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कुली-बेगार आन्दोलन और बागेश्वर जिला

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कुली-बेगार आन्दोलन और बागेश्वर जिला के बीच अंतर

कुली-बेगार आन्दोलन vs. बागेश्वर जिला

कुली-बेगार आन्दोलन 1921 में उत्तर भारत के बागेश्वर नगर में आम जनता द्वारा अहिंसक आन्दोलन था। इस आन्दोलन का नेतृत्व बद्री दत्त पाण्डे ने किया, तथा आंदोलन के सफल होने के बाद उन्हें 'कुमाऊं केसरी' की उपाधि दी गयी। इस आन्दोलन का उद्देश्य कुली बेगार प्रथा बन्द कराने के लिये अंग्रेजों पर दबाव बनाना था। आंदोलन से प्रभावित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसे 'रक्तहीन क्रांति' का नाम दिया। . बागेश्वर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है, जिसके मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर तथा पूर्व में पिथौरागढ़ जिला, पश्चिम में चमोली जिला, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जिला है। बागेश्वर जिले की स्थापना १५ सितंबर १९९७ को अल्मोड़ा के उत्तरी क्षेत्रों से की गयी थी। २०११ की जनगणना के अनुसार रुद्रप्रयाग तथा चम्पावत के बाद यह उत्तराखण्ड का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है। यह जिला धार्मिक गाथाओं, पर्व आयोजनों और अत्याकर्षक प्राकृतिक दृश्यों के कारण प्रसिद्ध है। प्राचीन प्रमाणों के आधार पर बागेश्वर शब्द को ब्याघ्रेश्वर से विकसित माना गया है। यह शब्द प्राचीन भारतीय साहित्य में अधिक प्रसिद्ध है। बागनाथ मंदिर, कौसानी, बैजनाथ, विजयपुर आदि जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। जिले में ही स्थित पिण्डारी, काफनी, सुन्दरढूंगा इत्यादि हिमनदों से पिण्डर तथा सरयू नदियों का उद्गम होता है। .

कुली-बेगार आन्दोलन और बागेश्वर जिला के बीच समानता

कुली-बेगार आन्दोलन और बागेश्वर जिला आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): दैनिक जागरण, बद्री दत्त पाण्डेय, बागेश्वर, अमर उजाला, अल्मोड़ा

दैनिक जागरण

दैनिक जागरण उत्तर भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय समाचारपत्र है। पिछले कई वर्षोँ से यह भारत में सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला समाचार-पत्र बन गया है। यह समाचारपत्र विश्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला दैनिक है। इस बात की पुष्टि विश्व समाचारपत्र संघ (वैन) द्वारा की गई है। वर्ष 2008 में बीबीसी और रॉयटर्स की नामावली के अनुसार यह प्रतिवेदित किया गया कि यह भारत में समाचारों का सबसे विश्वसनीय स्रोत दैनिक जागरण है। .

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बद्री दत्त पाण्डेय

बद्री दत्त पांडे (जन्म 15 फरवरी 1882, कनखल हरिद्वार) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। सात वर्ष की आयु में उनके माता-पिता का निधन हो गया। बद्री दत्त पांडे मूल रूप से अल्मोड़ा के रहने वाले थे। इसलिए माता-पिता के निधन के बाद वह अल्मोड़ा आ गए। अल्मोड़ा में ही उन्होंने पढ़ाई की। 1903 में उन्होंने नैनीताल में एक स्कूल में शिक्षण कार्य किया। कुछ समय बाद देहरादून में उनकी सरकारी नौकरी लग गई, लेकिन जल्दी ही उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और पत्रकारिता में आ गए। उन्होंने 1903 से 1910 तक देहरादून में लीडर नामक अखबार में काम किया। 1913 में उन्होंने अल्मोड़ा अखबार की स्थापना की। उन्होंने इस अखबार के जरिए स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने का काम किया। इसी कारण कई बार अंग्रेज अफसर इस अखबार के प्रकाशन पर रोक लगा देते थे। अल्मोड़ा अखबार को ही उन्होंने शक्ति अखबार का रूप दिया। शक्ति साप्ताहिक अखबार आज भी लगातार प्रकाशित हो रहा है। 1921 में कुली बेगार आंदोलन में बीडी पांडे की भूमिका को हमेशा याद किया जाता है। उन्हें कुमाऊं केसरी की उपाधि से भी नवाजा गया। बद्री दत्त पांडे 1921 में एक साल, 1930 में 18 माह, 1932 में एक साल, 1941 में तीन माह जेल में रहे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्हें जेल भेजा गया। आजादी के बाद भी अल्मोड़ा में रहकर वह सामाजिक कार्यों में सक्रियता से हिस्सा लेते रहे। 1957 में दूसरी लोकसभा के लिए हुए चुनाव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हरगोविंद पंत चुने गए, लेकिन कुछ ही माह में उनका निधन हो गया। इसके बाद सितंबर 1957 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बद्री दत्त पांडे को प्रत्याशी बनाया और वह विजयी हुए। बद्री दत्त पांडे बहुत बेबाक माने जाते थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को मिलने वाली पेंशन आदि का लाभ भी नहीं लिया। 1962 के चीन युद्ध के समय अपने सारे मेडल, पुरस्कार आदि सरकार को भेंट कर दिए। 13 फरवरी 1965 को पंडित बद्रीदत्त पाण्डेय का निधन हो गया। श्रेणी:1882 में जन्मे लोग श्रेणी:१९६५ में निधन श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता सेनानी.

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बागेश्वर

बागेश्वर उत्तराखण्ड राज्य में सरयू और गोमती नदियों के संगम पर स्थित एक तीर्थ है। यह बागेश्वर जनपद का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यहाँ बागेश्वर नाथ का प्राचीन मंदिर है, जिसे स्थानीय जनता "बागनाथ" या "बाघनाथ" के नाम से जानती है। मकर संक्रांति के दिन यहाँ उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा मेला लगता है। स्वतंत्रता संग्राम में भी बागेश्वर का बड़ा योगदान है। कुली-बेगार प्रथा के रजिस्टरों को सरयू की धारा में बहाकर यहाँ के लोगों ने अपने अंचल में गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन शुरवात सन १९२० ई. में की। सरयू एवं गोमती नदी के संगम पर स्थित बागेश्वर मूलतः एक ठेठ पहाड़ी कस्बा है। परगना दानपुर के 473, खरही के 66, कमस्यार के 166, पुँगराऊ के 87 गाँवों का समेकन केन्द्र होने के कारण यह प्रशासनिक केन्द्र बन गया। मकर संक्रान्ति के दौरान लगभग महीने भर चलने वाले उत्तरायणी मेले की व्यापारिक गतिविधियों, स्थानीय लकड़ी के उत्पाद, चटाइयाँ एवं शौका तथा भोटिया व्यापारियों द्वारा तिब्बती ऊन, सुहागा, खाल तथा अन्यान्य उत्पादों के विनिमय ने इसको एक बड़ी मण्डी के रूप में प्रतिष्ठापित किया। 1950-60 के दशक तक लाल इमली तथा धारीवाल जैसी प्रतिष्ठित वस्त्र कम्पनियों द्वारा बागेश्वर मण्डी से कच्चा ऊन क्रय किया जाता था। .

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अमर उजाला

अमर उजाला हिन्दी का एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र है। इसका प्रारम्भ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक शहर आगरा से १८ अप्रैल सन १९४८ को हुआ था। .

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अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा दिल्ली से ३६५ किलोमीटर और देहरादून से ४१५ किलोमीटर की दूरी पर, कुमाऊँ हिमालय श्रंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की कुल जनसंख्या ३५,५१३ है। अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद ने १५६८ में की थी। महाभारत (८ वीं और ९वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊं राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है। .

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कुली-बेगार आन्दोलन और बागेश्वर जिला के बीच तुलना

कुली-बेगार आन्दोलन 12 संबंध है और बागेश्वर जिला 47 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 8.47% है = 5 / (12 + 47)।

संदर्भ

यह लेख कुली-बेगार आन्दोलन और बागेश्वर जिला के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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