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कुंडलिनी योग और ब्रह्म

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कुंडलिनी योग और ब्रह्म के बीच अंतर

कुंडलिनी योग vs. ब्रह्म

कुण्डलिनी योग या लय योग का अर्थ है - चित्र मिलन मे लीन हो जाना, प्राण संचार करना, ब्रह्म के ज्ञान में लीन होना। कुण्डलिनी योग पर तन्त्र सम्प्रदाय और शाक्त सम्प्रदाय का अधिक प्रभाव रहा है। चित्त का अपने स्वरूप विलीन होना या चित्त की निरूद्ध अवस्था लययोग के अन्तर्गत आता है। साधक के चित्त में जब चलते, बैठते, सोते और भोजन करते समय हर समय ब्रहम का ध्यान रहे - इसी को लययोग कहते हैं। योगत्वोपनिषद में इस प्रकार वर्णन है- . ब्रह्म (संस्कृत: ब्रह्मन्) हिन्दू (वेद परम्परा, वेदान्त और उपनिषद) दर्शन में इस सारे विश्व का परम सत्य है और जगत का सार है। वो दुनिया की आत्मा है। वो विश्व का कारण है, जिससे विश्व की उत्पत्ति होती है, जिसमें विश्व आधारित होता है और अन्त में जिसमें विलीन हो जाता है। वो एक और अद्वितीय है। वो स्वयं ही परमज्ञान है, और प्रकाश-स्त्रोत की तरह रोशन है। वो निराकार, अनन्त, नित्य और शाश्वत है। ब्रह्म सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है। ब्रम्ह हिन्दी में ब्रह्म का ग़लत उच्चारण और लिखावट है। .

कुंडलिनी योग और ब्रह्म के बीच समानता

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कुंडलिनी योग और ब्रह्म के बीच तुलना

कुंडलिनी योग 4 संबंध है और ब्रह्म 9 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (4 + 9)।

संदर्भ

यह लेख कुंडलिनी योग और ब्रह्म के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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