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कुटकी और बजड़ी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कुटकी और बजड़ी के बीच अंतर

कुटकी vs. बजड़ी

कुटकी इसका वैज्ञानिक नाम पनिकम अन्तीदोटेल (Panicum antidotale) है। यह मुख्य रूप से पंजाब, गंगा के मैदान तथा हिमालय में पाई जाती है, यह भी पनिकम परिवार की घास है। पंजाब में इसे घिरी या घमूर कहते है . बाजरा फसल फल रूप में लगे बाजरे के दाने अथवा सीटे (''Pennisetum glaucum'') बाजरा एक प्रमुख फसल है। एक प्रकार की बड़ी घास जिसकी बालियों में हरे रंग के छोटे छोटे दाने लगते हैं। इन दानों की गिनती मोटे अन्नों में होती है। प्रायाः सारे उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी भारत में लोग इसे खाते हैं। बाजरा मोटे अन्नों में सबसे अधिक उगाया जाने वाला अनाज है। इसे अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप में प्रागेतिहासिक काल से उगाया जाता रहा है, यद्यपि इसका मूल अफ्रीका में माना गया है। भारत में इसे बाद में प्रस्तुत किया गया था। भारत में इसे इसा पूर्व २००० वर्ष से उगाये जाने के प्रमाण मिलते है। इसका मतलब है कि यह अफ्रीका में इससे पहले ही उगाया जाने लगा था। यह पश्चिमी अफ्रीका के सहल क्षेत्र से निकल कर फैला है। बाजरे की विशेषता है सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी उग जाना, तथा ऊँचा तापक्रम झेल जाना। यह अम्लीयता को भी झेल जाता है। यही कारण है कि यह उन क्षेत्रों में उगाया जाता है जहां मक्का या गेहूँ नही उगाये जा सकते। आज विश्व भर में बाजरा २६०,००० वर्ग किलोमीटर में उगाया जाता है। मोटे अन्न उत्पादन का आधा भाग बाजरा होता है। इस अनाज की खेती बहुत सी बातों में ज्वार की खेती से मिलती जुलती होती है। यह खरीफ की फसल है और प्रायः ज्वार के कुछ पीछे वर्षा ऋतु में बोई और उससे कुछ पहले अर्थात् जाड़े के आरंभ में काटी जाती हैं। इसके खेतों में खाद देने या सिंचाई करने की विशेष आवश्यकता नहीं होती। इसके लिये पहले तीन चार बार जमीन जोत दी जाती है और तब बीज बो दिए जाते हैं। एकाध बार निराई करना अवश्य आवश्यक होता है। इसके लिये किसी बहुत अच्छी जमीन की आवश्यकता नहीं होती और यह साधारण से साधारण जमीन में भी प्रायः अच्छी तरह होता है। यहाँ तक कि राजस्थान की बलुई भूमि में भी यह अधिकता से होता है। गुजरात आदि देशों में तो अच्छी करारी रूई बोने से पहले जमीन तयार करने के लिय इसे बोते हैं। बाजरे के दानों का आटा पीसकर और उसकी रोटी बनाकर खाई जाती है। इसकी रोटी बहुत ही बलवर्धक और पुष्टिकारक मानी जाती है। कुछ लोग दानों को यों ही उबालकर और उसमें नमक मिर्च आदि डालकर खाते हैं। इस रूप में इसे 'खिचड़ी' कहते हैं। कहीं कहीं लोग इसे पशुओं के चारे के लिये ही वोते हैं। वैद्यक में यह वादि, गरम, रूखा, अग्निदीपक पित्त को कुपित करनेवाला, देर में पचनेवाला, कांतिजनक, बलवर्धक और स्त्रियों के काम को बढा़नेवाला माना गया है। .

कुटकी और बजड़ी के बीच समानता

कुटकी और बजड़ी आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चेना, साँवा, ज्वार, कँगनी, कोदो

चेना

चेना की फसल चेना के दाने चेना (Proso millet) मोटा अन्न है। इसे 'पुनर्वा' भी कहते है। इसे सबसे पहले कहा उगाया गया, यह ज्ञात नही है, किंतु एक फसल के रूप में यह काकेशिया तथा चीन में ७,००० वर्ष पूर्व से उत्पादित किया जा रहा है। माना जाता है की इसे स्वतंत्र रूप से उगाया जाना सीखा गया होगा। इसे आज भी भारत, रूस, यूक्रेन, मध्य पूर्व एशिया, तुर्की तथा रोमानिया में बड़े पैमाने पे उगाया जाता है। इसे स्वास्थ्य रक्षक माना जाता है। इसमे ग्लूटेन नही होने से वे लोग भी इसे प्रयोग कर सकते है जिन्हें गेंहू से एलर्जी हो जाती है। यह कई प्रकार के जलवायु में उग जाता है। बहुत कम जल की जरूरत होती है, तथा कई प्रकार की मृदा में उग जाता है। इसे उगने के लिए कम समय की जरूरत होती है, सूखे क्षेत्रों हेतु यह आदर्श फसल है, मुख्य अन्नो में यह न्यूनतम जल मांगती है, इसका पादप ४ फीट तक ऊँचा हो सकता है, बीज गुच्छो में उगते है तथा २-३ मिलीमीटर के होते है, ये पीले, संतरी, या भूरे रंग के हो सकते है। यधपि यह घास है लेकिन अन्य मोटे अन्नो से इसका कोई रिश्ता नही है। .

