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एसिटिक अम्ल और जल (अणु)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

एसिटिक अम्ल और जल (अणु) के बीच अंतर

एसिटिक अम्ल vs. जल (अणु)

शुक्ताम्ल (एसिटिक अम्ल) CH3COOH जिसे एथेनोइक अम्ल के नाम से भी जाना जाता है, एक कार्बनिक अम्ल है जिसकी वजह से सिरका में खट्टा स्वाद और तीखी खुशबू आती है। यह इस मामले में एक कमज़ोर अम्ल है कि इसके जलीय विलयन में यह अम्ल केवल आंशिक रूप से विभाजित होता है। शुद्ध, जल रहित एसिटिक अम्ल (ठंडा एसिटिक अम्ल) एक रंगहीन तरल होता है, जो वातावरण (हाइग्रोस्कोपी) से जल सोख लेता है और 16.5 °C (62 °F) पर जमकर एक रंगहीन क्रिस्टलीय ठोस में बदल जाता है। शुद्ध अम्ल और उसका सघन विलयन खतरनाक संक्षारक होते हैं। एसिटिक अम्ल एक सरलतम कार्बोक्जिलिक अम्ल है। ये एक महत्वपूर्ण रासायनिक अभिकर्मक और औद्योगिक रसायन है, जिसे मुख्य रूप से शीतल पेय की बोतलों के लिए पोलिइथाइलीन टेरिफ्थेलेट; फोटोग्राफिक फिल्म के लिए सेलूलोज़ एसिटेट, लकड़ी के गोंद के लिए पोलिविनाइल एसिटेट और सिन्थेटिक फाइबर और कपड़े बनाने के काम में लिया जाता है। घरों में इसके तरल विलयन का उपयोग अक्सर एक डिस्केलिंग एजेंट के तौर पर किया जाता है। खाद्य उद्योग में एसिटिक अम्ल का उपयोग खाद्य संकलनी कोड E260 के तहत एक एसिडिटी नियामक और एक मसाले के तौर पर किया जाता है। एसिटिक अम्ल की वैश्विक मांग क़रीब 6.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष (Mt/a) है, जिसमें से क़रीब 1.5 Mt/a प्रतिवर्ष पुनर्प्रयोग या रिसाइक्लिंग द्वारा और शेष पेट्रोरसायन फीडस्टोक्स या जैविक स्रोतों से बनाया जाता है। स्वाभाविक किण्वन द्वारा उत्पादित जलमिश्रित एसिटिक अम्ल को सिरका कहा जाता है। . जल पृथ्वी की सतह पर सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला अणु है, जो इस ग्रह की सतह के 70% का गठन करता है। प्रकृति में यह तरल, ठोस और गैसीय अवस्था में मौजूद है। मानक दबावों और तापमान पर यह तरल और गैस अवस्थाओं के बीच गतिशील संतुलन में रहता है। घरेलू तापमान पर, यह तरल रूप में हल्की नीली छटा वाला बेरंग, बेस्वाद और बिना गंध का होता है। कई पदार्थ, जल में घुल जाते हैं और इसे सामान्यतः सार्वभौमिक विलायक के रूप में सन्दर्भित किया जाता है। इस वजह से, प्रकृति में मौजूद जल और प्रयोग में आने वाला जल शायद ही कभी शुद्ध होता है और उसके कुछ गुण, शुद्ध पदार्थ से थोड़ा भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, ऐसे कई यौगिक हैं जो कि अनिवार्य रूप से, अगर पूरी तरह नहीं, जल में अघुलनशील है। जल ही ऐसी एकमात्र चीज़ है जो पदार्थ की सामान्य तीन अवस्थाओं में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है - अन्य चीज़ों के लिए रासायनिक गुण देखें. पृथ्वी पर जीवन के लिए जल आवश्यक है। जल आम तौर पर, मानव शरीर के 55% से लेकर 78% तक का निर्माण करता है। .

