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किशमिश और कोलेस्टेरॉल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

किशमिश और कोलेस्टेरॉल के बीच अंतर

किशमिश vs. कोलेस्टेरॉल

अंगूर सुखाने से उनके अन्दर की चीनी बिल्लौर (क्रिस्टल) बना लेती है अलग-अलग जाति के अंगूरों से बने किशमिश किशमिश सूखे अंगूरों को कहा जाता है। पारम्परिक रूप से बड़े अकार के अंगूरों की किशमिश को हिन्दी में मुनक़्क़ा कहा जाता है।, Neera Verma, pp. कोलेस्ट्रॉल क्रिस्टल का सूक्ष्मदर्शी दर्शन, जल में। छायाचित्र ध्युवीकृत प्रकाश में लिया गया है। कोलेस्ट्रॉल या पित्तसांद्रव मोम जैसा एक पदार्थ होता है, जो यकृत से उत्पन्न होता है। यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली समेत शरीर के हर भाग में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल कोशिका झिल्ली का एक महत्वपूर्ण भाग है, जहां उचित मात्रा में पारगम्यता और तरलता स्थापित करने में इसकी आवश्यकता होती है। कोलेस्ट्रॉल शरीर में विटामिन डी, हार्मोन्स और पित्त का निर्माण करता है, जो शरीर के अंदर पाए जाने वाले वसा को पचाने में मदद करता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल भोजन में मांसाहारी आहार के माध्यम से भी पहुंचता है यानी अंडे, मांस, मछली और डेयरी उत्पाद इसके प्रमुख स्रोत हैं। अनाज, फल और सब्जियों में कोलेस्ट्रॉल नहीं पाया जाता। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लगभग २५ प्रतिशत उत्पादन यकृत के माध्यम से होता है। कोलेस्ट्रॉल शब्द यूनानी शब्द कोले और और स्टीयरियोज (ठोस) से बना है और इसमें रासायनिक प्रत्यय ओल लगा हुआ है। १७६९ में फ्रेंकोइस पुलीटियर दी ला सैले ने गैलेस्टान में इसे ठोस रूप में पहचाना था। १८१५ में रसायनशास्त्री यूजीन चुरवेल ने इसका नाम कोलेस्ट्राइन रखा था। मानव शरीर को कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता मुख्यतः कोशिकाओं के निर्माण के लिए, हारमोन के निर्माण के लिए और बाइल जूस के निर्माण के लिए जो वसा के पाचन में मदद करता है; होती है। फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में नैशनल पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट के प्रमुख रिसर्चर डॉ॰ गांग हू के अनुसार कोलेस्ट्रॉल अधिक होने से पार्किंसन रोग की आशंका बढ़ जाती है। .

किशमिश और कोलेस्टेरॉल के बीच समानता

किशमिश और कोलेस्टेरॉल आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्रोटीन, रक्तचाप

प्रोटीन

रुधिरवर्णिका(हीमोग्लोबिन) की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा १०,००० से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे.

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रक्तचाप

रक्तचापमापी या स्फाइगनोमैनोमीटर, रक्तचाप मापने के यंत्र को कहते हैं। ऊपर देखें एक मर्करी रक्तचापमापी रक्तचाप (अंग्रेज़ी:ब्लड प्रैशर) रक्तवाहिनियों में बहते रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर द्वारा डाले गये दबाव को कहते हैं। धमनियां वह नलिका है जो पंप करने वाले हृदय से रक्त को शरीर के सभी ऊतकों और इंद्रियों तक ले जाते हैं। हृदय, रक्त को धमनियों में पंप करके धमनियों में रक्त प्रवाह को विनियमित करता है और इसपर लगने वाले दबाव को ही रक्तचाप कहते हैं। किसी व्यक्ति का रक्तचाप, सिस्टोलिक/डायास्टोलिक रक्तचाप के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। जैसे कि १२०/८० सिस्टोलिक अर्थात ऊपर की संख्या धमनियों में दाब को दर्शाती है। इसमें हृदय की मांसपेशियां संकुचित होकर धमनियों में रक्त को पंप करती हैं। डायालोस्टिक रक्त चाप अर्थात नीचे वाली संख्या धमनियों में उस दाब को दर्शाती है जब संकुचन के बाद हृदय की मांसपेशियां शिथिल हो जाती है। रक्तचाप हमेशा उस समय अधिक होता है जब हृदय पंप कर रहा होता है बनिस्बत जब वह शिथिल होता है। एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति का सिस्टोलिक रक्तचाप पारा के 90 और १२० मिलिमीटर के बीच होता है। सामान्य डायालोस्टिक रक्तचाप पारा के ६० से ८० मि.मि.

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किशमिश और कोलेस्टेरॉल के बीच तुलना

किशमिश 11 संबंध है और कोलेस्टेरॉल 67 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 2.56% है = 2 / (11 + 67)।

संदर्भ

यह लेख किशमिश और कोलेस्टेरॉल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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