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काबुल नदी

सूची काबुल नदी

जलालाबाद में काबुल नदी के ऊपर बहसूद पुल बौद्ध शिल्पकारी से भरी गुफ़ाएँ काबुल नदी में साल के अधिकतर भाग में प्रवाह कम रहता है - नदी के एक अंश पर बना एक कच्चा पुल अफ़ग़ानिस्तान में काबुल नदी पर बना सरोबी जल-विद्युत बाँध काबुल नदी (पश्तो:, काबुल सीन्द; फ़ारसी:, दरिया-ए-काबुल; अंग्रेज़ी: Kabul River) एक ७०० किमी लम्बी नदी है जो अफ़ग़ानिस्तान में हिन्दु कुश पर्वतों की संगलाख़ शृंखला से शुरू होकर पाकिस्तान के अटक शहर के पास सिन्धु नदी में विलय हो जाती है। काबुल नदी पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान की मुख्य नदी है और इसका जलसम्भर हेलमंद नदी के जलसम्भर क्षेत्र से उनई दर्रे द्वारा विभाजित है। यह अफ़ग़ानिस्तान की काबुल, चहारबाग़​ और जलालाबाद शहरों से गुज़रकर तोरख़म से २५ किमी उत्तर में सरहद पार कर के पाकिस्तान में दाख़िल हो जाती है। अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल और उसके इर्द-गिर्द के काबुल प्रान्त का नाम इसी नदी पर पड़ा है।Cliffoed Edmund Bosworth, "Kabul".

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सामग्री की तालिका

  1. 37 संबंधों: चित्राल ज़िला, तोरख़म, नंगरहार प्रान्त, नूरिस्तान प्रान्त, पाकिस्तान, पंजाब क्षेत्र, पेशावर, फ़ारसी भाषा, बाश्गल नदी, यूनान, यूरोप, सरस्वती नदी, सिन्धु नदी, संस्कृत भाषा, संगलाख़, स्वात नदी, स्किथी लोग, हिन्दु कुश, हिमानी, हेलमंद नदी, जलसम्भर, जलालाबाद, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा, गुफ़ा, आलींगार नदी, काबुल, काबुल प्रान्त, कुनर नदी, अटक, अफ़ग़ानिस्तान, अरबी भाषा, अल बेरुनी, अवस्ताई भाषा, अंग्रेज़ी भाषा, उनई दर्रा, उपनदी, ऋग्वेद

  2. अफ़्गानिस्तान की नदियाँ
  3. ऋग्वैदिक नदियाँ
  4. ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा की नदियाँ
  5. पाकिस्तान की नदियाँ
  6. बौद्ध धर्म में नदियाँ
  7. सिन्धु जलसम्भर द्रोणी
  8. सिन्धु नदी की उपनदियाँ

चित्राल ज़िला

चित्राल (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Chitral) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के सबसे उत्तरी भाग में स्थित एक ज़िला है। यह उस प्रान्त का सबसे बड़ा ज़िला है। इसका क्षेत्रफल १४,८५० वर्ग किमी है और १९९८ की जनगणना में इसकी आबादी ३,१८,६८९ थी। ७,७०८ मीटर ऊँचा तिरिच मीर, जो दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ों में से है, इस ज़िले में स्थित है। चित्राल ज़िले की राजधानी चित्राल शहर है।, Sarina Singh, Lindsay Brown, Paul Clammer, Rodney Cocks, John Mock, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-542-0 .

देखें काबुल नदी और चित्राल ज़िला

तोरख़म

तोरख़म में पाकिस्तान-अफ़्ग़ानिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर करते लोग तोरख़म या तूरख़म (पश्तो) पाकिस्तान के पश्चिमोत्तरी संघ-शासित जनजातीय क्षेत्र (फ़ाटा) की ख़ैबर एजेंसी में स्थित पाकिस्तान-अफ़्ग़ानिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर एक छोटा सा सरहदी क़स्बा है। सीमा के उस पार अफ़्ग़ानिस्तान का नंगरहार प्रान्त है। यह बस्ती प्रसिद्ध ख़ैबर दर्रे से सिर्फ़ पाँच किलोमीटर पूर्व पर स्थित है और पाकिस्तान-अफ़्ग़ानिस्तान के दर्मियान यातायात और व्यापार का एक मुख्य पड़ाव है। तोरख़म और उसके इर्द-गिर्द के इलाक़ों में मुख्य रूप से पश्तून लोग बसते हैं।, United Nations, United Nations Publications, 2009, ISBN 978-92-1-130285-1,...

