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ककड़ी और ज़ायद की फ़सल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ककड़ी और ज़ायद की फ़सल के बीच अंतर

ककड़ी vs. ज़ायद की फ़सल

ककड़ी (वैज्ञानिक नाम: कुकुमिस मेलो वैराइटी यूटिलिसिमय / Cucumis melo var. utilissimus) ज़ायद की एक प्रमुख फसल है। इसको संस्कृत में 'कर्कटी' तथा मारवाडी भाषा में वालम काकरी कहा जाता है। यह "कुकुरबिटेसी" (Cucurbitaceae) वंश के अंतर्गत आती है। विश्वास किया जाता है कि ककड़ी की उत्पत्ति भारत से हुई। इसकी खेती की रीति बिलकुल तरोई के समान है, केवल उसके बोने के समय में अंतर है। यदि भूमि पूर्वी जिलों में हो, जहाँ शीत ऋतु अधिक कड़ी नहीं होती, तो अक्टूबर के मध्य में बीज बोए जा सकते हैं, नहीं तो इसे जनवरी में बोना चाहिए। ऐसे स्थानों में जहाँ सर्दी अधिक पड़ती हैं, इसे फरवरी और मार्च के महीनों में लगाना चाहिए। इसकी फसल बलुई दुमट भूमियों से अच्छी होती है। इस फसल की सिंचाई सप्ताह में दो बार करनी चाहिए। ककड़ी में सबसे अच्छी सुगंध गरम शुष्क जलवायु में आती है। इसमें दो मुख्य जातियाँ होती हैं - एक में हलके हरे रंग के फल होते हैं तथा दूसरी में गहरे हरे रंग के। इनमें पहली को ही लोग पसंद करते हैं। ग्राहकों की पसंद के अनुसार फलों की चुनाई तरुणावस्था में अथवा इसके बाद करनी चाहिए। इसकी माध्य उपज लगभग ७५ मन प्रति एकड़ है। . इस वर्ग की फसलों में तेज गर्मी और शुष्क हवाएँ सहन करने की अच्छी क्षमता होती हैं। उत्तर भारत में ये फसलें मूख्यतः मार्च-अप्रैल में बोई जाती हैं। .

ककड़ी और ज़ायद की फ़सल के बीच समानता

ककड़ी और ज़ायद की फ़सल आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तरबूज़, रबी की फ़सल, ख़रबूज़ा, ख़रीफ़ की फ़सल, खीरा

तरबूज़

तरबूज़ ग्रीष्म ऋतु का फल है। यह बाहर से हरे रंग के होते हैं, परन्तु अंदर से लाल और पानी से भरपूर व मीठे होते हैं। इनकी फ़सल आमतौर पर गर्मी मैं तैयार होती है। पारमरिक रूप से इन्हें गर्मी में खाना अच्छा माना जाता है क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करते हैं। कुछ स्रोतों के अनुसार तरबूज़ रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता है। हिन्दी की उपभाषाओं में इसे मतीरा (राजस्थान के कुछ भागों में) और हदवाना (हरियाणा के कुछ भागों में) भी कहा जाता है। .

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रबी की फ़सल

इन फसलों की बुआई के समय कम तापमान तथा पकते समय खुश्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है। ये फसलें सामान्यतः अक्तूबर-नवम्बर के महिनों में बोई जाती हैं। .

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ख़रबूज़ा

ख़रबूज़ा एक फल है। यह पकने पर हरे से पीले रंग के हो जाते है, हलांकि यह कई रंगों मे उपलब्ध है। मूल रूप से इसके फल लम्बी लताओं में लगते हैं। .

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ख़रीफ़ की फ़सल

बाजरा इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आर्द्रता तथा पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है। उत्तर भारत में इनको जून-जुलाई में बोते हैं और इन्हें अक्टूबर के आसपास काटा जाता है। .

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खीरा

खीरे की लता, पुष्प एवं फल खीरा (cucumber; वैज्ञानिक नाम: Cucumis sativus) ज़ायद की एक प्रमुख फसल है। सलाद के रूप में सम्पूर्ण विश्व में खीरा का विशेष महत्त्व है। खीरा को सलाद के अतिरिक्त उपवास के समय फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा विभिन्न प्राकर की मिठाइयाँ भी तैयार की जाती है। पेट की गड़बडी तथा कब्ज में भी खीरा को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। खीरा कब्ज़ दूर करता है। पीलिया, प्यास, ज्वर, शरीर की जलन, गर्मी के सारे दोष, चर्म रोग में लाभदायक है। खीरे का रस पथरी में लाभदायक है। पेशाब में जलन, रुकावट और मधुमेह में भी लाभदायक है। घुटनों में दर्द को दूर करने के लिये भोजन में खीरा अधिक खायें। .

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ककड़ी और ज़ायद की फ़सल के बीच तुलना

ककड़ी 10 संबंध है और ज़ायद की फ़सल 8 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 27.78% है = 5 / (10 + 8)।

संदर्भ

यह लेख ककड़ी और ज़ायद की फ़सल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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