कवि और वर्नर हेइदेन्स्ताम
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कवि और वर्नर हेइदेन्स्ताम के बीच अंतर
कवि vs. वर्नर हेइदेन्स्ताम
कवि वह है जो भावों को रसाभिषिक्त अभिव्यक्ति देता है और सामान्य अथवा स्पष्ट के परे गहन यथार्थ का वर्णन करता है। इसीलिये वैदिक काल में ऋषय: मन्त्रदृष्टार: कवय: क्रान्तदर्शिन: अर्थात् ऋषि को मन्त्रदृष्टा और कवि को क्रान्तदर्शी कहा गया है। "जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि" इस लोकोक्ति को एक दोहे के माध्यम से अभिव्यक्ति दी गयी है: "जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ, कवि पहुँचे तत्काल। दिन में कवि का काम क्या, निशि में करे कमाल।।" ('क्रान्त' कृत मुक्तकी से साभार) . वर्नर हेइदेन्स्ताम (1859-1940) स्वीडिश कवि एवं उपन्यासकार थे। 1916 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता। .
कवि और वर्नर हेइदेन्स्ताम के बीच समानता
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संदर्भ
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