देखें काबुल नदी और तोरख़म

नंगरहार प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का नंगरहार प्रान्त (लाल रंग में) नंगरहार (पश्तो:, अंग्रेजी: Nangarhar) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के पूर्व में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ७,७२७ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००९ में लगभग १३.३ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी जलालाबाद शहर है। इस प्रान्त की पूर्वी और दक्षिणी सरहदें पाकिस्तान से लगती हैं। यहाँ के अधिकतर निवासी पश्तो बोलने वाले पठान हैं। .

देखें काबुल नदी और नंगरहार प्रान्त

नूरिस्तान प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का नूरिस्तान प्रान्त (लाल रंग में) नूरिस्तान (फ़ारसी:, अंग्रेजी: Nuristan) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के पूर्व में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ९,२२५ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००२ में लगभग १.१ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी पारून शहर है। इस प्रान्त की सरहदें पाकिस्तान से लगती हैं। यहाँ के लगभग ९५% लोग नूरिस्तानी हैं। .

देखें काबुल नदी और नूरिस्तान प्रान्त

पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

देखें काबुल नदी और पाकिस्तान

पंजाब क्षेत्र

पंजाब दक्षिण एशिया का क्षेत्र है जिसका फ़ारसी में मतलब पांच नदियों का क्षेत्र है। पंजाब ने भारतीय इतिहास को कई मोड़ दिये हैं। अतीत में शकों, हूणों, पठानों व मुगलों ने इसी पंजाब के रास्ते भारत में प्रवेश किया था। आर्यो का आगमन भी हिन्दुकुश पार कर इसी पंजाब के रास्ते ही हुआ था। पंजाब की सिन्धु नदी की घाटी में आर्यो की सभ्यता का विकास हुआ। उस समय इस भूख़ड का नाम सप्त सिन्धु अर्थात सात सागरों का देश था। समय के साथ सरस्वती जलस्रोत सूख् गया। अब रह गयीं पाँच नदियाँ-झेलम, चेनाब, राबी, व्यास और सतलज इन्हीं पाँच नदियों का प्रांत पंजाब हुआ। पंजाब का नामाकरण फारसी के दो शब्दों से हुआ है। पंज का अर्थ है पाँच और आब का अर्थ होता है जल। .

देखें काबुल नदी और पंजाब क्षेत्र

पेशावर

पेशावर पाकिस्तान का एक शहर है। यह ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रान्त की राजधानी है। पेशावर उल्लेख पुराने पुस्तकों में "पुरुषपुर" के नाम से मिलता है। इस उपमहाद्वीप के प्राचीन शहरों में से एक है। पेशावर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और कबायली इलाकों के वाणिज्यिक केंद्र है। पेशावर में पश्तो भाषा बोली जाती है लेकिन जब उर्दू पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा है इसलिए उर्दू भी माना जाता है। .

देखें काबुल नदी और पेशावर

फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

देखें काबुल नदी और फ़ारसी भाषा

बाश्गल नदी

बाश्गल नदी (दरी फ़ारसी:, दरिया-ए-बाश्गल​; अंग्रेज़ी: Bashgal River; पश्तो: लंड​ई सींद) पूर्वोत्तरी अफ़्ग़ानिस्तान के नूरिस्तान प्रान्त में बाश्गल वादी में बहने वाली एक नदी है। यह हिन्दू-कुश पर्वतों की दक्षिणी ढलानों से शुरू होकर दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी दिशा में बहती है।, Ludwig W.

