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कार्योत्तर विधि और दण्डसंहिता

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कार्योत्तर विधि और दण्डसंहिता के बीच अंतर

कार्योत्तर विधि vs. दण्डसंहिता

कार्योत्तर विधि (ex post facto law) उस प्रकार की विधि को कहते हैं जो किसी आपराधिक कार्य के होने के बाद उस कार्य के विधिक परिणाम को बदल दे। दण्ड विधि के सन्दर्भ में बात करें तो कोई कार्योत्तर विधि उस कार्य को दण्डनीय बना सकती है जो कार्य उस समय (कानून के लागू होने के पहले) वैध (आपराधिक नहीं) था। कार्योत्तर विधि किसी अपराध के लिए निर्धारित दण्ड को कम या अधिक कर सकती है। इसी प्रकार, कार्योत्तर विधि साक्ष्य के नियमों को भी बदल सकती है ताकि अपराधों में दण्द मिलना अधिक सम्भावित हो जाय। इसके विपरीत कार्योत्तर विधि का एक प्रकार सर्वक्षमा विधि (अमनेस्टी लॉ) है जो कुछ कृत्यों को वैध या अनपराधिक घोषित कर देती है। श्रेणी:विधि. दण्डसंहिता (criminal code या penal code) उस दस्तावेज को कहते हैं जिसमें किसी प्राधिकारी (जैसे देश या प्रान्त) के सभी या अधिकांश दण्ड विधान संकलित होते हैं। उदाहरण के लिए भारतीय दण्ड संहिता में भारत में किए गये विभिन्न आपराधिक कृत्यों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के दण्ड का वर्णन है। किसी दण्डसंहिता में प्रायः विभिन्न प्रकार के अपराधों का वर्णन/परिभाषा होती है, उन अपराधों के सिद्ध हो जाने पर दिये जाने वाले दण्ड तथा कुछ सामान्य बातें (जैसे परिभाषा, पूर्वव्यापी अभियोजन का निषेध (prohibitions on retroactive prosecution) आदि) .

कार्योत्तर विधि और दण्डसंहिता के बीच समानता

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कार्योत्तर विधि और दण्डसंहिता के बीच तुलना

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संदर्भ

यह लेख कार्योत्तर विधि और दण्डसंहिता के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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