लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

करीना कपूर और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

करीना कपूर और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार के बीच अंतर

करीना कपूर vs. फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार

करीना कपूर (जन्म: २१ सितम्बर १९८०) बॉलीवुड फिल्मों में काम करने वाली एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। कपूर फ़िल्म परिवार में जन्मी करीना ने अभिनय की शुरुआत साल २००० में रिलीज़ हुई फ़िल्म रिफ्युज़ी के साथ की। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल डेब्यू यानि उस साल अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाली अभिनेत्रियों में से सर्वश्रेष्ठ अभिनत्री का पुरस्कार भी मिला। साल २००१ में, अपनी दूसरी फ़िल्म मुझे कुछ कहना है रिलीज़ होने के साथ ही, कपूर को अपनी पहली व्यावसायिक सफलता मिली। इसके बाद इसी साल आई करन जौहर की नाटक से भरपूर फ़िल्म कभी खुशी कभी ग़म में भी करीना नज़र आयीं। ये फ़िल्म उस साल विदेशों में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली भारतीय फ़िल्म बन गई और साथ ही करीना के लिए ये तब तक की सबसे बड़ी व्यावसायिक सफलता थी। २००२ और २००३ में लगातार कई फिल्मों की असफलता और एक जैसी भूमिकाएं करने की वजह से करीना को समीक्षालों से काफ़ी नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं, उसके बाद करीना ने एक जैसी भूमिकाओं या टाईपकास्ट (typecast) से बचने के लिए ज्यादा मेहनत वाली और कठिन भूमिकाएं लेना शुरू कर दिया। फ़िल्म चमेली (Chameli) में देह व्यापार करने वाली एक लड़की की भूमिका ने उनके करियर की दिशा बदल दी। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर स्पेशल परफोर्मेंस अवार्ड या फ़िल्मफेयर विशिष्ट प्रदर्शन पुरस्कार (Filmfare Special Performance Award) भी मिला। इसके बाद, फ़िल्म समीक्षकों द्वारा बहुप्रशंसित फिल्मों देव और ओंकारा में अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर समारोह में आलोचकों की दृष्टि से दो सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार (Critics Awards for Best Actress) भी मिले। २००४ और २००६ के बीच अभिनय के क्षेत्र में इतनी अलग-अलग तरह की भूमिकाएं करने के बाद उन्हें बहुमुखी प्रतिभा की धनी अभिनेत्री के रूप में जाना जाने लगा। वर्ष २००७ में, कपूर ने व्यावसायिक दृष्टि से बेहद सफल रही कॉमेडी-रोमांस फ़िल्म जब वी मेट में अपने प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार जीता.बॉक्स ऑफिस पर कमाई करने के मामले में भले ही उनकी फिल्मों का प्रदर्शन काफी अलग अलग रहा हो लेकिन करीना ख़ुद को हिन्दी फ़िल्म उद्योग में आज कल की अग्रणी फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में स्थापित करने में सफल रही हैं। . फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार फ़िल्मफ़ेयर पत्रिका द्वारा प्रति वर्ष दिया जाने वाला पुरस्कार है। यह हिन्दी फ़िल्म में बेहतर अभिनय के लिये अभिनेत्री फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार समारोह में दिया जाता है। .

करीना कपूर और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार के बीच समानता

करीना कपूर और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार आम में 12 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नरगिस (अभिनेत्री), प्रियंका चोपड़ा, फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार, मदर इण्डिया, मीना कुमारी, रानी मुखर्जी, शबाना आज़मी, जब वी मेट, जया बच्चन, कभी खुशी कभी ग़म, करिश्मा कपूर, काजोल देवगन

नरगिस (अभिनेत्री)