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यूनान

यूनान यूरोप महाद्वीप में स्थित देश है। यहां के लोगों को यूनानी अथवा यवन कहते हैं। अंग्रेजी तथा अन्य पश्चिमी भाषाओं में इन्हें ग्रीक कहा जाता है। यह भूमध्य सागर के उत्तर पूर्व में स्थित द्वीपों का समूह है। प्राचीन यूनानी लोग इस द्वीप से अन्य कई क्षेत्रों में गए जहाँ वे आज भी अल्पसंख्यक के रूप में मौज़ूद है, जैसे - तुर्की, मिस्र, पश्चिमी यूरोप इत्यादि। यूनानी भाषा ने आधुनिक अंग्रेज़ी तथा अन्य यूरोपीय भाषाओं को कई शब्द दिये हैं। तकनीकी क्षेत्रों में इनकी श्रेष्ठता के कारण तकनीकी क्षेत्र के कई यूरोपीय शब्द ग्रीक भाषा के मूलों से बने हैं। इसके कारण ये अन्य भाषाओं में भी आ गए हैं।ग्रीस की महिलाएं देह व्यापार के धंधे में सबसे आगे है.

देखें काबुल नदी और यूनान

यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

देखें काबुल नदी और यूरोप

सरस्वती नदी

सरस्वती एक पौराणिक नदी जिसकी चर्चा वेदों में भी है। ऋग्वेद (२ ४१ १६-१८) में सरस्वती का अन्नवती तथा उदकवती के रूप में वर्णन आया है। यह नदी सर्वदा जल से भरी रहती थी और इसके किनारे अन्न की प्रचुर उत्पत्ति होती थी। कहते हैं, यह नदी पंजाब में सिरमूरराज्य के पर्वतीय भाग से निकलकर अंबाला तथा कुरुक्षेत्र होती हुई कर्नाल जिला और पटियाला राज्य में प्रविष्ट होकर सिरसा जिले की दृशद्वती (कांगार) नदी में मिल गई थी। प्राचीन काल में इस सम्मिलित नदी ने राजपूताना के अनेक स्थलों को जलसिक्त कर दिया था। यह भी कहा जाता है कि प्रयाग के निकट तक आकार यह गंगा तथा यमुना में मिलकर त्रिवेणी बन गई थी। कालांतर में यह इन सब स्थानों से तिरोहित हो गई, फिर भी लोगों की धारणा है कि प्रयाग में वह अब भी अंत:सलिला होकर बहती है। मनुसंहिता से स्पष्ट है कि सरस्वती और दृषद्वती के बीच का भूभाग ही ब्रह्मावर्त कहलाता था। .

देखें काबुल नदी और सरस्वती नदी

सिन्धु नदी

पाकिस्तान में बहती सिन्घु सिन्धु नदी (Indus River) एशिया की सबसे लंबी नदियों में से एक है। यह पाकिस्तान, भारत (जम्मू और कश्मीर) और चीन (पश्चिमी तिब्बत) के माध्यम से बहती है। सिन्धु नदी का उद्गम स्थल, तिब्बत के मानसरोवर के निकट सिन-का-बाब नामक जलधारा माना जाता है। इस नदी की लंबाई प्रायः 2880 किलोमीटर है। यहां से यह नदी तिब्बत और कश्मीर के बीच बहती है। नंगा पर्वत के उत्तरी भाग से घूम कर यह दक्षिण पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है और फिर जाकर अरब सागर में मिलती है। इस नदी का ज्यादातर अंश पाकिस्तान में प्रवाहित होता है। यह पाकिस्तान की सबसे लंबी नदी और राष्ट्रीय नदी है। सिंधु की पांच उपनदियां हैं। इनके नाम हैं: वितस्ता, चन्द्रभागा, ईरावती, विपासा एंव शतद्रु.

देखें काबुल नदी और सिन्धु नदी

संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

देखें काबुल नदी और संस्कृत भाषा

संगलाख़

अफ़्ग़ानिस्तान के नक़्शे पर उनई दर्रा संगलाख़ (Sanglakh) हिन्दु कुश पर्वत शृंखला की एक शाखा है। इस से अफ़्ग़ानिस्तान की दो महत्वपूर्ण नदियाँ - हेलमंद नदी और काबुल नदी - उत्पन्न होती हैं। संगलाख़ शृंखला के सब से प्रमुख दर्रे का नाम 'उनई दर्रा' या 'उनई कोतल' है।, Cambridge University Press, 1911,...