एसिटिक अम्ल और जल (अणु) के बीच समानता

एसिटिक अम्ल और जल (अणु) आम में 14 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तरल, तापमान, दाब, प्रोटॉन, रेडॉक्स, शराब, विलायक, गंधक, आयन, कार्बन डाईऑक्साइड, क्रिस्टल, क्वथनांक, उत्प्रेरण, PH

तरल

थ़र्मोमीटर में इस्तेमाल होने वाला पारा एक तरल धातु है जो पानी की तरह बहती है और जिसे उडेला जा सकता है (ध्यान रहे के पारा और उस से उठती हुई भाप अत्यंत विषैली होती है) तरल का अर्थ होता है बहने वाला। भौतिकी (फिज़िक्स) में तरल की श्रेणी में द्रव (लिक्विड) और गैस दोनों आते हैं, क्योंकि दोनों ही बहते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से प्लाज़्मा भी तरल पदार्थों की श्रेणी में शामिल है। भौतिकी की वह शाखा जिसमें तरल का अध्ययन होता है तरल यांत्रिकी कहलाती है। .

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तापमान

आदर्श गैस के तापमान का सैद्धान्तिक आधार अणुगति सिद्धान्त से मिलता है। तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है। अर्थात्, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म। उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है। एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था। गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है। तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है। .

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दाब

दाब का मान प्रदर्शित करने के लिये पारा स्तंभ किसी सतह के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले अभिलम्ब बल को दाब (Pressure) कहते हैं। इसकी इकाई 'न्यूटन प्रति वर्ग मीटर' होती है। दाब की और भी कई प्रचलित इकाइयाँ हैं। p .

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प्रोटॉन

प्राणु संरचना प्राणु (प्रोटॉन) एक धनात्मक विध्युत आवेशयुक्त मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता हैं। इसे p प्रतिक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। इस पर 1 दो अप-क्वार्क और एक डाउन-क्वार्क से मिलकर बना होता है। स्वतंत्र रूप से यह उदजन आयन H+ के रूप में पाया जाता है। .

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रेडॉक्स

रेडॉक्स (Redox; 'Reduction and Oxidation' का लघुकृत रूप) अभिक्रियाएँ के अन्तर्गत वे सब रासायनिक अभिक्रियाएँ सम्मिलित हैं जिनमें परमाणुओं के आक्सीकरण अवस्थाएँ बदल जातीं हैं। सामान्यतः रेडॉक्स अभिक्रियाओं के अभिकारकों के परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रानों का आदान-प्रदान होता है। कभी भी आक्सीकरण या अपचयन अभिक्रिया अकेले नहीं होती। दोनो साथ-साथ होतीं हैं। एक ही अभिक्रिया में यदि किसी चीज का आक्सीकरण होता है तो किसी दूसरी का अपचयन होता है। इसीलिये इनका अलग-अलग अध्ययन न करके एकसाथ अध्ययन करने हैं और दोनों को मिलाकर 'रेडॉक्स' कहते हैं। .

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शराब

सफेद मदिरा लाल मदिरा मदिरा, सुरा या शराब अल्कोहलीय पेय पदार्थ है। रम, विस्की, चूलईया, महुआ, ब्रांडी, जीन, बीयर, हंड़िया, आदि सभी एक है क्योंकि सबमें अल्कोहल होता है। हाँ, इनमें एलकोहल की मात्रा और नशा लाने कि अपेक्षित क्षमता अलग-अलग जरूर होती है परन्तु सभी को हम 'शराब' ही कहते है। कभी-कभी लोग हड़िया या बीयर को शराब से अलग समझते हैं जो कि बिलकुल गलत है। दोनों में एल्कोहल तो होता ही है। शराब अक्सर हमारे समाज में आनन्द के लिए पी जाती है। ज्यादातर शुरूआत दोस्तों के प्रभाव या दबाव के कारण होता है और बाद में भी कई अन्य कारणों से लोग इसका सेवन जारी रखते है। जैसे- बोरियत मिटाने के लिए, खुशी मनाने के लिए, अवसाद में, चिन्ता में, तीव्र क्रोध या आवेग आने पर, आत्माविश्वास लाने के लिए या मूड बनाने के लिए आदि। इसके अतिरिक्त शराब के सेवन को कई समाज में धार्मिक व अन्य सामाजिक अनुष्ठानों से भी जोड़ा जाता है। परन्तु कोई भी समाज या धर्म इसके दुरूपयोग की स्वीकृति नहीं देता है। .