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साँवा

सांवा घास साँवा या 'सावाँ' (Indian barnyard millet; वानस्पतिक नाम: Echinochloa frumentacea) एक मोटा अनाज है। इसके दाने या बीज बाजरे के साथ मिलाकर खाये भी जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश में यह खूब पैदा होती है। अनुपजाऊ भूमि पर भी इसकी खेती की जा सकती है जहाँ धान की फसल नहीं होती। Echinochloa colona नामक एक प्रकार की लंबी घास इसकी पूर्वज मानी जाती है जिसकी बालें चारे के काम आती हैं। .

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ज्वार

ज्वार ज्वार के दाने ज्वार (Sorghum vulgare; संस्कृत: यवनाल, यवाकार या जूर्ण) एक प्रमुख फसल है। ज्वार कम वर्षा वाले क्षेत्र में अनाज तथा चारा दोनों के लिए बोई जाती हैं। ज्वार जानवरों का महत्वपूर्ण एवं पौष्टिक चारा हैं। भारत में यह फसल लगभग सवा चार करोड़ एकड़ भूमि में बोई जाती है। यह खरीफ की मुख्य फसलों में है। यह एक प्रकार की घास है जिसकी बाली के दाने मोटे अनाजों में गिने जाते हैं। .

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कँगनी

कंगनी या टांगुन (वानस्पतिक नाम: सेतिरिया इटालिका) मोटे अन्नों में दूसरी सबसे अधिक बोई जाने वाली फसल है, खासतौर पर पूर्वी एशिया में। चीन में तो इसे ईसा पूर्व ६००० वर्ष से उगाया जा रहा है, इसे 'चीनी बाजरा' भी कहते हैं। यह एकवर्षीय घास है जिसका पौधा ४ - ७ फीट ऊँचा होता है, बीज बहुत महीन लगभग २ मिलीमीटर के होते हैं, इनका रंग किस्म किस्म में भिन्न होता है, जिनपे पतला छिलका होता है जो आसानी से उतर जाता है। .

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कोदो

कोदो या कोदों या कोदरा (Paspalum scrobiculatum) एक अनाज है जो कम वर्षा में भी पैदा हो जाता है। नेपाल व भारत के विभिन्न भागों में इसकी खेती की जाती है। धान आदि के कारण इसकी खेती अब कम होती जा रही है। इसका पौधा धान या बडी़ घास के आकार का होता है। इसकी फसल पहली बर्षा होते ही बो दी जाती है और भादों में तैयार हो जाती है। इसके लिये बढि़या भूमि या अधिक परिश्रम की आवश्यकता नहीं होती। कहीं-कहीं यह रूई या अरहर के खेत में भी बो दिया जाता है। अधिक पकने पर इसके दाने झड़कर खेत में गिर जाते हैं, इसलिये इसे पकने से कुछ पहले ही काटकर खलिहान में डाल देते हैं। छिलका उतरने पर इसके अंदर से एक प्रकार के गोल चावल निकलते हैं जो खाए जाते हैं। कभी कभी इसके खेत में 'अगिया' नाम की घास उत्पन्न हो जाती है जो इसके पौधों को जला देती है। यदि इसकी कटाई से कुछ पहले बदली हो जाय, तो इसके चावलों में एक प्रकार का विष आ जाता है। वैद्यक के मत से यह मधुर, तिक्त, रूखा, कफ और पित्तनाशक होता है। नया कोदो कुरु पाक होता है, फोडे़ के रोगी को इसका पथ्य दिया जाता है। कोदो के दानों को चावल के रूप में खाया जाता है और स्थानीय बोली में 'भगर के चावल' के नाम पर इसे उपवास में भी खाया जाता है। इसके दाने में 8.3 प्रतिशत प्रोटीन, 1.4 प्रतिशत वसा तथा 65.9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट पाई जाती है। कोदो-कुटकी मधुमेह नियन्त्रण, यकृत (गुर्दों) और मूत्राशय के लिए लाभकारी है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

कुटकी और बजड़ी के बीच तुलना

कुटकी 9 संबंध है और बजड़ी 23 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 15.62% है = 5 / (9 + 23)।

संदर्भ

यह लेख कुटकी और बजड़ी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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