देखें काबुल नदी और संगलाख़

स्वात नदी

ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त में बहने वाली स्वात नदी स्वात नदी (पश्तो:, द स्वात सीन्द; अंग्रेज़ी: Swat River) पाकिस्तान के पश्चिमोत्तरी ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त में बहने वाली एक नदी है। इसका स्रोत हिन्दू-कुश पर्वतों में है जहाँ से निकलकर यह कालाम वादी और स्वात ज़िले से गुज़रती है। यहाँ से आगे यह मालाकंड ज़िले से निकलकर पेशावर वादी में चारसद्दा के पास काबुल नदी में मिल जाती है। स्वात नदी स्वात ज़िले के बहुत से इलाक़ों में सिंचाई के लिए बहुत महत्व रखती है और इसपर दो जल-विद्युत बाँध भी बने हुए हैं। इनसे पैदा होने वाली बिजली का स्थानीय इस्तेमाल किया जाता है। स्वात नदी एक रमणीय नज़ारा भी है जिसे देखने हर साल बहुत से सैलानी आते हैं। इसकी वादी के निचले हिस्से में बहुत से पुरातन स्थल हैं। .

देखें काबुल नदी और स्वात नदी

स्किथी लोग

पार्थी लोग इनसे दक्षिण में स्थित थे स्किथी या स्किथाई (प्राचीन यूनानी: Σκύθαι; अंग्रेजी: Scythian) यूरेशिया के स्तेपी इलाक़े की एक प्राचीन ख़ानाबदोश जातियों के गुट का नाम था। ये प्राचीन ईरानी भाषाएँ बोलते थे और इनका भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग पर एक गहरा प्रभाव पड़ा है। इनके अति-प्राचीन इतिहास के बारे में ज़्यादा नहीं पता लेकिन लौह युग में इनकी संस्कृति बहुत पनपी और इतिहासकारों को खुदाई करने पर इनके द्वारा बनाई गई बहुत सी चीज़ें मिली हैं। यह लोग पूर्वी यूरोप से अल्ताई पर्वतों तक विस्तृत थे। जब स्किथी लोगों के विख्यात व्यक्तियों को मृत्योपरांत दफ़नाया जाता था तो उनकी समाधियों के लिए बड़े टीले बनाए जाते थे जिनसे आज भी बहुत सी सोने के वस्तुएँ बरामद होती हैं।, Ellen D.

देखें काबुल नदी और स्किथी लोग

हिन्दु कुश

हिन्दु कुश उत्तरी पाकिस्तान के विवादीत भाग से मध्य अफ़्ग़ानिस्तान तक विस्तृत एक ८०० किमी चलने वाली पर्वत शृंखला है। इसका सबसे ऊँचा पहाड़ पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले में स्थित ७,७०८ मीटर (२५,२८९ फ़ुट) लम्बा तिरिच मीर पर्वत है।, Michael Palin, Basil Pao, Macmillan, 2005, ISBN 978-0-312-34162-6,...