नरगिस दत्त (१ जून १९२८ – ३ मई १९८१), जन्म नाम फ़ातिमा रशिद लेकिन बाद में नाम परिवर्तित कर दिया गया था। इनका जन्म कोलकाता,पश्चिम बंगाल में हुआ था। List of Nominated members, Rajya Sabha Official website.ये एक भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं जिन्होंने हिन्दी फ़िल्म अभिनेता सुनील दत्त से शादी की थी। इन्होंने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुआत बचपन तलाश-ए-हक़ (१९३५) में ही कर दी थी लेकिन इन्होंने एक्टिंग करनी १९४२ में तमन्ना फ़िल्म से शुरू की थी। १९५७ की मदर इंडिया फ़िल्म के लिए इनको एकेडमी अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया था साथ ही इस फ़िल्म के लिए इन्हें सबसे अच्छी फ़िल्म अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिया गया था। इसके बाद इन्हें १९६७ में बनी रात और दिन फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित की गई थीं। .

करीना कपूर और नरगिस (अभिनेत्री) · नरगिस (अभिनेत्री) और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार · और देखें »

प्रियंका चोपड़ा

प्रियंका चोपड़ा (जन्म: १८ जुलाई, १९८२) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

करीना कपूर और प्रियंका चोपड़ा · प्रियंका चोपड़ा और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार · और देखें »

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे पुरानी और प्रमुख घटनाओं में से एक रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले 1954 में हुई जब राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की भी स्थापना हुई थी। पुरस्कार जनता के मत एवं ज्यूरी के सदस्यों के मत दोनों के आधार पर दी हर साल दी जाती है। .

करीना कपूर और फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार · फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार · और देखें »

मदर इण्डिया

मदर इण्डिया (Mother India, مدر انڈیا) १९५७ में बनी भारतीय फ़िल्म है जिसे महबूब ख़ान द्वारा लिखा और निर्देशित किया गया है। फ़िल्म में नर्गिस, सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार और राज कुमार मुख्य भूमिका में हैं। फ़िल्म महबूब ख़ान द्वारा निर्मित औरत (१९४०) का रीमेक है। यह गरीबी से पीड़ित गाँव में रहने वाली औरत राधा की कहानी है जो कई मुश्किलों का सामना करते हुए अपने बच्चों का पालन पोषण करने और बुरे जागीरदार से बचने की मेहनत करती है। उसकी मेहनत और लगन के बावजूद वह एक देवी-स्वरूप उदाहरण पेश करती है व भारतीय नारी की परिभाषा स्थापित करती है और फिर भी अंत में भले के लिए अपने गुण्डे बेटे को स्वयं मार देती है। वह आज़ादी के बाद के भारत को सबके सामने रखती है। यह फ़िल्म अबतक बनी सबसे बड़ी बॉक्स ऑफिस हिट भारतीय फ़िल्मों में गिनी जाती है और अब तक की भारत की सबसे बढ़िया फ़िल्म गिनी जाती है। इसे १९५८ में तीसरी सर्वश्रेष्ठ फीचर फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से नवाज़ा गया था। मदर इण्डिया क़िस्मत (१९४३), मुग़ल-ए-आज़म (१९६०) और शोले (१९७५) के साथ उन चुनिन्दा फ़िल्मों में आती है जिन्हें आज भी लोग देखना पसंद करते हैं और यह हिन्दी सांस्कृतिक फ़िल्मों की श्रेणी में विराजमान है। यह फ़िल्म भारत की ओर से पहली बार अकादमी पुरस्कारों के लिए भेजी गई फ़िल्म थी। .