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विलायक

विलायक एक ऐसे पदार्थ को कहते है, जिसका उपयोग विलयन बनाने में अत्यधिक मात्रा में किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि नमक को पानी में डाला जाये तो पानी अधिक होने के कारण पानी एक विलायक कहलायेगा लेकिन उन दोनों के घुलने के कारण वह एक विलयन बन जाता है। अतः विलायक वे पदार्थ होते हैं जिनमें किसी भी विलेय को घोला जाता है। सामान्यतः एक विलायक तरल अवस्था में होता है किंतु यह ठोस अथैया गैस भी हो सकता है। जैविक विलायकों के सामान्य उपयोग रंग तरलक (तारपीन), नाखूनी हटाने वाला तरल और गोंद विलायक (एसीटोन, मिथाइल एसिटेट, इथाइल एसिटेट) के प्रमुख उपयोग दाग धब्बे हटाने के लिए (पेट्रोल ईथर) अपमार्जक (साइट्रस टेरपेन्स) और इत्र (इथेनॉल) आदि हैं। .

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गंधक

हल्के पीले रंग के गंधक के क्रिस्टल गंधक (Sulfur) एक रासायनिक अधातुक तत्त्व है। .

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आयन

आयन (ion) ऐसे परमाणु या अणु है जिसमें इलेक्ट्रानों और प्रोटोनों की संख्या असामान होती है। इस से आयन में विद्युत आवेश (चार्ज) होता है। अगर इलेक्ट्रॉन की तादाद प्रोटोन से अधिक हो तो आयन में ऋणात्मक (नेगेटिव) आवेश होता है और उसे ऋणायन (anion, ऐनायन) भी कहते हैं। इसके विपरीत अगर इलेक्ट्रॉन की तादाद प्रोटोन से कम हो तो आयन में धनात्मक (पोज़िटिव) आवेश होता है और उसे धनायन (cation, कैटायन) भी कहते हैं। .

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कार्बन डाईऑक्साइड

कार्बन डाइआक्साइड (Carbon dioxide) (रासायनिक सूत्र CO2) एक रंगहीन तथा गन्धहीन गैस है जो पृथ्वी पर जीवन के लिये अत्यावश्यक है। धरती पर यह प्राकृतिक रूप से पायी जाती है। धरती के वायुमण्डल में यह गैस आयतन के हिसाब से लगभग 0.03 प्रतिशत होती है। कार्बन डाईऑक्साइड कार्बन डाइआक्साइड का निर्माण आक्सीजन के दो परमाणु तथा कार्बन के एक परमाणु से मिलकर हुआ है। सामान्य तापमान तथा दबाव पर यह गैसीय अवस्था में रहती है। वायुमंडल में यह गैस 0.03% 0.04% तक पाई जाती है, परन्तु मौसम में परिवर्तन के साथ वायु में इसकी सान्द्रता भी थोड़ी परिवर्तित होती रहती है। यह एक ग्रीनहाउस गैस है, क्योंकि सूर्य से आने वाली किरणों को तो यह पृथ्वी के धरातल पर पहुंचने देती है परन्तु पृथ्वी की गर्मी जब वापस अंतरिक्ष में जाना चाहती है तो यह उसे रोकती है। पृथ्वी के सभी सजीव अपनी श्वसन की क्रिया में कार्बन डाइआक्साइड का त्याग करते है। जबकि हरे पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते समय इस गैस को ग्रहण करके कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं। इस प्रकार कार्बन डाइआक्साइड कार्बन चक्र का प्रमुख अवयव है। कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। कार्बन और हाइड्रोजन के यौगिको को हाइड्रोकार्बन कहते हैं। मेथेन (CH4) सबसे छोटे अणुसूत्र का हाइड्रोकार्बन है। ईथेन (C2H6), प्रोपेन (C3H8) आदि इसके बाद आते हैं, जिनमें क्रमश: एक एक कार्बन जुड़ता जाता है। हाइड्रोकार्बन तीन श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं: ईथेन श्रेणी, एथिलीन श्रेणी और ऐसीटिलीन श्रेणी। ईथेन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन संतृप्त हैं, अर्थात्‌ इनमें हाइड्रोजन की मात्रा और बढ़ाई नहीं जा सकती। एथिलीन में दो कार्बनों के बीच में एक द्विबंध (.