देखें काबुल नदी और हिन्दु कुश

हिमानी

काराकोरम की बाल्तोरो हिमानी हिमानी या हिमनद (अंग्रेज़ी Glacier) पृथ्वी की सतह पर विशाल आकार की गतिशील बर्फराशि को कहते है जो अपने भार के कारण पर्वतीय ढालों का अनुसरण करते हुए नीचे की ओर प्रवाहमान होती है। ध्यातव्य है कि यह हिमराशि सघन होती है और इसकी उत्पत्ति ऐसे इलाकों में होती है जहाँ हिमपात की मात्रा हिम के क्षय से अधिक होती है और प्रतिवर्ष कुछ मात्रा में हिम अधिशेष के रूप में बच जाता है। वर्ष दर वर्ष हिम के एकत्रण से निचली परतों के ऊपर दबाव पड़ता है और वे सघन हिम (Ice) के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। यही सघन हिमराशि अपने भार के कारण ढालों पर प्रवाहित होती है जिसे हिमनद कहते हैं। प्रायः यह हिमखंड नीचे आकर पिघलता है और पिघलने पर जल देता है। पृथ्वी पर ९९% हिमानियाँ ध्रुवों पर ध्रुवीय हिम चादर के रूप में हैं। इसके अलावा गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों के हिमनदों को अल्पाइन हिमनद कहा जाता है और ये उन ऊंचे पर्वतों के सहारे पाए जाते हैं जिन पर वर्ष भर ऊपरी हिस्सा हिमाच्छादित रहता है। ये हिमानियाँ समेकित रूप से विश्व के मीठे पानी (freshwater) का सबसे बड़ा भण्डार हैं और पृथ्वी की धरातलीय सतह पर पानी के सबसे बड़े भण्डार भी हैं। हिमानियों द्वारा कई प्रकार के स्थलरूप भी निर्मित किये जाते हैं जिनमें प्लेस्टोसीन काल के व्यापक हिमाच्छादन के दौरान बने स्थलरूप प्रमुख हैं। इस काल में हिमानियों का विस्तार काफ़ी बड़े क्षेत्र में हुआ था और इस विस्तार के दौरान और बाद में इन हिमानियों के निवर्तन से बने स्थलरूप उन जगहों पर भी पाए जाते हैं जहाँ आज उष्ण या शीतोष्ण जलवायु पायी जाती है। वर्तमान समय में भी उन्नीसवी सदी के मध्य से ही हिमानियों का निवर्तन जारी है और कुछ विद्वान इसे प्लेस्टोसीन काल के हिम युग के समापन की प्रक्रिया के तौर पर भी मानते हैं। हिमानियों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ये जलवायु के दीर्घकालिक परिवर्तनों जैसे वर्षण, मेघाच्छादन, तापमान इत्यादी के प्रतिरूपों, से प्रभावित होते हैं और इसीलिए इन्हें जलवायु परिवर्तन और समुद्र तल परिवर्तन का बेहतर सूचक माना जाता है। .

देखें काबुल नदी और हिमानी

हेलमंद नदी

हेलमंद नदी के मार्ग का मानचित्र अफ़ग़ानिस्तान के हेलमंद प्रान्त में हेलमंद नदी एक तंग घाटी से गुज़रती हुई हेलमंद नदी पर लगा कजकी बाँध हेलमंद नदी (पश्तो: हीरमंद दरिया या हेलमंद दरिया) अफ़्गानिस्तान की सबसे लम्बी नदी है.

देखें काबुल नदी और हेलमंद नदी

जलसम्भर

जलसंभर का उदहारण - लाल रंग की लकीर जलविभाजक क्षेत्र को दर्शा रही है जलसंभर या द्रोणी उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नेहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है। उस स्थान से या तो एक ही बड़ी नदी में पानी जलसंभर क्षेत्र से निकास कर के आगे बह जाता है, या फिर किसी सरोवर, सागर, महासागर या दलदली इलाक़े में जा के मिल जाता है। इस सन्दर्भ में कभी-कभी जलविभाजक शब्द का भी प्रयोग होता है क्योंकि भिन्न-भिन्न जलसंभर किसी भी विस्तृत क्षेत्र को अलग-अलग जल मंडलों में विभाजित करते हैं। जलसंभर खुले या बंद हो सकते हैं। बंद जलसंभारों में पानी किसी सरोवर या सूखे सरोवर में जा कर रुक जाता है। जो बंद जलसंभर शुष्क स्थानों पर होते हैं उनमें अक्सर जल आ कर गर्मी से भाप बनकर हवा में वाष्पित (इवैपोरेट) हो जाता है या उसे धरती सोख लेती है। पड़ौसी जलसंभर अक्सर पहाड़ों, पर्वतों या धरती की भिन्न ढलानों के कारण एक-दुसरे से विभाजित होते हैं। भौगोलिक दृष्टि से जलसंभर एक कीप (यानि फनल) का काम करते हैं क्योंकि वे एक विस्तृत क्षेत्र के पानी को इक्कठा कर के एक ही नदी, जलाशय, दलदल या धरती के भीतर पानी सोखने वाले स्थान पर ले जाते हैं। .