करीना कपूर और मदर इण्डिया · फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार और मदर इण्डिया · और देखें »

मीना कुमारी

मीना कुमारी (1 अगस्त, 1933 - 31 मार्च, 1972) भारत की एक मशहूर अभिनेत्री थीं। इन्हें खासकर दुखांत फ़िल्मों में इनकी यादगार भूमिकाओं के लिये याद किया जाता है। मीना कुमारी को भारतीय सिनेमा की ट्रैजेडी क्वीन भी कहा जाता है। अभिनेत्री होने के साथ-साथ मीना कुमारी एक उम्दा शायारा एवम् पार्श्वगायिका भी थीं। मीना कुमारी का असली नाम महजबीं बानो था और ये बंबई में पैदा हुई थीं। उनके पिता अली बक्श पारसी रंगमंच के एक मँझे हुए कलाकार थे और उन्होंने "ईद का चाँद" फिल्म में संगीतकार का भी काम किया था। उनकी माँ प्रभावती देवी (बाद में इकबाल बानो), भी एक मशहूर नृत्यांगना और अदाकारा थी। मीना कुमारी की बड़ी बहन खुर्शीद बानो भी फिल्म अभिनेत्री थीं जो आज़ादी के बाद पाकिस्तान चलीं गईं।कहा जाता है कि दरिद्रता से ग्रस्त उनके पिता अली बक़्श उन्हें पैदा होते ही अनाथाश्रम में छोड़ आए थे चूँकि वे उनके डाॅक्टर श्रीमान गड्रे को उनकी फ़ीस देने में असमर्थ थे।हालांकि अपने नवजात शिशु से दूर जाते-जाते पिता का दिल भर आया और तुरंत अनाथाश्रम की ओर चल पड़े।पास पहुंचे तो देखा कि नन्ही मीना के पूरे शरीर पर चीटियाँ काट रहीं थीं।अनाथाश्रम का दरवाज़ा बंद था, शायद अंदर सब सो गए थे।यह सब देख उस लाचार पिता की हिम्मत टूट गई,आँखों से आँसु बह निकले।झट से अपनी नन्हीं-सी जान को साफ़ किया और अपने दिल से लगा लिया।अली बक़्श अपनी चंद दिनों की बेटी को घर ले आए।समय के साथ-साथ शरीर के वो घाव तो ठीक हो गए किंतु मन में लगे बदकिस्मती के घावों ने अंतिम सांस तक मीना का साथ नहीं छोड़ा। महजबीं पहली बार 1939 में फिल्म निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म फ़रज़न्द-ए-वतन में बेबी महज़बीं के रूप में नज़र आईं। 1940 की फिल्म "एक ही भूल" में विजय भट्ट ने इनका नाम बेबी महजबीं से बदल कर बेबी मीना कर दिया। 1946 में आई फिल्म बच्चों का खेल से बेबी मीना 14 वर्ष की आयु में मीना कुमारी बनीं। मार्च 1947 में लम्बे समय तक बीमार रहने के कारण उनकी माँ की मृत्यु हो गई। मीना कुमारी की प्रारंभिक फिल्में ज्यादातर पौराणिक कथाओं पर आधारित थीं जिनमें हनुमान पाताल विजय, वीर घटोत्कच व श्री गणेश महिमा प्रमुख हैं। 1952 में आई फिल्म बैजू बावरा ने मीना कुमारी के फिल्मी सफ़र को नई उड़ान दी। मीना कुमारी द्वारा चित्रित गौरी के किरदार ने उन्हें घर-घर में प्रसिद्धि दिलाई। फिल्म 100 हफ्तों तक परदे पर रही और 1954 में उन्हें इसके लिए पहले फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1953 तक मीना कुमारी की तीन फिल्में आ चुकी थीं जिनमें: दायरा, दो बीघा ज़मीन और परिणीता शामिल थीं। परिणीता से मीना कुमारी के लिये एक नया युग शुरु हुआ। परिणीता में उनकी भूमिका ने भारतीय महिलाओं को खास प्रभावित किया था चूँकि इस फिल्म में भारतीय नारी की आम जिंदगी की कठिनाइयों का चित्रण करने की कोशिश की गयी थी। उनके अभिनय की खास शैली और मोहक आवाज़ का जादू छाया रहा और लगातार दूसरी बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। वर्ष 1951 में फिल्म तमाशा के सेट पर मीना कुमारी की मुलाकात उस ज़माने के जाने-माने फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही से हुई जो फिल्म महल की सफलता के बाद निर्माता के तौर पर अपनी अगली फिल्म अनारकली के लिए नायिका की तलाश कर रहे थे।