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क्रिस्टल

क्रिस्टलीय, बहुक्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय पदार्थों की सूक्ष्म संरचना स्फटिक, इस बहुमणिभीय खनिज की पर्तें स्पष्ट पारदर्शी होतीं हैं बिस्मथ का क्रिस्टल इन्सुलिन का क्रिस्टल गैलियम, जिसकी वृहत एकपर्त होती हैं रसायन शास्त्र, खनिज शास्त्र एवं पदार्थ विज्ञान में क्रिस्टल उन ठोसों को कहते हैं जिनके अणु, परमाणु या आयन, एक व्यवस्थित क्रम में लगे होते हैं तथा यही क्रम सभी तरफ दोहराया जाता है। प्रतिदिन के प्रयोग के अधिकतर पदार्थ बहुक्रिस्टलीय (पॉलीक्रिटलाइन) होते हैं। क्रिस्टलों तथा क्रिस्टल निर्माण के वैज्ञानिक अध्ययन को क्रिस्टलकी (crystallography) कहते हैं। क्रिस्टल बनने की प्रक्रिया को क्रिस्टलन या क्रिस्टलीकरण (crystallization या solidification) कहते हैं। .

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क्वथनांक

किसी द्रव का क्वथनांक वह ताप है जिसपर द्रव के भीतर वाष्प दाब, द्रव की सतह पर आरोपित वायुमंडलीय दाब के बराबर होता है। यह वायुदाब के साथ परिवर्तित होता है और वायुदाब के बढ़ने पर द्रव के क्वथन हेतु अधिक उच्च ताप की आवश्यकता होती है। .

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उत्प्रेरण

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया की गति किसी पदार्थ की उपस्थिति मात्र से बढ जाती है तो इसे उत्प्रेरण (Catalysis) कहते हैं। जिस पदार्थ की उपस्थिति से अभिक्रिया की गति बढ जाती है उसे उत्प्रेरक (catalyst) कहते हैं। उत्प्रेरक अभिक्रिया में भाग नहीं लेता, केवल क्रिया की गति को प्रभावित करता है। औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण रसायनों के निर्माण में उत्प्रेरकों की बहुत बड़ी भूमिका है, क्योंकि इनके प्रयोग से अभिक्रिया की गति बढ जाती है जिससे अनेक प्रकार से आर्थिक लाभ होता है और उत्पादन तेज होता है। इसलिये उत्प्रेरण के क्षेत्र में अनुसंधान के लिये बहुत सा धन एवं मानव श्रम लगा हुआ है। .

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PH

पीएच या pH, किसी विलयन की अम्लता या क्षारकता का एक माप है। इसे द्रवीभूत हाइड्रोजन आयनों (H+) की गतिविधि के सह-लघुगणक (कॉलॉगरिदम) के रूप में परिभाषित किया जाता है। हाइड्रोजन आयन के गतिविधि गुणांक को प्रयोगात्मक रूप से नहीं मापा जा सकता है, इसलिए वे सैद्धांतिक गणना पर आधारित होते हैं। pH स्केल, कोई सुनिश्चित स्केल नहीं है; इसका संबंध मानक विलयन के एक सेट (समुच्चय) के साथ होता है जिसके pH का आकलन अंतर्राष्ट्रीय संविदा के द्वारा किया जाता है। pH की अवधारणा को सबसे पहले 1909 में कार्ल्सबर्ग लैबॉरेट्री के डेनिश रसायनशास्त्री, सॉरेन पेडर लॉरिट्ज़ सॉरेनसेन ने प्रस्तुत किया था। यह अभी भी अज्ञात है कि p की सटीक परिभाषा क्या है। कुछ संदर्भों से पता चलता है कि p, "पावर" (“Power”)कार्ल्सबर्ग ग्रूप कंपनी के इतिहास का पृष्ठ, http://www.carlsberggroup.com/Company/Research/Pages/pHValue.aspx का प्रतीक है और अन्य इसे जर्मन शब्द "पोटेंज़" (“Potenz”) (जर्मन में जिसका अर्थ, पावर या शक्ति होता है)वाटरलू विश्वविद्यालय - pH स्केल, http://www.science.uwaterloo.ca/~cchieh/cact/c123/ph.html के रूप में संदर्भित करते हैं और अभी भी अन्य इसे "पोटेंशियल" (“potential” या विभव) के रूप में संदर्भित करते हैं। जेंस नॉर्बी ने 2000 में एक पत्र प्रकाशित किया जिसमें उसने तर्क दिया कि p, एक स्थिरांक है और "ऋणात्मक लघुगणक"नॉर्बी, जेंस.

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

एसिटिक अम्ल और जल (अणु) के बीच तुलना

एसिटिक अम्ल 108 संबंध है और जल (अणु) 80 है। वे आम 14 में है, समानता सूचकांक 7.45% है = 14 / (108 + 80)।

संदर्भ

यह लेख एसिटिक अम्ल और जल (अणु) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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