देखें काबुल नदी और जलसम्भर

जलालाबाद

जदीद जलाल आबाद की एक निशानी जलाल आबाद- मशरक़ी अफ़ग़ानिस्तान का एक शहर (अंग्रेज़ी: Jalal Abad, पश्तो:جلال ابادजलाल अब्बाद) ये शहर अफ़ग़ानिस्तान में दरयाऐ काबुल और दरयाऐ किनार या कन्नड़ के संगम पर वाक़िअ है। वादी लग़मान में ये शहर अफ़ग़ानिस्तान के सूबा ननिग्रहअर का सदर मुक़ाम भी है। जलाल आबाद काबुल से मशरिक़ की जानिब 95 मेल के फ़ासले पर वाक़िअ है, इतना ही फासला पिशावर (पाकिस्तान) से जलाल आबाद की तरफ़ मग़रिब की जानिब है। जलाल आबाद मशरक़ी अफ़ग़ानिस्तान में वाक़िअ सब से बड़ा शहर है और इसी लिहाज़ से इस इलाके का समाजी ओ- तिजारती मरकज़ भी है। काग़ज़ की सनअत, फलों की पैदावार, चावल और गिने की पैदावार के लिए ये शहर शौहरत रखता है। पाकिस्तान और भारत के साथ वुस़्त एशियाई रियासतों की तिजारत के लिए जलाल आबाद कलीदी एहमीयत रखता है। .

देखें काबुल नदी और जलालाबाद

ख़ैबर पख़्तूनख़्वा

मकरा चोटी ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा (पहले:उत्तर पश्चिम सीमांत प्रान्त) पाकिस्तान का एक प्रान्त या सूबा है। इसे सूबा-ए-सरहद के नाम से भी जाना जाता है जो अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर स्थित है। यहाँ पर पश्तूनों की आबादी अधिक है जिन्हें स्थानीय रूप से पख़्तून भी कहते हैं। इनकी मातृभाषा पश्तो है। इस प्रांत की जनसंख्या करीब 2 करोड़ है जिसमें अफ़ग़ानिस्तान से आए शरणार्थियों की 15 लाख की आबादी सम्मिलित नहीं है। .

देखें काबुल नदी और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा

गुफ़ा

अमेरिका के न्यू मेक्सिको राज्य में स्थित लेचुगुइया गुफ़ा गुफ़ा गुफ़ा धरती में ऐसे भूमिगत (ज़मीन से नीचे के) स्थल को कहते हैं जो इतना बड़ा हो कि कोई व्यक्ति उसमें प्रवेश कर सके।, Stephen Kramer, First Avenue Editions, 1995, ISBN 978-0-87614-896-9 अगर ऐसा कोई स्थान इतना छोटा हो कि उसमें केवल एक छोटा जानवर ही प्रवेश कर पाए तो उसे आम तौर से हिन्दी में गुफ़ा की बजाए 'बिल' कहा जाता है। यह संभव है कि कोई गुफ़ा समुद्र के पानी के अन्दर भी हो - ऐसी गुफ़ाओं को समुद्री गुफ़ा कहा जाता है।, Sir Monier Monier-Williams, Motilal Banarsidass Publ., 2005, ISBN 978-81-208-3105-6 ---> .

देखें काबुल नदी और गुफ़ा

आलींगार नदी

आलींगार नदी या आलींगड़ नदी (Alingar River;, दरिया-ए-आलींगार) पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में स्थित एक नदी है। यह काबुल नदी की एक उपनदी है। लग़मान प्रान्त के आलीन्गार ज़िले का नाम इसी नदी पर पड़ा है और यह मेहतर लाम ज़िले से भी गुज़रती है जहाँ प्रन्तीय राजधानी मेहतर लाम इसके और अलीशिंग नदी के किनारे बसी हुई है और इसी के पास इन दोनों नदियों का संगम हो जाता है। लग़मान के अलावा यह नूरिस्तान प्रान्त से भी गुज़रती है। आलींगार और अलीशिंग की मिली धारा उत्तर से आकर काबुल नदी में विलय हो जाती है।, Edward Thornton, pp.

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काबुल

काबुल अफगानिस्तान की राजधानी है। काबुल अफगानिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर और राजधानी है। यह अफगानिस्‍तान का आर्थिक और सांस्‍कृतिक केंद्र भी है। यह शहर समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। काबुल सफेद खो पहाड़ी और काबुल नदी के बीच बसा हुआ है। यह पर्यटन की दृष्‍िट से मध्‍य एशिया का एक महत्‍पपूर्ण केंद्र माना जाता है। यहां कई प्रमुख पर्यटन स्‍थल हैं। जिसमें अफगान नेशनल म्‍यूजियम, दारुल अमन पैलेस, बाग-ए-बाबर, ईदगाह मस्जिद, ओमर माइन म्‍यूजियम यहां के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल है। .

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काबुल प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का काबुल प्रान्त (लाल रंग में) काबुल (फ़ारसी, पश्तो:, अंग्रेजी: Kabul) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के पूर्व में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ४,४६२ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००९ में लगभग ३५.७ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी काबुल शहर है जो पूरे अफ़्ग़ानिस्तान की भी राष्ट्रीय राजधानी है। इस प्रान्त के लगभग ८०% लोग काबुल के शहरी इलाक़े में रहते हैं। यहाँ पश्तो और दरी फ़ारसी बोली जाती है। प्रान्त का सबसे अहम जल-स्रोत काबुल नदी है, जिसके किनारे काबुल शहर बसा हुआ है। .

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कुनर नदी

अफ़्ग़ानिस्तान के नंगरहार प्रान्त के बर कश्कोट गाँव से गुज़रती कुनर नदी कुनर नदी (पश्तो:, कूनड़ सींद; Kunar) पूर्वी अफ़्ग़ानिस्तान और उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान की एक ४८० किमी लम्बी नदी है। यह पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के चित्राल ज़िले में हिन्दु कुश पर्वतों की पिघलती हिमानियों (ग्लेशियरों) से शुरू होती है। यहाँ इसका नाम यरख़ुन नदी होता है और मस्तुज के बाद इसका विलय लुतख़ो नदी से होता है जिसके बाद इसे मस्तुज नदी के नाम से पुकारा जाता है। चित्राल शहर से गुजरने के बाद इसे चित्राल नदी बुलाया जाता है और फ़िर यह अफ़्ग़ानिस्तान की कुनर वादी में दाख़िल होती है, जहाँ बाश्गल नदी के साथ संगम के बाद इसका नाम कुनर नदी पड़ जाता है। फ़िर यह जलालाबाद शहर के पूर्व में काबुल नदी में विलय कर जाती है। यह नदी पूर्व में पाकिस्तान में दाख़िल होती है और इसका विलय अटक शहर के पास महान सिन्धु नदी में हो जाता है।, Sir Thomas Hungerford Holdich, Methuen and co., 1901,...

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अटक

अटक पंजाब, पाकिस्तान, का एक नगर। श्रेणी:पाकिस्तान के शहर श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है। अफ़ग़ानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का8 एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3000 से 2,000 ई.पू.

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अरबी भाषा

अरबी भाषा सामी भाषा परिवार की एक भाषा है। ये हिन्द यूरोपीय परिवार की भाषाओं से मुख़्तलिफ़ है, यहाँ तक कि फ़ारसी से भी। ये इब्रानी भाषा से सम्बन्धित है। अरबी इस्लाम धर्म की धर्मभाषा है, जिसमें क़ुरान-ए-शरीफ़ लिखी गयी है। .

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अल बेरुनी

अबु रेहान मुहम्मद बिन अहमद अल-बयरुनी (फ़ारसी-अरबी: ابوریحان محمد بن احمد بیرونی यानि अबू रयहान, पिता का नाम अहमद अल-बरुनी) या अल बेरुनी (973-1048) एक फ़ारसी विद्वान लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ तथा विचारक था। अल बेरुनी की रचनाएँ अरबी भाषा में हैं पर उसे अपनी मातृभाषा फ़ारसी के अलावा कम से कम तीन और भाषाओं का ज्ञान था - सीरियाई, संस्कृत, यूनानी। वो भारत और श्रीलंका की यात्रा पर 1017-20 के मध्य आया था। ग़ज़नी के महमूद, जिसने भारत पर कई बार आक्रमण किये, के कई अभियानों में वो सुल्तान के साथ था। अलबरुनी को भारतीय इतिहास का पहला जानकार कहा जाता था। .

