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कामशास्त्र और भक्तिरसशास्त्र (वैष्णव)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कामशास्त्र और भक्तिरसशास्त्र (वैष्णव) के बीच अंतर

कामशास्त्र vs. भक्तिरसशास्त्र (वैष्णव)

विभिन्न जन्तुओं में संभोग का चित्रण (ऊपर); एक सुन्दर युवती का विविध प्राणियों से संभोग का चित्रण (नीचे) मानव जीवन के लक्ष्यभूत चार पुरुषार्थों में "काम" अन्यतम पुरुषार्थ माना जाता है। संस्कृत भाषा में उससे संबद्ध विशाल साहित्य विद्यमान है। . महाप्रभु चैतन्य (१४८६-१५३३ ई.) की प्रेरणा से वृंदावन के षट्गोस्वामियों में अन्यतम रूपगोस्वामी (१४७०-१५५४ ई.) ने वैष्णव संप्रदाय के धर्मदर्शन की छाया में भक्तिरसशास्त्र का प्रवर्तन किया। "भक्तिरसामृत सिंधु" तथा "उज्ज्वलनीलमणि", जिसमें कामशास्त्र की परंपराओं का रिक्थ है, वैष्णव रसशास्त्र के मौलिक और उपजीव्य ग्रंथ हैं। .

कामशास्त्र और भक्तिरसशास्त्र (वैष्णव) के बीच समानता

कामशास्त्र और भक्तिरसशास्त्र (वैष्णव) आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): जयदेव

जयदेव

भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ जयदेव के लिए देखें, जयदेव (गणितज्ञ) ---- बसोहली चित्र (1730 ई) गीत गोविन्द जयदेव (१२०० ईस्वी के आसपास) संस्कृत के महाकवि हैं जिन्होंने गीत गोविंद और रतिमंजरी की रचना की। जयदेव, उत्कल राज्य यानि ओडिशा के गजपति राजाओं के समकालीन थे। जयदेव एक वैष्णव भक्त और संत के रूप में सम्मानित थे। उनकी कृति ‘गीत गोविन्द’ को श्रीमद्‌भागवत के बाद राधाकृष्ण की लीला की अनुपम साहित्य-अभिव्यक्ति माना गया है। संस्कृत कवियों की परंपरा में भी वह अंतिम कवि थे, जिन्होंने ‘गीत गोविन्द’ के रूप में संस्कृत भाषा के मधुरतम गीतों की रचना की। कहा गया है कि जयदेव ने दिव्य रस के स्वरूप राधाकृष्ण की रमणलीला का स्तवन कर आत्मशांति की सिद्धि की। भक्ति विजय के रचयिता संत महीपति ने जयदेव को श्रीमद्‌भागवतकार व्यास का अवतार माना है। .

कामशास्त्र और जयदेव · जयदेव और भक्तिरसशास्त्र (वैष्णव) · और देखें »

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कामशास्त्र और भक्तिरसशास्त्र (वैष्णव) के बीच तुलना

कामशास्त्र 41 संबंध है और भक्तिरसशास्त्र (वैष्णव) 13 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.85% है = 1 / (41 + 13)।

संदर्भ

यह लेख कामशास्त्र और भक्तिरसशास्त्र (वैष्णव) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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