसके देश, रंग रूप की कोई बाधा नहीं है। धर्म सार्वकालिक होता है यानी कि प्रत्येक काल में युग में धर्म का स्वरूप वही रहता है। धर्म कभी बदलता नहीं है। उदाहरण के लिए पानी, अग्नि आदि पदार्थ का धर्म सृष्टि निर्माण से आज पर्यन्त समान है। धर्म और सम्प्रदाय में मूलभूत अंतर है। धर्म का अर्थ जब गुण और जीवन में धारण करने योग्य होता है तो वह प्रत्येक मानव के लिए समान होना चाहिए। जब पदार्थ का धर्म सार्वभौमिक है तो मानव जाति के लिए भी तो इसकी सार्वभौमिकता होनी चाहिए। अतः मानव के सन्दर्भ में धर्म की बात करें तो वह केवल मानव धर्म है। हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, जैन या बौद्ध आदि धर्म न होकर सम्प्रदाय या समुदाय मात्र हैं। “सम्प्रदाय” एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। (पालि: धम्म) भारतीय संस्कृति और दर्शन की प्रमुख संकल्पना है। 'धर्म' शब्द का पश्चिमी भाषाओं में कोई तुल्य शब्द पाना बहुत कठिन है। साधारण शब्दों में धर्म के बहुत से अर्थ हैं जिनमें से कुछ ये हैं- कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि। .

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पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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लक्ष्मी

लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। वो भगवान विष्णु की पत्नी हैं और धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। दीपावली के त्योहार में उनकी गणेश सहित पूजा की जाती है। गायत्री की कृपा से मिलने वाले वरदानों में एक लक्ष्मी भी है। जिस पर यह अनुग्रह उतरता है, वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, असंतुष्ट एवं पिछड़ेपन से ग्रसित नहीं रहता। स्वच्छता एवं सुव्यवस्था के स्वभाव को भी 'श्री' कहा गया है। यह सद्गुण जहाँ होंगे, वहाँ दरिद्रता, कुरुपता टिक नहीं सकेगी। पदार्थ को मनुष्य के लिए उपयोगी बनाने और उसकी अभीष्ट मात्रा उपलब्ध करने की क्षमता को लक्ष्मी कहते हैं। यों प्रचलन में तो 'लक्ष्मी' शब्द सम्पत्ति के लिए प्रयुक्त होता है, पर वस्तुतः वह चेतना का एक गुण है, जिसके आधार पर निरुपयोगी वस्तुओं को भी उपयोगी बनाया जा सकता है। मात्रा में स्वल्प होते हुए भी उनका भरपूर लाभ सत्प्रयोजनों के लिए उठा लेना एक विशिष्ट कला है। वह जिसे आती है उसे लक्ष्मीवान्, श्रीमान् कहते हैं। शेष अमीर लोगों को धनवान् भर कहा जाता है। गायत्री की एक किरण लक्ष्मी भी है। जो इसे प्राप्त करता है, उसे स्वल्प साधनों में भी अथर् उपयोग की कला आने के कारण सदा सुसम्पन्नों जैसी प्रसन्नता बनी रहती है। .

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शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

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विष्णु

वैदिक समय से ही विष्णु सम्पूर्ण विश्व की सर्वोच्च शक्ति तथा नियन्ता के रूप में मान्य रहे हैं। हिन्दू धर्म के आधारभूत ग्रन्थों में बहुमान्य पुराणानुसार विष्णु परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं। पुराणों में त्रिमूर्ति विष्णु को विश्व का पालनहार कहा गया है। त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप ब्रह्मा और शिव को माना जाता है। ब्रह्मा को जहाँ विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, वहीं शिव को संहारक माना गया है। मूलतः विष्णु और शिव तथा ब्रह्मा भी एक ही हैं यह मान्यता भी बहुशः स्वीकृत रही है। न्याय को प्रश्रय, अन्याय के विनाश तथा जीव (मानव) को परिस्थिति के अनुसार उचित मार्ग-ग्रहण के निर्देश हेतु विभिन्न रूपों में अवतार ग्रहण करनेवाले के रूप में विष्णु मान्य रहे हैं। पुराणानुसार विष्णु की पत्नी लक्ष्मी हैं। कामदेव विष्णु जी का पुत्र था। विष्णु का निवास क्षीर सागर है। उनका शयन शेषनाग के ऊपर है। उनकी नाभि से कमल उत्पन्न होता है जिसमें ब्रह्मा जी स्थित हैं। वह अपने नीचे वाले बाएँ हाथ में पद्म (कमल), अपने नीचे वाले दाहिने हाथ में गदा (कौमोदकी),ऊपर वाले बाएँ हाथ में शंख (पाञ्चजन्य) और अपने ऊपर वाले दाहिने हाथ में चक्र(सुदर्शन) धारण करते हैं। शेष शय्या पर आसीन विष्णु, लक्ष्मी व ब्रह्मा के साथ, छंब पहाड़ी शैली के एक लघुचित्र में। .

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इन्द्र

इन्द्र (या इंद्र) हिन्दू धर्म में सभी देवताओं के राजा का सबसे उच्च पद था जिसकी एक अलग ही चुनाव-पद्धति थी। इस चुनाव पद्धति के विषय में स्पष्ट वर्णन उपलब्ध नहीं है। वैदिक साहित्य में इन्द्र को सर्वोच्च महत्ता प्राप्त है लेकिन पौराणिक साहित्य में इनकी महत्ता निरन्तर क्षीण होती गयी और त्रिदेवों की श्रेष्ठता स्थापित हो गयी। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

कूर्म अवतार और हिन्दू धर्म के बीच तुलना

कूर्म अवतार 31 संबंध है और हिन्दू धर्म 113 है। वे आम 7 में है, समानता सूचकांक 4.86% है = 7 / (31 + 113)।

संदर्भ

यह लेख कूर्म अवतार और हिन्दू धर्म के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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