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ऑर्किड और प्रकाश-संश्लेषण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ऑर्किड और प्रकाश-संश्लेषण के बीच अंतर

ऑर्किड vs. प्रकाश-संश्लेषण

ऑर्किड के फूल आर्किड, पौधों का एक कुल है जिसके सदस्यों के पुष्प अत्यंत सुंदर और सुगंधयुक्त होते हैं। आर्किडों को ठीक ही पुष्पजगत् में बड़ी प्रतिष्ठा प्राप्त है, क्योंकि इनके रंग रूप में विलक्षण विचित्रता है। और्किड बहुवर्षी बूटों का विशाल समुदाय है, जो प्राय: भूमि पर अथवा दूसरे पेड़ों पर आश्रय ग्रहण कर उगते हैं, या कुकुरमुत्ते के समान मृतभोजी जीवन बिताते हैं। मृतभोजी और्किडों में पर्णहरिम (क्लोरोफ़िल) नही होता। जो और्किड वृक्षों पर होते हैं उनमें बरोहियाँ (वायवीय जड़ें) होती हैं जिनकी बाहरी पर्त में जलशोषक तंतु होते हैं। विस्तृत रेगिस्तानी भागों के अतिरिक्त आर्किड प्राय: संसार के सभी भागों में होते हैं। वैसे ये उष्ण और समोष्ण देशों में अधिक होता हैं। और्किडों की लगभग 450 प्रजातियाँ (जेनरा) और 15,000 जातियाँ (स्पीशीज़) हैं तथा ये सब एक ही कुल (फ़ैमिली) के अंतर्गत हैं। किसी भी समूह के फूल में इतने विविध रूप नहीं हैं जितने और्किडों में। वास्तव में इनके फूल की तथा अन्य भागों के रूपांतरण ने इन्हें इतना भिन्न बना दिया है कि ये साधारण एकदली फूल जैसे लगते ही नहीं हैं। और्किडों के फूल चिरजीवी होने के लिए प्रसिद्ध हैं। यदि परागण न हो तो ये महीने डेढ़ महीने अथवा इससे भी अधिक दिनों तक अम्लान बने रहते हैं, यद्यपि यह समय बहुत कुछ वातावरण पर भी निर्भर है। परागण के पश्चात् फूल तुरंत मुर्झा जाते हैं। और्किडों में बीज अधिक मात्रा में बनते हैं तथा अत्यंत नन्हे होते हैं। प्राय: एक फल से कई हजार बीज उत्पन्न होते हैं और ये इतने हल्के होते हैं कि इनका प्रसारण वायु द्वारा सुगमता से हो जाता है। कुछ और्किडों को छोड़कर प्राय: सभी की जड़ों में कवक (फ़ंगस) होता है जो बिना कोई हानि पहुँचाए तंतुओं में रहता है। इस परिस्थिति का और्किडों के अंकुरण से विशेष संबंध है। ऐसा अनुमान है कि इनके बीज बिना कवक से संपर्क के अंकुरित ही नहीं हो पाते। और्किड की खेती का एक अत्यंत रोचक तथा आवश्यक अंग उनसे संकर पौधे उत्पन्न करना है। और्किडों में कृत्रिम परागण द्वारा सफलता प्राप्त करने के लिए इनके फूलों की रचना का यथार्थ ज्ञान, हस्तलाघव, कौशल तथा धैर्य का होना अत्यंत आवश्यक है। और्किडों का सारा महत्व इनके फूलों की सुंदरता तथा सजधज में है। इनमें से कुछ से, जैसे वैनीला से, एक प्रकार का सार (इत्र) भी प्राप्त होता है जो इनके फलों से निकाला जाता है। भारतवर्ष में आर्किड पहाड़ी प्रदेशों में, जैसे हिमालय, खासी-जयंती पर्वत, पश्चिमी घाट, कोडै कैनाल और नीलगिरि पर्वत पर होते हैं। . हरी पत्तियाँ, प्रकाश संश्लेषण के लिये प्रधान अंग हैं। सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय उर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने की क्रिया को प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिन्थेसिस) कहते है। प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगो जैसे पत्ती, द्वारा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बनडाइऑक्साइड तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस (O2) बाहर निकालते हैं। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पौधों की हरी पत्तियों की कोंशिकाओं के अन्दर कार्बन डाइआक्साइड और पानी के संयोग से पहले साधारण कार्बोहाइड्रेट और बाद में जटिल काबोहाइड्रेट का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया में आक्सीजन एवं ऊर्जा से भरपूर कार्बोहाइड्रेट (सूक्रोज, ग्लूकोज, स्टार्च (मंड) आदि) का निर्माण होता है तथा आक्सीजन गैस बाहर निकलती है। जल, कार्बनडाइऑक्साइड, सूर्य का प्रकाश तथा क्लोरोफिल (पर्णहरित) को प्रकाश संश्लेषण का अवयव कहते हैं। इसमें से जल तथा कार्बनडाइऑक्साइड को प्रकाश संश्लेषण का कच्चा माल कहा जाता है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण जैवरासायनिक अभिक्रियाओं में से एक है। सीधे या परोक्ष रूप से दुनिया के सभी सजीव इस पर आश्रित हैं। प्रकाश संश्वेषण करने वाले सजीवों को स्वपोषी कहते हैं। .

ऑर्किड और प्रकाश-संश्लेषण के बीच समानता

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ऑर्किड और प्रकाश-संश्लेषण के बीच तुलना

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संदर्भ

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