मीना का अभिनय देख वे उन्हें मुख्य नायिका के किरदार में लेने के लिए राज़ी हो गए।दुर्भाग्यवश 21 मई 1951 को मीना कुमारी महाबलेश्वरम के पास एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गईं जिससे उनके बाहिने हाथ की छोटी अंगुली सदा के लिए मुड़ गई। मीना अगले दो माह तक बम्बई के ससून अस्पताल में भर्ती रहीं और दुर्घटना के दूसरे ही दिन कमाल अमरोही उनका हालचाल पूछने पहुँचे। मीना इस दुर्घटना से बेहद दुखी थीं क्योंकि अब वो अनारकली में काम नहीं कर सकती थीं। इस दुविधा का हल कमाल अमरोही ने निकाला, मीना के पूछने पर कमाल ने उनके हाथ पर अनारकली के आगे 'मेरी' लिख डाला।इस तरह कमाल मीना से मिलते रहे और दोनों में प्रेम संबंध स्थापित हो गया। 14 फरवरी 1952 को हमेशा की तरह मीना कुमारी के पिता अली बख़्श उन्हें व उनकी छोटी बहन मधु को रात्रि 8 बजे पास के एक भौतिक चिकित्सकालय (फिज़्योथेरेपी क्लीनिक) छोड़ गए। पिताजी अक्सर रात्रि 10 बजे दोनों बहनों को लेने आया करते थे।उस दिन उनके जाते ही कमाल अमरोही अपने मित्र बाक़र अली, क़ाज़ी और उसके दो बेटों के साथ चिकित्सालय में दाखिल हो गए और 19 वर्षीय मीना कुमारी ने पहले से दो बार शादीशुदा 34 वर्षीय कमाल अमरोही से अपनी बहन मधु, बाक़र अली, क़ाज़ी और गवाह के तौर पर उसके दो बेटों की उपस्थिति में निक़ाह कर लिया। 10 बजते ही कमाल के जाने के बाद, इस निक़ाह से अपरिचित पिताजी मीना को घर ले आए।इसके बाद दोनों पति-पत्नी रात-रात भर बातें करने लगे जिसे एक दिन एक नौकर ने सुन लिया।बस फिर क्या था, मीना कुमारी पर पिता ने कमाल से तलाक लेने का दबाव डालना शुरू कर दिया। मीना ने फैसला कर लिया की तबतक कमाल के साथ नहीं रहेंगी जबतक पिता को दो लाख रुपये न दे दें।पिता अली बक़्श ने फिल्मकार महबूब खान को उनकी फिल्म अमर के लिए मीना की डेट्स दे दीं परंतु मीना अमर की जगह पति कमाल अमरोही की फिल्म दायरा में काम करना चाहतीं थीं।इसपर पिता ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वे पति की फिल्म में काम करने जाएँगी तो उनके घर के दरवाज़े मीना के लिए सदा के लिए बंद हो जाएँगे। 5 दिन अमर की शूटिंग के बाद मीना ने फिल्म छोड़ दी और दायरा की शूटिंग करने चलीं गईं।उस रात पिता ने मीना को घर में नहीं आने दिया और मजबूरी में मीना पति के घर रवाना हो गईं। अगले दिन के अखबारों में इस डेढ़ वर्ष से छुपी शादी की खबर ने खूब सुर्खियां बटोरीं। लेकिन स्वछंद प्रवृति की मीना अमरोही से 1964 में अलग हो गयीं। उनकी फ़िल्म पाक़ीज़ा को और उसमें उनके रोल को आज भी सराहा जाता है। शर्मीली मीना के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कवियित्री भी थीं लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी कवितायें छपवाने की कोशिश नहीं की। उनकी लिखी कुछ उर्दू की कवितायें नाज़ के नाम से बाद में छपी। .

