7 संबंधों: ठोस, धातु, लकड़ी, खनिज, कठोरीकरण, कंक्रीट, अतिकठोर पदार्थ।
ठोस
ठोस (solid) पदार्थ की एक अवस्था है, जिसकी पहचान पदार्थ की संरचनात्मक दृढ़ता और विकृति (आकार, आयतन और स्वरूप में परिवर्तन) के प्रति प्रत्यक्ष अवरोध के गुण के आधार पर की जाती है। ठोस पदार्थों में उच्च यंग मापांक और अपरूपता मापांक होते है। इसके विपरीत, ज्यादातर तरल पदार्थ निम्न अपरूपता मापांक वाले होते हैं और श्यानता का प्रदर्शन करते हैं। भौतिक विज्ञान की जिस शाखा में ठोस का अध्ययन करते हैं, उसे ठोस-अवस्था भौतिकी कहते हैं। पदार्थ विज्ञान में ठोस पदार्थों के भौतिक और रासायनिक गुणों और उनके अनुप्रयोग का अध्ययन करते हैं। ठोस-अवस्था रसायन में पदार्थों के संश्लेषण, उनकी पहचान और रासायनिक संघटन का अध्ययन किया जाता है। .
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धातु
'धातु' के अन्य अर्थों के लिए देखें - धातु (बहुविकल्पी) ---- '''धातुएँ''' - मानव सभ्यता के पूरे इतिहास में सर्वाधिक प्रयुक्त पदार्थों में धातुएँ भी हैं लुहार द्वारा धातु को गर्म करने पर रसायनशास्त्र के अनुसार धातु (metals) वे तत्व हैं जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। इलेक्ट्रानिक मॉडल के आधार पर, धातु इलेक्ट्रानों द्वारा आच्छादित धनायनों का एक लैटिस हैं। धातुओं की पारम्परिक परिभाषा उनके बाह्य गुणों के आधार पर दी जाती है। सामान्यतः धातु चमकीले, प्रत्यास्थ, आघातवर्धनीय और सुगढ होते हैं। धातु उष्मा और विद्युत के अच्छे चालक होते हैं जबकि अधातु सामान्यतः भंगुर, चमकहीन और विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं। .
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लकड़ी
कई विशेषताएं दर्शाती हुई लकड़ी की सतह काष्ठ या लकड़ी एक कार्बनिक पदार्थ है, जिसका उत्पादन वृक्षों(और अन्य काष्ठजन्य पादपों) के तने में परवर्धी जाइलम के रूप में होता है। एक जीवित वृक्ष में यह पत्तियों और अन्य बढ़ते ऊतकों तक पोषक तत्वों और जल की आपूर्ति करती है, साथ ही यह वृक्ष को सहारा देता है ताकि वृक्ष खुद खड़ा रह कर यथासंभव ऊँचाई और आकार ग्रहण कर सके। लकड़ी उन सभी वानस्पतिक सामग्रियों को भी कहा जाता है, जिनके गुण काष्ठ के समान होते हैं, साथ ही इससे तैयार की जाने वाली सामग्रियाँ जैसे कि तंतु और पतले टुकड़े भी काष्ठ ही कहलाते हैं। सभ्यता के आरंभ से ही मानव लकड़ी का उपयोग कई प्रयोजनों जैसे कि ईंधन (जलावन) और निर्माण सामग्री के तौर पर कर रहा है। निर्माण सामग्री के रूप में इसका उपयोग मुख्य रूप भवन, औजार, हथियार, फर्नीचर, पैकेजिंग, कलाकृतियां और कागज आदि बनाने में किया जाता है। लकड़ी का काल निर्धारण कार्बन डेटिंग और कुछ प्रजातियों में वृक्षवलय कालक्रम के द्वारा किया जाता है। वृक्ष वलयों की चौड़ाई में साल दर साल होने वाले परिवर्तन और समस्थानिक प्रचुरता उस समय प्रचलित जलवायु का सुराग देते हैं। विभिन्न प्रकार के काष्ठ .
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खनिज
विभिन्न प्रकार के खनिज खनिज ऐसे भौतिक पदार्थ हैं जो खान से खोद कर निकाले जाते हैं। कुछ उपयोगी खनिज पदार्थों के नाम हैं - लोहा, अभ्रक, कोयला, बॉक्साइट (जिससे अलुमिनियम बनता है), नमक (पाकिस्तान व भारत के अनेक क्षेत्रों में खान से नमक निकाला जाता है!), जस्ता, चूना पत्थर इत्यादि। .
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कठोरीकरण
भट्ठी से १२०० डिग्री सेल्सियस के तापमान पर ढलाई से बने भागों का ठंडा होने पर कठोरीकरण होता है। कठोरीकरण एक विधि है जिस से किसीभी नर्म पदार्थ, आमतौर पर धातु, को कठोर बना दिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया कठोरीकरण कहलाती हैं। मिश्र धातुओं के लिए तापोपचार की प्रक्रिया से कठोरीकरण किया जाता है। इस क्रिया से पूर्ण धातु कठोर बनता है जिस कारण प्लास्टिक विरूपण के लिए वो प्रतिरोध प्रदान करता है। कई बार सिर्फ़ सतह का कठोरीकरण भी किया जाता है; जैसे कि लकडी का या प्राकृतिक तरीके से पत्थरोंका। .
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कंक्रीट
वाणिज्यिक भवन के लिये कंक्रीट बिछायी जा रही है। कंक्रीट (Concrete) एक निर्माण सामग्री है जो सीमेंट एवं कुछ अन्य पदार्थों का मिश्रण होती है। कंक्रीट की यह विशेषता है कि यह पानी मिलाकर छोड़ देने के बाद धीरे-धीरे ठोस एवं कठोर बन जाता है। इस प्रक्रिया को जलीकरण (Hydration) कहते है। इस रासायनिक क्रिया में पानी, सिमेन्ट के साथ क्रिया करके पत्थर जैसा कठोर पदार्थ बनाती है जिसमें अन्य चीजें बंध जातीं हैं। कंक्रीट का प्रयोग सड़क बनाने, पाइप निर्माण, भवन निर्माण, नींव बनाने, पुल आदि बनाने में होता है। कंक्रीट का उपयोग 2000 ई.पू.
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अतिकठोर पदार्थ
अति कठोर पदार्थ की श्रेणी में वह पदार्थ आते हैं जिसकी कठोरता सामान्य रूप से पाये जाने वाले धातु या पदार्थ से बहुत ज्यादा सख्त होती है। ये सभी अति कठोर पदार्थ की श्रेणी में आते हैं। हीरे को अति कठोर पदार्थ माना जाता है। श्रेणी:आधार.
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