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कला और फुलकारी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कला और फुलकारी के बीच अंतर

कला vs. फुलकारी

राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित 'गोपिका' कला (आर्ट) शब्द इतना व्यापक है कि विभिन्न विद्वानों की परिभाषाएँ केवल एक विशेष पक्ष को छूकर रह जाती हैं। कला का अर्थ अभी तक निश्चित नहीं हो पाया है, यद्यपि इसकी हजारों परिभाषाएँ की गयी हैं। भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित हो। यूरोपीय शास्त्रियों ने भी कला में कौशल को महत्त्वपूर्ण माना है। कला एक प्रकार का कृत्रिम निर्माण है जिसमे शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है। . फुलकारी एक तरहां की कढाई होती है जो चुनरी /दुपटो पर हाथों से की जाती है। फुलकारी शब्द "फूल" और "कारी" से बना है जिसका मतलब फूलों की कलाकारी। इंडियन कल्चर में पंजाब का योगदान शानदार संगीत, लाजवाब खाने और खूबसूरत रंगों से कहीं ज़्यादा है। पटियाला सलवार सूट और फुलकारी एम्ब्रॉएडरी के बिना इंडियन फैशन बेहद नीरस होता। इस कढ़ाई का जन्म प्राचीन भारत (अब पाकिस्तान) में हुआ था जिसमें बेहद कुशल कारीगरी की ज़रूरत होती है। पारंपरिक कारीगरों ने खूबसूरत फूलों के मोटिफ्स से इस कला को परफेक्ट बना लिया। शुरुआती दौर में फुलकारी हर तरह के कपड़ों पर की जाती थी लेकिन बाद में ये सिर्फ स्कार्व्स और शॉल्स तक ही सीमित हो गई और कभी-कभी शूज़, बेल्ट्स और बैग्स जैसी ऐक्सेसरीज़ पर भी.

कला और फुलकारी के बीच समानता

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संदर्भ

यह लेख कला और फुलकारी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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