करीना कपूर और मीना कुमारी · फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार और मीना कुमारी · और देखें »

रानी मुखर्जी

रानी मुखर्जी हिन्दी फिल्मों की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। 2005 में वे बॉलीवुड के शीर्ष 10 शक्तिशाली लोगों में सिर्फ एक महिला थी। रानी ही एक ऐसी अभिनेत्री है जिसे फिल्मफेयर ने 3 साल लगातार (2004-2006) बॉलीवुड की शीर्ष अभिनेत्री घोषित किया। रानी समाज सेवा के कामों में बहुत सक्रिय रहती हैं और उन्होंने बहुत सारी संस्थाओं के लिये चंदा इकठ्ठा किया है। उन्होंने 2 विश्व टूर में हिस्सा लिया है जहाँ बॉलीवुड के और सितारों के साथ उन्होंने स्टेज शो में दर्शकों के सामने प्रदर्शन किया। अपने पहले टूर में वे आमिर खान, ऐश्वर्या राय बच्चन, अक्षय खन्ना और ट्विंकल खन्ना के साथ थीं और दूसरे में शाहरुख़ खान, सैफ अली ख़ान, प्रीती ज़िंटा, अर्जुन रामपाल और प्रियंका चोपड़ा के साथ दिखीं| 2005 में उन्हें बॉलीवुड की तरफ से पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के साथ खाने पर न्योता दिया गया। 2006 में उन्हें बाकी बॉलीवुड अभिनेत्रियों के साथ ऑस्ट्रेलिया के कोम्मनवेल्थ खेलों में भारतीय परंपरा का प्रदर्शन किया। .

करीना कपूर और रानी मुखर्जी · फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार और रानी मुखर्जी · और देखें »

शबाना आज़मी

शबाना आज़मी (जन्म: 18 सितंबर, 1950) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

करीना कपूर और शबाना आज़मी · फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार और शबाना आज़मी · और देखें »

जब वी मेट

जब वी मेट (Jab We Met) 2007 की एक हिंदी रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है जिसे इम्तियाज अली ने लिखा और निर्देशित किया। फिल्म को धिलिन मेहता ने श्री अष्टविनायक सिनेविजन लिमिटेड के अर्न्तगत बनाया, इसमें शाहिद कपूर और करीना कपूर ने अपनी चौथी फिल्म में एक साथ काम किया। दारा सिंह और सौम्या टंडन, जो उत्तर भारत के मशहूर कलाकार हैं, ने इसमें सहायक भूमिकाएं कीं। फिल्म एक पंजाबी लड़की की कहानी है, जिसकी ट्रेन में मुंबई के एक उद्योगपति से मुलाकात होती है, जो जिंदगी से उदास है। वह एक स्टेशन पर उतर जाता है, उसे वापस ट्रेन पर बुलाने की कोशिश में वो भी उतर जाती है, दोनों किसी अनजान शहर में खड़े हैं और उनकी ट्रेन छूट जाती है। व्यक्ति अपने कॉर्पोरेट जॉब के दबाव में रह चुका है, उसके दिमाग में कोई गंतव्य नहीं है, लड़की उस पर अपने घर तक साथ जाने के लिए दबाव डालती है और उसे अपने गुप्त प्रेमी के बारे में बताती है। 26 अक्टूबर, 2007 यह पूरी दुनिया में रिलीज हुई, लेकिन उससे एक दिन पहले ही यह ब्रिटेन में रिलीज हो गयी थी, फिल्म भारतीय बॉक्स ऑफिस पर एक बहुत बड़ी हिट रही और इसने विदेशों में भी अच्छा व्यापार किया। इसकी सफलता के कारण, फिल्म के वितरकों, श्री अष्टविनायक सिनेविजन लिमिटेड, ने घोषणा की कि जब वी मेट को कॉर्पोरेट एंटिटी मोज़र बेयर के द्वारा चार दक्षिण भारतीय भाषाओँ में फिर से बनाया जायेगा-- तमिल, तेलगु,कन्नड़ और मलयालम.

करीना कपूर और जब वी मेट · जब वी मेट और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार · और देखें »

जया बच्चन

जया बच्चन (जया भादुरी, विवाह पूर्व) हिन्दी फिल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

करीना कपूर और जया बच्चन · जया बच्चन और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार · और देखें »

कभी खुशी कभी ग़म

कभी खुशी कभी ग़म... 2001 की हिन्दी भाषा की पारिवारिक नाटक फिल्म है। यह करण जौहर द्वारा लिखित और निर्देशित है और इसका निर्माण यश जौहर ने किया। फिल्म में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, शाहरुख खान, काजोल, ऋतिक रोशन और करीना कपूर प्रमुख भूमिका निभाते हैं जबकि रानी मुखर्जी विस्तारित विशेष उपस्थिति में दिखीं हैं। यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख व्यावसायिक सफलता के रूप में उभरी। भारत के बाहर, यह फिल्म सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म थी, जब तक कि करण की अगली फिल्म कभी अलविदा ना कहना (2006) द्वारा यह रिकॉर्ड तोड़ा नहीं गया था। इसने अगले वर्ष लोकप्रिय पुरस्कार समारोहों में कई पुरस्कार जीते, जिसमें पांच फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी शामिल थे। .

कभी खुशी कभी ग़म और करीना कपूर · कभी खुशी कभी ग़म और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार · और देखें »

करिश्मा कपूर

करिश्मा कपूर हिन्दी फिल्मों की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। वह प्रसिद्ध कपूर ख़ानदान से हैं और करीना कपूर की बड़ी बहन हैं। करिश्मा को उनके उपनाम लोलो से भी जाना जाता है। इनका जन्म 25 जून 1974 को मुम्बई में हुआ था। इन्हौंने बॉलीवुड की कई प्रसिद्ध और इनाम जीतने वाली फ़िल्मों में काम किया है। .

करिश्मा कपूर और करीना कपूर · करिश्मा कपूर और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार · और देखें »

काजोल देवगन

(बांग्ला: কাজল দেবগন Kajol Debgon, काजोल हिंदी फ़िल्मों की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं जिनका जन्म 5 अगस्त 1974 को हुआ था। उनकी माँ तनुजा अभिनेत्री थी और नानी शोभना समर्थ भी अभिनेत्री थीं। उनकी छोटी बहिन तनिषा भी अब फिल्मों मैं काम कर रही हैं। उनके पिता का नाम शोमू मुखर्जी है। वे फिल्में बनाते थे। काजोल ने अपना फिल्मी सफ़र फिल्म बेखुदी से शुरू किया जिसमें उनके पात्र का नाम राधिका था। वह फिल्म तो नहीं चली पर उनकी बाद की फिल्में बहुत प्रसिद्ध हुईं। जैसे कि बाज़ीगर और दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे। उहोंने अपने सहकर्मी और प्रेमी, अजय देवगन से २४ फरवरी 1999 को विवाह किया था। उनकी एक छोटी बेटी है जिसका नाम न्यसा है। उनके नाम कुल ६ फिल्मफेयर और उनमें से ५ सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार हैं जो की एक कीर्तिमान है। वह यह कीर्तिमान अपनी मौसी नूतन के साथ साझा करती हैं। .

करीना कपूर और काजोल देवगन · काजोल देवगन और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

करीना कपूर और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार के बीच तुलना

करीना कपूर 118 संबंध है और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार 95 है। वे आम 12 में है, समानता सूचकांक 5.63% है = 12 / (118 + 95)।

संदर्भ

यह लेख करीना कपूर और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »