कामसूत्र और चाणक्य के बीच समानता
कामसूत्र और चाणक्य आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नीतिशास्त्र, वात्स्यायन, अर्थशास्त्र (ग्रन्थ)।
नीतिशास्त्र
नीतिशास्त्र (ethics) जिसे व्यवहारदर्शन, नीतिदर्शन, नीतिविज्ञान और आचारशास्त्र भी कहते हैं, दर्शन की एक शाखा हैं। यद्यपि आचारशास्त्र की परिभाषा तथा क्षेत्र प्रत्येक युग में मतभेद के विषय रहे हैं, फिर भी व्यापक रूप से यह कहा जा सकता है कि आचारशास्त्र में उन सामान्य सिद्धांतों का विवेचन होता है जिनके आधार पर मानवीय क्रियाओं और उद्देश्यों का मूल्याँकन संभव हो सके। अधिकतर लेखक और विचारक इस बात से भी सहमत हैं कि आचारशास्त्र का संबंध मुख्यत: मानंदडों और मूल्यों से है, न कि वस्तुस्थितियों के अध्ययन या खोज से और इन मानदंडों का प्रयोग न केवल व्यक्तिगत जीवन के विश्लेषण में किया जाना चाहिए वरन् सामाजिक जीवन के विश्लेषण में भी। अच्छा और बुरा, सही और गलत, गुण और दोष, न्याय और जुर्म जैसी अवधारणाओं को परिभाषित करके, नीतिशास्त्र मानवीय नैतिकता के प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास करता हैं। बौद्धिक समीक्षा के क्षेत्र के रूप में, वह नैतिक दर्शन, वर्णात्मक नीतिशास्त्र, और मूल्य सिद्धांत के क्षेत्रों से भी संबंधित हैं। नीतिशास्त्र में अभ्यास के तीन प्रमुख क्षेत्र जिन्हें मान्यता प्राप्त हैं.
कामसूत्र और नीतिशास्त्र · चाणक्य और नीतिशास्त्र ·
वात्स्यायन
वात्स्यायन या मल्लंग वात्स्यायन भारत के एक प्राचीन दार्शनिक थे। जिनका समय गुप्तवंश के समय (६ठी शती से ८वीं शती) माना जाता है। उन्होने कामसूत्र एवं न्यायसूत्रभाष्य की रचना की। महर्षि वात्स्यायन ने कामसूत्र में न केवल दाम्पत्य जीवन का श्रृंगार किया है वरन कला, शिल्पकला एवं साहित्य को भी संपदित किया है। अर्थ के क्षेत्र में जो स्थान कौटिल्य का है, काम के क्षेत्र में वही स्थान महर्षि वात्स्यायन का है। .
कामसूत्र और वात्स्यायन · चाणक्य और वात्स्यायन ·
अर्थशास्त्र (ग्रन्थ)
अर्थशास्त्र, कौटिल्य या चाणक्य (चौथी शती ईसापूर्व) द्वारा रचित संस्कृत का एक ग्रन्थ है। इसमें राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय एवं राजनीति आदि के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है। अपने तरह का (राज्य-प्रबन्धन विषयक) यह प्राचीनतम ग्रन्थ है। इसकी शैली उपदेशात्मक और सलाहात्मक (instructional) है। यह प्राचीन भारतीय राजनीति का प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसके रचनाकार का व्यक्तिनाम विष्णुगुप्त, गोत्रनाम कौटिल्य (कुटिल से व्युत्पत्र) और स्थानीय नाम चाणक्य (पिता का नाम चणक होने से) था। अर्थशास्त्र (15.431) में लेखक का स्पष्ट कथन है: चाणक्य सम्राट् चंद्रगुप्त मौर्य (321-298 ई.पू.) के महामंत्री थे। उन्होंने चंद्रगुप्त के प्रशासकीय उपयोग के लिए इस ग्रंथ की रचना की थी। यह मुख्यत: सूत्रशैली में लिखा हुआ है और संस्कृत के सूत्रसाहित्य के काल और परंपरा में रखा जा सकता है। यह शास्त्र अनावश्यक विस्तार से रहित, समझने और ग्रहण करने में सरल एवं कौटिल्य द्वारा उन शब्दों में रचा गया है जिनका अर्थ सुनिश्चित हो चुका है। (अर्थशास्त्र, 15.6)' अर्थशास्त्र में समसामयिक राजनीति, अर्थनीति, विधि, समाजनीति, तथा धर्मादि पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। इस विषय के जितने ग्रंथ अभी तक उपलब्ध हैं उनमें से वास्तविक जीवन का चित्रण करने के कारण यह सबसे अधिक मूल्यवान् है। इस शास्त्र के प्रकाश में न केवल धर्म, अर्थ और काम का प्रणयन और पालन होता है अपितु अधर्म, अनर्थ तथा अवांछनीय का शमन भी होता है (अर्थशास्त्र, 15.431)। इस ग्रंथ की महत्ता को देखते हुए कई विद्वानों ने इसके पाठ, भाषांतर, व्याख्या और विवेचन पर बड़े परिश्रम के साथ बहुमूल्य कार्य किया है। शाम शास्त्री और गणपति शास्त्री का उल्लेख किया जा चुका है। इनके अतिरिक्त यूरोपीय विद्वानों में हर्मान जाकोबी (ऑन दि अथॉरिटी ऑव कौटिलीय, इं.ए., 1918), ए. हिलेब्रांड्ट, डॉ॰ जॉली, प्रो॰ए.बी.
अर्थशास्त्र (ग्रन्थ) और कामसूत्र · अर्थशास्त्र (ग्रन्थ) और चाणक्य ·
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कामसूत्र और चाणक्य के बीच तुलना
कामसूत्र 52 संबंध है और चाणक्य 41 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 3.23% है = 3 / (52 + 41)।
संदर्भ
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