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अवस्ताई भाषा

अवस्ताई भाषा में अनुहावैती गाथा का यस्न 28.1 अवस्ताई एक पूर्वी ईरानी भाषा है जिसका ज्ञान आधुनिक युग में केवल पारसी धर्म के ग्रंथों, यानि अवस्ता, के द्वारा पहुँच पाया है। इतिहासकारों का मानना है के मध्य एशिया के बॅक्ट्रिया और मार्गु क्षेत्रों में स्थित याज़ संस्कृति में यह भाषा या इसकी उपभाषाएँ 1500-1100 ईसापूर्व के काल में बोली जाती थीं। क्योंकि यह एक धार्मिक भाषा बन गई, इसलिए इस भाषा के साधारण जीवन से लुप्त होने के पश्चात भी इसका प्रयोग नए ग्रंथों को लिखने के लिए होता रहा। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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उनई दर्रा

अफ़्ग़ानिस्तान के नक़्शे पर उनई दर्रा उनई दर्रा (Unai Pass) या उनई कोतल अफ़्ग़ानिस्तान में हिन्दु कुश पर्वतों की संगलाख़ उपशाखा में ३००० मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक प्रमुख पहाड़ी दर्रा है। यह राष्ट्रीय राजधानी काबुल से पश्चिम में है और इसमें से काबुल को हज़ाराजात क्षेत्र के बामियान शहर से जोड़ने वाला मुख्य राजमार्ग निकलता है।, Cambridge University Press, 1911,...

देखें काबुल नदी और उनई दर्रा

उपनदी

बाल्टिक सागर में जाने वाली रेगा नदी (Rega) और उसमें विलय होने वाली उपनदियाँ उपनदी या सहायक नदी ऐसे झरने या नदी को बोलते हैं जो जाकर किसी मुख्य नदी में विलय हो जाती है। उपनदियाँ सीधी किसी सागर या झील में जाकर नहीं मिलतीं। कोई भी मुख्य नदी और उसकी उपनदियाँ एक जलसम्भर क्षेत्र बनती हैं जहाँ का पानी उपनदियों के ज़रिये मुख्य नदी में एकत्रित होकर फिर सागर में विलय हो जाता है। इसका एक उदाहरण यमुना नदी है, जो गंगा नदी की एक उपनदी है। प्रयाग में विलय के बाद यमुना का पानी गंगा में मिल जाता है और उस से आगे सिर्फ मुख्य गंगा नदी ही चलती है।, John Oberlin Harris,...

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ऋग्वेद

ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह एक प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रंथ है। ऋक् संहिता में १० मंडल, बालखिल्य सहित १०२८ सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को सूक्त कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद में ही मृत्युनिवारक त्र्यम्बक-मंत्र या मृत्युंजय मन्त्र (७/५९/१२) वर्णित है, ऋग्विधान के अनुसार इस मंत्र के जप के साथ विधिवत व्रत तथा हवन करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है तथा मृत्यु दूर हो कर सब प्रकार का सुख प्राप्त होता है। विश्व-विख्यात गायत्री मन्त्र (ऋ० ३/६२/१०) भी इसी में वर्णित है। ऋग्वेद में अनेक प्रकार के लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त (ऋ०१०/१३७/१-७), श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त (ऋग्वेद के परिशिष्ट सूक्त के खिलसूक्त में), तत्त्वज्ञान के नासदीय-सूक्त (ऋ० १०/१२९/१-७) तथा हिरण्यगर्भ सूक्त (ऋ०१०/१२१/१-१०) और विवाह आदि के सूक्त (ऋ० १०/८५/१-४७) वर्णित हैं, जिनमें ज्ञान विज्ञान का चरमोत्कर्ष दिखलाई देता है। ऋग्वेद के विषय में कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित है-.

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यह भी देखें

अफ़्गानिस्तान की नदियाँ

ऋग्वैदिक नदियाँ

ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा की नदियाँ

पाकिस्तान की नदियाँ

बौद्ध धर्म में नदियाँ

सिन्धु जलसम्भर द्रोणी

सिन्धु नदी की उपनदियाँ

दरयाऐ काबुल के रूप में भी जाना जाता है।