लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

कर्ण और धृतराष्ट्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कर्ण और धृतराष्ट्र के बीच अंतर

कर्ण vs. धृतराष्ट्र

जावानी रंगमंच में कर्ण। कर्ण महाभारत के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक है। कर्ण की वास्तविक माँ कुन्ती थी। कर्ण का जन्म कुन्ती का पाण्डु के साथ विवाह होने से पूर्व हुआ था। कर्ण दुर्योधन का सबसे अच्छा मित्र था और महाभारत के युद्ध में वह अपने भाइयों के विरुद्ध लड़ा। वह सूर्य पुत्र था। कर्ण को एक आदर्श दानवीर माना जाता है क्योंकि कर्ण ने कभी भी किसी माँगने वाले को दान में कुछ भी देने से कभी भी मना नहीं किया भले ही इसके परिणामस्वरूप उसके अपने ही प्राण संकट में क्यों न पड़ गए हों। कर्ण की छवि आज भी भारतीय जनमानस में एक ऐसे महायोद्धा की है जो जीवनभर प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ता रहा। बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि कर्ण को कभी भी वह सब नहीं मिला जिसका वह वास्तविक रूप से अधिकारी था। तर्कसंगत रूप से कहा जाए तो हस्तिनापुर के सिंहासन का वास्तविक अधिकारी कर्ण ही था क्योंकि वह कुरु राजपरिवार से ही था और युधिष्ठिर और दुर्योधन से ज्येष्ठ था, लेकिन उसकी वास्तविक पहचान उसकी मृत्यु तक अज्ञात ही रही। कर्ण की छवि द्रौपदी का अपमान किए जाने और अभिमन्यु वध में उसकी नकारात्मक भूमिका के कारण धूमिल भी हुई थी लेकिन कुल मिलाकर कर्ण को एक दानवीर और महान योद्धा माना जाता है। . महाभारत में धृतराष्ट्र हस्तिनापुर के महाराज विचित्रवीर्य की पहली पत्नी अंबिका के पुत्र थे। उनका जन्म महर्षि वेद व्यास के वरदान स्वरूप हुआ था। हस्तिनापुर के ये नेत्रहीन महाराज सौ पुत्रों और एक पुत्री के पिता थे। उनकी पत्नी का नाम गांधारी था। बाद में ये सौ पुत्र कौरव कहलाए। दुर्योधन और दु:शासन क्रमशः पहले दो पुत्र थे। .

कर्ण और धृतराष्ट्र के बीच समानता

कर्ण और धृतराष्ट्र आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): दुर्योधन, महाभारत, वेदव्यास

दुर्योधन

Duryodana was defeated by Bhima - A scene from Razmanama.

कर्ण और दुर्योधन · दुर्योधन और धृतराष्ट्र · और देखें »

महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

कर्ण और महाभारत · धृतराष्ट्र और महाभारत · और देखें »

वेदव्यास

ऋषि कृष्ण द्वेपायन वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे। महाभारत के बारे में कहा जाता है कि इसे महर्षि वेदव्यास के गणेश को बोलकर लिखवाया था। वेदव्यास महाभारत के रचयिता ही नहीं, बल्कि उन घटनाओं के साक्षी भी रहे हैं, जो क्रमानुसार घटित हुई हैं। अपने आश्रम से हस्तिनापुर की समस्त गतिविधियों की सूचना उन तक तो पहुंचती थी। वे उन घटनाओं पर अपना परामर्श भी देते थे। जब-जब अंतर्द्वंद्व और संकट की स्थिति आती थी, माता सत्यवती उनसे विचार-विमर्श के लिए कभी आश्रम पहुंचती, तो कभी हस्तिनापुर के राजभवन में आमंत्रित करती थी। प्रत्येक द्वापर युग में विष्णु व्यास के रूप में अवतरित होकर वेदों के विभाग प्रस्तुत करते हैं। पहले द्वापर में स्वयं ब्रह्मा वेदव्यास हुए, दूसरे में प्रजापति, तीसरे द्वापर में शुक्राचार्य, चौथे में बृहस्पति वेदव्यास हुए। इसी प्रकार सूर्य, मृत्यु, इन्द्र, धनजंय, कृष्ण द्वैपायन अश्वत्थामा आदि अट्ठाईस वेदव्यास हुए। इस प्रकार अट्ठाईस बार वेदों का विभाजन किया गया। उन्होने ही अट्ठारह पुराणों की भी रचना की, ऐसा माना जाता है। वेदव्यास यह व्यास मुनि तथा पाराशर इत्यादि नामों से भी जाने जाते है। वह पराशर मुनि के पुत्र थे, अत: व्यास 'पाराशर' नाम से भि जाने जाते है। महर्षि वेदव्यास को भगवान का ही रूप माना जाता है, इन श्लोकों से यह सिद्ध होता है। नमोऽस्तु ते व्यास विशालबुद्धे फुल्लारविन्दायतपत्रनेत्र। येन त्वया भारततैलपूर्णः प्रज्ज्वालितो ज्ञानमयप्रदीपः।। अर्थात् - जिन्होंने महाभारत रूपी ज्ञान के दीप को प्रज्वलित किया ऐसे विशाल बुद्धि वाले महर्षि वेदव्यास को मेरा नमस्कार है। व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे। नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नम:।। अर्थात् - व्यास विष्णु के रूप है तथा विष्णु ही व्यास है ऐसे वसिष्ठ-मुनि के वंशज का मैं नमन करता हूँ। (वसिष्ठ के पुत्र थे 'शक्ति'; शक्ति के पुत्र पराशर, और पराशर के पुत्र पाराशर (तथा व्यास)) .

कर्ण और वेदव्यास · धृतराष्ट्र और वेदव्यास · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

कर्ण और धृतराष्ट्र के बीच तुलना

कर्ण 51 संबंध है और धृतराष्ट्र 7 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 5.17% है = 3 / (51 + 7)।

संदर्भ

यह लेख कर्ण और धृतराष्ट्र के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »