5 संबंधों: नादेप कम्पोस्ट, बर्मी कम्पोस्ट, जैविक खेती, खाद, कम्पोस्टकारी शौचालय।
नादेप कम्पोस्ट
कम्पोस्ट बनाने की यह विधि ग्राम पुसर, जिला यवतमाल, महाराष्ट्र के नारायण देवराव पण्ढ़री पांडे द्वारा विकसित की गई है। इसलिये इसे नादेप विधि (या अंग्रेजी में नाडेप) कहते हैं। नाडेप कम्पोस्ट विधि की विशेषता यह है, कि इस प्रक्रिया में जमीन पर टांका बनाया जाता है। इस विधि में कम से कम गोबर का उपयोग करके अधिक मात्रा में अच्छी खाद तैयार की जा सकती है। टांके को भरने के लिए गोबर, कचरा (बायोमास) और बारीक छनी हुई मिट्टी की आवश्यकता रहती है। जीवांश को 90 से 120 दिन पकाने में वायु संचार प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। इसके द्वारा उत्पादित की गई खाद में प्रमुख रूप से 0.1 से 1.5 नत्रजन, 0.5 से 0.9 स्फुर (फास्फोरस) एवं 1.2 से 1.4 प्रतिशत पोटाश के अलावा अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाये जाते है। .
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बर्मी कम्पोस्ट
इससे मानव जीवन और प्राणी जीवन को सुखी बना सकते हैं.
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जैविक खेती
आलू की जैविक खेती जैविक खेती (Organic farming) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। सन् १९९० के बाद से विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार काफ़ी बढ़ा है। .
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खाद
खाद वनस्पती जगत में पौसण और विकास के काम आने वाले विघतन को खाद कहते हैं ! जैविक रूप में प्रयुक्त जैव पदार्थों को जैविक खाद (Manure) कहते हैं। यह चार प्रकार की होती है-.
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कम्पोस्टकारी शौचालय
कम्पोस्टकारी शौचालय में मल को शीघ्र विघटित करने के लिये कई पदार्थ उपयोग किये जा सकते हैं। इनमें लकड़ी का बुरादा प्रमुख है। मूत्र को अलग रखकर निर्जलीकरण करने वाला कम्पोस्टिंग शौचालय 1: ह्यूमस विभाग, 2: संवातन (Ventilation) पाइप, 3: शौचालय की सीट, 4:मूत्रालय, 5:मूत्र संग्रह एवं निर्जलीकरण, A:दूसरी मंजिल, B:पहली मंजिल, C:भूतल कंपोस्टकारी शौचालय (composting toilet) मानव मल के ट्रीटमेंट का सवायु (aerobic) विधि है जिसमें कंपोस्टिंग प्रक्रिया का उपयोग करने के फलस्वरूप बहुत कम (या बिल्कुल नहीं) जल डालना पड़ता है। यह विधि प्राय वायुहीन विनष्टन (decomposition) से तीव्र होती है। ज्ञातव्य है कि सेप्टिक तंत्रों में वायुहीन विनष्टन पद्धति ही ही प्रयुक्त होती है। कम्पोस्टकारी शौचालय प्रायः केन्दीकृत जलमल ट्रीटमेन्ट संयंत्रों (सीवर) के विकल्प के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। इनके निम्नलिखित लाभ हैं- ये शौचालय, गड्ढा शौचालय से भिन्न हैं जिससे भूजल के प्रदूषित होने का खतरा बना रहता है। .
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