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कला और चिकन की कढ़ाई

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कला और चिकन की कढ़ाई के बीच अंतर

कला vs. चिकन की कढ़ाई

राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित 'गोपिका' कला (आर्ट) शब्द इतना व्यापक है कि विभिन्न विद्वानों की परिभाषाएँ केवल एक विशेष पक्ष को छूकर रह जाती हैं। कला का अर्थ अभी तक निश्चित नहीं हो पाया है, यद्यपि इसकी हजारों परिभाषाएँ की गयी हैं। भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित हो। यूरोपीय शास्त्रियों ने भी कला में कौशल को महत्त्वपूर्ण माना है। कला एक प्रकार का कृत्रिम निर्माण है जिसमे शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है। . सूती कुर्ते के उपर चिकन का काम चिकन लखनऊ की प्रसिद्ध शैली है कढाई और कशीदा कारी की। यह लखनऊ की कशीदाकारी का उत्कृष्ट नमूना है और लखनवी ज़रदोज़ी यहाँ का लघु उद्योग है जो कुर्ते और साड़ियों जैसे कपड़ों पर अपनी कलाकारी की छाप चढाते हैं। इस उद्योग का ज़्यादातर हिस्सा पुराने लखनऊ के चौक इलाके में फैला हुआ है। यहां के बाज़ार चिकन कशीदाकारी के दुकानों से भरे हुए हैं। मुर्रे, जाली, बखिया, टेप्ची, टप्पा आदि ३६ प्रकार के चिकन की शैलियां होती हैं। इसके माहिर एवं प्रसिद्ध कारीगरों में उस्ताद फ़याज़ खां और हसन मिर्ज़ा साहिब थे। इस हस्तशिल्प उद्योग का एक खास पहलू यह भी है कि उसमें 95 फीसदी महिलाएं हैं। ज्यादातर महिलाएं लखनऊ में गोमती नदी के पार के पुराने इलाकों में बसी हुई हैं। चिकन की कला, अब लखनऊ शहर तक ही सीमित नहीं है अपितु लखनऊ तथा आसपास के अंचलों के गांव-गांव तक फैल गई है। मुगलकाल से शुरू हुआ चिकनकारी का शानदार सफर सैंकड़ों देशों से होता हुआ आज भी बदस्तूर जारी है। चिकनकारी का एक खूबसूरत आर्ट पीस लंदन के रायल अल्बर्ट म्यूजियम में भी विश्वभर के पर्यटकों को अपनी गाथा सुना रहा है। .

कला और चिकन की कढ़ाई के बीच समानता

कला और चिकन की कढ़ाई आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): संगीत

संगीत

नेपाल की नुक्कड़ संगीत-मण्डली द्वारा पारम्परिक संगीत सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि करे, संगीत कहलाती है। गायन, वादन व नृत्य ये तीनों ही संगीत हैं। संगीत नाम इन तीनों के एक साथ व्यवहार से पड़ा है। गाना, बजाना और नाचना प्रायः इतने पुराने है जितना पुराना आदमी है। बजाने और बाजे की कला आदमी ने कुछ बाद में खोजी-सीखी हो, पर गाने और नाचने का आरंभ तो न केवल हज़ारों बल्कि लाखों वर्ष पहले उसने कर लिया होगा, इसमें संदेह नहीं। गान मानव के लिए प्राय: उतना ही स्वाभाविक है जितना भाषण। कब से मनुष्य ने गाना प्रारंभ किया, यह बतलाना उतना ही कठिन है जितना कि कब से उसने बोलना प्रारंभ किया। परंतु बहुत काल बीत जाने के बाद उसके गान ने व्यवस्थित रूप धारण किया। जब स्वर और लय व्यवस्थित रूप धारण करते हैं तब एक कला का प्रादुर्भाव होता है और इस कला को संगीत, म्यूजिक या मौसीकी कहते हैं। .

कला और संगीत · चिकन की कढ़ाई और संगीत · और देखें »

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कला और चिकन की कढ़ाई के बीच तुलना

कला 39 संबंध है और चिकन की कढ़ाई 10 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 2.04% है = 1 / (39 + 10)।

संदर्भ

यह लेख कला और चिकन की कढ़ाई के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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