लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

कवितावली और तुलसीदास

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कवितावली और तुलसीदास के बीच अंतर

कवितावली vs. तुलसीदास

कवितावली गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित काव्य है। . गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिंदी साहित्य के महान कवि थे। इनका जन्म सोरों शूकरक्षेत्र, वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तर प्रदेश में हुआ था। कुछ विद्वान् आपका जन्म राजापुर जिला बाँदा(वर्तमान में चित्रकूट) में हुआ मानते हैं। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .

कवितावली और तुलसीदास के बीच समानता

कवितावली और तुलसीदास आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): राम, श्रीरामचरितमानस, हनुमान चालीसा, विनय पत्रिका, गीतावली

राम

राम (रामचन्द्र) प्राचीन भारत में अवतार रूपी भगवान के रूप में मान्य हैं। हिन्दू धर्म में राम विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में वर्णित हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य श्री रामचरितमानस की रचना की है। इन दोनों के अतिरिक्त अनेक भारतीय भाषाओं में अनेक रामायणों की रचना हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। खास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूजनीय हैं और हिन्दुओं के आदर्श पुरुष हैं। राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था (जो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं) और इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान, भगवान राम के, सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। राम ने राक्षस जाति के लंका के राजा रावण का वध किया। राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता पिता, यहाँ तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा प्रान जाहुँ बरु बचनु न जाई की थी। श्रीराम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी किन्हीं दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था। कैकेयी ने दासी मन्थरा के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदहारण देते हुए पति के साथ वन जाना उचित समझा। सौतेले भाई लक्ष्मण ने भी भाई के साथ चौदह वर्ष वन में बिताये। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका (खड़ाऊँ) ले आये। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। राम की पत्नी सीता को रावण हरण (चुरा) कर ले गया। राम ने उस समय की एक जनजाति वानर के लोगों की मदद से सीता को ढूँढ़ा। समुद्र में पुल बना कर रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता को वापस लाये। जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये। राम के अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्यायप्रिय थे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं। इनके पुत्र कुश व लव ने इन राज्यों को सँभाला। हिन्दू धर्म के कई त्योहार, जैसे दशहरा, राम नवमी और दीपावली, राम की जीवन-कथा से जुड़े हुए हैं। .

कवितावली और राम · तुलसीदास और राम · और देखें »

श्रीरामचरितमानस

गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीरामचरितमानस का आवरण श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है। इस ग्रन्थ को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। श्री रामचरित मानस के नायक राम हैं जिनको एक महाशक्ति के रूप में दर्शाया गया है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। त्रेता युग में हुए ऐतिहासिक राम-रावण युद्ध पर आधारित और हिन्दी की ही एक लोकप्रिय भाषा अवधी में रचित रामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .

कवितावली और श्रीरामचरितमानस · तुलसीदास और श्रीरामचरितमानस · और देखें »

हनुमान चालीसा

हनुमान चालीसा तुलसीदास की अवधी में लिखी एक काव्यात्मक कृति है जिसमें प्रभु राम के महान भक्त हनुमान के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। यह अत्यन्त लघु रचना है जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है। इसमें बजरंग बली‍ की भावपूर्ण वंदना तो है ही, श्रीराम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है। वैसे तो पूरे भारत में यह लोकप्रिय है किन्तु विशेष रूप से उत्तर भारत में यह बहुत प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय है। लगभग सभी हिन्दुओं को यह कंठस्थ होती है। कहा जाता है कि इसके पाठ से भय दूर होता है, क्लेष मिटते हैं। इसके गंभीर भावों पर विचार करने से मन में श्रेष्ठ ज्ञान के साथ भक्तिभाव जाग्रत होता है। हनुमान प्रतिमा .

कवितावली और हनुमान चालीसा · तुलसीदास और हनुमान चालीसा · और देखें »

विनय पत्रिका

विनयपत्रिका तुलसीदास रचित एक ग्रंथ है। यह ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है विनय पत्रिका की भाषा ब्रज है तथा इसमें 21 रागों का प्रयोग हुआ है विनय पत्रिका का प्रमुख रस शांतरस है इस रस का स्‍थाई भाव निर्वेद होता है। विनय प्रत्रिका अध्‍यात्मिक जीवन को परिलक्षित करती है। इस में सम्‍मलित पदों की संख्‍या 280 है। .

कवितावली और विनय पत्रिका · तुलसीदास और विनय पत्रिका · और देखें »

गीतावली

गीतावली गोस्वामी तुलसीदास की काव्य कृति है। गीतावली तुलसीदास की प्रमाणित रचनाओं में मानी जाती है। यह ब्रजभाषा में रचित गीतों वाली रचना है जिसमें राम के चरित की अपेक्षा कुछ घटनाएँ, झाँकियाँ, मार्मिक भावबिन्दु, ललित रस स्थल, करुणदशा आदि को प्रगीतात्मक भाव के एकसूत्र में पिरोया गया है। ब्रजभाषा यहाँ काव्यभाषा के रूप में ही प्रयुक्त है बल्कि यह कहा जा सकता है कि गीतावली की भाषा सर्वनाम और क्रियापदों को छोड़कर प्रायः अवधी ही है। 'गीतावली' नामकरण जयदेव के गीतगोविन्द, विद्यापति की पदावली की परम्परा में ही है जो नामकरण मात्र से अपने विषयवस्तु को प्रकट करती है। गीतावली में संस्कृतवत तत्सम पदावली का प्रयोग सूरदास की लोकोन्मुखी ब्रजभाषा की तुलना में न केवल अधिक है बल्कि तुलसी के भावावेगों के व्यक्त करने में वह सहायक सिद्ध हुई है। रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार हृदय के त्रिविध भावों की व्यंजना गीतावाली के मधुर पदों में देखने में आती है। रामचन्द्र शुक्ल ने ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ में लिखा है ‘गीतावली’ की रचना गोस्वामी जी ने सूरदास के अनुकरण पर ही की है। बाललीला के कई पद ज्यों के त्यों सूरसागर में भी मिलते हैं, केवल ‘राम’ ‘श्याम’ का अन्तर है। लंकाकाण्ड तक तो मार्मिक स्थलों का जो चुनाव हुआ है वह तुलसी के सर्वथाअनुरूप है। पर उत्तरकाण्ड में जाकर सूरपद्धति के अतिशय अनुकरण के कारण उनका गंभीर व्यक्तित्व तिरोहित सा हो गया है, जिस रूप में राम को उन्होंने सर्वत्र लिया है, उनका भी ध्यान उन्हें नहीं रह गया। सूरदास में जिस प्रकार गोपियों के साथ श्रीकृष्ण हिंडोला झूलते हैं, होली खेलते हैं, वही करते राम भी दिखाये गये हैं। इतना अवश्य है कि सीता की सखियों और पुरनारियों का राम की ओर पूज्य भाव ही प्रकट होता है। राम की नखशिख शोभा का अलंकृत वर्णन भी सूर की शैली में बहुत से पदों में लगातार चला गया है। ‘गीतावली’ मूलतः कृष्ण काव्य परम्परा की गीत पद्धति पर लिखी गयी रामायण ही है। गीतावली का वस्तु-विभाजन सात काण्डों में हुआ है। किन्तु इसका उत्तरकाण्द अन्य ग्रन्थों के उत्तरकाण्ड से बहुत भिन्न है। उसमें रामरूपवर्णन, राम-हिण्डोला, अयोध्या की रमणीयता, दीपमालिका, वसन्त-बिहार, अयोध्या का आनन्द, रामराज्य आदि के वर्णन में माधुर्य एवं विलास की रमणीय झाँकियाँ प्रस्तुत की गयीं हैं। .

कवितावली और गीतावली · गीतावली और तुलसीदास · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

कवितावली और तुलसीदास के बीच तुलना

कवितावली 21 संबंध है और तुलसीदास 57 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 6.41% है = 5 / (21 + 57)।

संदर्भ

यह लेख कवितावली और तुलसीदास के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »