कांग्रेस और राजकुमार शुक्ल
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कांग्रेस और राजकुमार शुक्ल के बीच अंतर
कांग्रेस vs. राजकुमार शुक्ल
कांग्रेस का आशय इन सब से है।. राजकुमार शुक्ल (१८७५ -) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बिहार के चंपारण के निवासी और स्वतंत्रता सेनानी थे। दिसंबर 1916 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में बिहार के किसानों के प्रतिनिधि बनकर वह लखनऊ गए और चंपारण के किसानों की दुर्दशा को शीर्ष नेताओं के समक्ष रखा। नील की खेती करनेवाले रैयत राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर महात्मा गाँधी चंपारण आने को तैयार हुए। राजकुमार शुक्ल के साथ बापू १० अप्रैल १९१७ को कोलकाता से पटना और मुजफ्फरपुर होते हुए मोतिहारी गए। नील की फसल के लागू तीनकठिया खेती के विरोध में गाँधीजी ने चंपारण में सत्याग्रह का पहला सफल प्रयोग किया। अंग्रेजों की तत्कालीन तीन कठिया व्यवस्था के तहत हर बीघे में 3 कट्ठे जमीन पर नील की खेती करने की किसानों के लिए विवशता उत्पन्न करने का विरोध करते हुए पंडित राजकुमार शुक्ल ने वहां किसान आंदोलन की शुरुआत की, जिसके एवज में दंड स्वरूप उन्हें कई बार अंग्रेजों के कोड़े और प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। क्षेत्र के किसानों की बदहाल स्थिति को देखते हुए पंडित शुक्ल ने महात्मा गांधी को बार-बार वहां आने का आग्रह किया तो गांधीजी इनकार नहीं कर सके। वे चंपारण पहुंचे और फिर वहां के किसानों के आंदोलन को जो धार मिली, उन्होंने देश को आजादी के मुकाम तक पहुंचा दिया। दरअसल, चंपारण किसान आंदोलन ही देश की आजादी का असली संवाहक बने था। वहां के किसानों के त्याग, बलिदान और संघर्ष की वजह से आज हम आजाद भारत में सांसें लेने के लिए स्वतंत्र हैं। .
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संदर्भ
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