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एनी बेसेन्ट और नैतिक शिक्षा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

एनी बेसेन्ट और नैतिक शिक्षा के बीच अंतर

एनी बेसेन्ट vs. नैतिक शिक्षा

डॉ एनी बेसेन्ट (१ अक्टूबर १८४७ - २० सितम्बर १९३३) अग्रणी आध्यात्मिक, थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला थीं। सन १९१७ में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा भी बनीं। . नैतिक शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से लोग दूसरों में नैतिक मूल्यों का संचार करते हैं। यह कार्य घर, विद्यालय, मन्दिर, जेल या किसी सामाजिक स्थान (जैसे पंचायत भवन) में किया जा सकता है। व्यक्तियों का समूह ही समाज है। जैसे व्यक्ति होंगे वैसा ही समाज बनेगा। किसी देश का उत्थान या पतन इस बात पर निर्भर करता है कि इसके नागरिक किस स्तर के हैं और यह स्तर बहुत करके वहाँ की शिक्षा-पद्धति पर निर्भर रहता है। व्यक्ति के निर्माण और समाज के उत्थान में शिक्षा का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। प्राचीन काल की भारतीय गरिमा ऋषियों द्वारा संचालित गुरुकुल पद्धति के कारण ही ऊँची उठ सकी थी। पिछले दिनों भी जिन देशों ने अपना भला-बुरा निर्माण किया है, उसमें शिक्षा को ही प्रधान साधन बनाया है। जर्मनी इटली का नाजीवाद, रूस और चीन का साम्यवाद, जापान का उद्योगवाद युगोस्लाविया, स्विटजरलैंड, क्यूबा आदि ने अपना विशेष निर्माण इसी शताब्दी में किया है। यह सब वहाँ की शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने से ही संभव हुआ। व्यक्ति का बौद्धिक और चारित्रिक निर्माण बहुत सीमा तक उपलब्ध शिक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है। श्रेणी:शिक्षा.

एनी बेसेन्ट और नैतिक शिक्षा के बीच समानता

एनी बेसेन्ट और नैतिक शिक्षा आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): शिक्षा

शिक्षा

अफगानिस्तान के एक विद्यालय में वृक्ष के नीचे पढ़ते बच्चे शिक्षा में ज्ञान, उचित आचरण और तकनीकी दक्षता, शिक्षण और विद्या प्राप्ति आदि समाविष्ट हैं। इस प्रकार यह कौशलों (skills), व्यापारों या व्यवसायों एवं मानसिक, नैतिक और सौन्दर्यविषयक के उत्कर्ष पर केंद्रित है। शिक्षा, समाज की एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने ज्ञान के हस्तांतरण का प्रयास है। इस विचार से शिक्षा एक संस्था के रूप में काम करती है, जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती है। बच्चा शिक्षा द्वारा समाज के आधारभूत नियमों, व्यवस्थाओं, समाज के प्रतिमानों एवं मूल्यों को सीखता है। बच्चा समाज से तभी जुड़ पाता है जब वह उस समाज विशेष के इतिहास से अभिमुख होता है। शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता तथा उसके व्यक्तित्त्व का विकसित करने वाली प्रक्रिया है। यही प्रक्रिया उसे समाज में एक वयस्क की भूमिका निभाने के लिए समाजीकृत करती है तथा समाज के सदस्य एवं एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए व्यक्ति को आवश्यक ज्ञान तथा कौशल उपलब्ध कराती है। शिक्षा शब्द संस्कृत भाषा की ‘शिक्ष्’ धातु में ‘अ’ प्रत्यय लगाने से बना है। ‘शिक्ष्’ का अर्थ है सीखना और सिखाना। ‘शिक्षा’ शब्द का अर्थ हुआ सीखने-सिखाने की क्रिया। जब हम शिक्षा शब्द के प्रयोग को देखते हैं तो मोटे तौर पर यह दो रूपों में प्रयोग में लाया जाता है, व्यापक रूप में तथा संकुचित रूप में। व्यापक अर्थ में शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। मनुष्य क्षण-प्रतिक्षण नए-नए अनुभव प्राप्त करता है व करवाता है, जिससे उसका दिन-प्रतिदन का व्यवहार प्रभावित होता है। उसका यह सीखना-सिखाना विभिन्न समूहों, उत्सवों, पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन आदि से अनौपचारिक रूप से होता है। यही सीखना-सिखाना शिक्षा के व्यापक तथा विस्तृत रूप में आते हैं। संकुचित अर्थ में शिक्षा किसी समाज में एक निश्चित समय तथा निश्चित स्थानों (विद्यालय, महाविद्यालय) में सुनियोजित ढंग से चलने वाली एक सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा छात्र निश्चित पाठ्यक्रम को पढ़कर अनेक परीक्षाओं को उत्तीर्ण करना सीखता है। शिक्षा एक गतिशील प्रकिया है निखिल .

एनी बेसेन्ट और शिक्षा · नैतिक शिक्षा और शिक्षा · और देखें »

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एनी बेसेन्ट और नैतिक शिक्षा के बीच तुलना

एनी बेसेन्ट 58 संबंध है और नैतिक शिक्षा 2 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.67% है = 1 / (58 + 2)।

संदर्भ

यह लेख एनी बेसेन्ट और नैतिक शिक्षा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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