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एटलस 5

सूची एटलस 5

एटलस V (Atlas V या Atlas 5) रॉकेट एटलस परिवार में सक्रिय एक प्रक्षेपण यान रॉकेट परिवार है। एटलस V पूर्व में लॉकहीड मार्टिन द्वारा संचालित किया गया था। और अब लॉकहीड मार्टिन-बोइंग के संयुक्त उद्यम यूनाइटेड लांच अलायन्स (ULA) द्वारा संचालित है। प्रत्येक एटलस V रॉकेट अपने पहले चरण में एक रूस निर्मित आरडी-180 इंजन का उपयोग करता है। जो मिट्टी का तेल और तरल ऑक्सीजन को जला कर थ्रस्ट उत्पन करता है। .

9 संबंधों: न्यू होराइज़न्स, बोइंग एक्स-37, मंगल टोही परिक्रमा यान, मंगल विज्ञान प्रयोगशाला, रॉकेट, सोलर डायनामिक ओब्सर्वेटरी, जूनो (अंतरिक्ष यान), आरडी-180, केप केनवरल एयर फोर्स स्टेशन

न्यू होराइज़न्स

न्यू होराइज़न्स (अंग्रेज़ी: New Horizons, हिंदी अर्थ: "नए क्षितिज") अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्था नासा का एक अंतरिक्ष शोध यान है जो हमारे सौर मंडल के बाहरी बौने ग्रह यम (प्लूटो) के अध्ययन के लिये छोड़ा गया था। इस यान का प्रक्षेपण 19 जनवरी 2006 किया गया था जो नौ वर्षों के बाद 14 जुलाई 2015 को प्लूटो के सबसे नजदीक से होकर गुजरा। यह प्लूटो और उसके पांचों ज्ञात उपग्रहों - शैरन, निक्स, हाएड्रा, स्टायक्स और ऍस/२०११ पी १ (S/2011 P 1) के आँकड़े भेजेगा। इसके बाद अगर कोई अन्य काइपर घेरे की वस्तु देखने योग्य मिलती है तो संभव है की इस यान के द्वारा उसके पास से भी निकलकर जानकारी और तस्वीरें हासिल की जा सकें। न्यू होराइजन्स यान को रॉकेट के ऊपर लगाकर १९ जनवरी २००६ को छोड़ा गया था। ७ अप्रैल २००६ को इसने मंगल ग्रह की कक्षा (ऑरबिट) पार की, २८ फ़रवरी २००७ को बृहस्पति ग्रह की, ८ जून २००८ को शनि ग्रह की और १८ मार्च २०११ को अरुण ग्रह (यूरेनस) की। इसे छोड़ने की गति किसी भी मानव कृत वस्तु से अधिक रही थी - अपने आखरी रॉकेट के बंद होने तक इसकी रफ़्तार १६.२६ किलोमीटर प्रति सैकिंड पहुँच चुकी थी। .

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बोइंग एक्स-37

बोइंग एक्स-37 (Boeing X-37) जिसे ऑर्बिटल टेस्ट व्हेकल (ओटीवी) के रूप में भी जाना जाता है, एक पुन: प्रयोज्य मानवरहित अंतरिक्ष यान है। इसे एक प्रक्षेपण वाहन द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है तथा फिर यह पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा से प्रवेश करता है। और जमीन पर एक विमान की तरह लैंड होता है। एक्स-37, संयुक्त राज्य अमेरिका वायुसेना द्वारा पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करने के लिए कक्षीय अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए संचालित होता है। यह पहले के बोइंग एक्स-40 से 120% बड़ा है। 2004 में एक्स-37 अमेरिकी रक्षा विभाग में स्थानांतरित होने से पहले, 1999 में यह नासा परियोजना के रूप में शुरू हुआ था। इसकी पहली उड़ान 2006 में एक ड्रॉप टेस्ट के दौरान थी। अभी तक पाँच एक्स-37 कक्षीय मिशन किए गए है। अंतरिक्षयान का पहला मिशन यूएसए-212 अप्रैल 2010 में लॉन्च किया गया था और यह दिसंबर 2010 में पृथ्वी पर लौट आया था। दूसरा मिशन यूएसए-226 मार्च 2011 में लॉन्च किया गया था और यह जून 2012 में पृथ्वी पर लौट आया था। तीसरा मिशन, यूएसए-240 दिसंबर 2012 में लॉन्च हुआ और अक्टूबर 2014 में लौट आया। चौथा मिशन यूएसए-261 मई 2015 में लॉन्च हुआ और मई 2017 में लौट आया। पांचवीं और नवीनतम एक्स-37 मिशन को 7 सितंबर 2017 में लॉन्च किया गया था। .

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मंगल टोही परिक्रमा यान

मंगल टोही परिक्रमा यान मंगल टोही परिक्रमा यान (Mars Reconnaissance Orbiter (MRO)), नासा का एक बहुउद्देशीय अंतरिक्ष यान है जिसे कक्षा से मंगल के अन्वेषण और टोह के लिए रचा गया है। जैसे ही MRO ने कक्षा में प्रवेश किया यह, कक्षा में के या ग्रह पर के, पांच अन्य अंतरिक्ष यानों से जुड़ गया: मार्स ग्लोबल सर्वेयर, मार्स ओडिसी, मार्स एक्सप्रेस और दो ​​मार्स एक्सप्लोरेशन रोवर, यह मंगल के आसपास के क्षेत्र में सबसे अधिक अंतरिक्ष यान परिचालन के लिए एक कीर्तिमान है। इस ७२० मिलियन अमरीकी डॉलर के अंतरिक्ष यान को जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी के पर्यवेक्षण के अधीन लॉकहीड मार्टिन द्वारा बनाया गया था। यह १२ अगस्त २००५ को प्रक्षेपित किया गया और १० मार्च २००६ को इसने मंगल की कक्षा प्राप्त की। नवंबर २००६ में, पांच महीने की हवाई कलाबाजियों के बाद, इसने अपनी अंतिम विज्ञान कक्षा में प्रवेश किया और अपना प्राथमिक विज्ञान चरण शुरू किया। .

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मंगल विज्ञान प्रयोगशाला

मंगल विज्ञान प्रयोगशाला (अंग्रेज़ी: Mars Science Laboratory, मार्ज़ साइन्स लबोरेटोरी) अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान परिषद्, नासा, की एक योजना है जिसके अंतर्गत मंगल ग्रह पर एक पहियों पर घूमने-फिरने वाला यान उतारा जाएगा जो उस ग्रह पर छानबीन करके पृथ्वी पर बैठे वैज्ञानिकों को तस्वीरें और जानकारी भेजेगा। किसी अन्य ग्रह पर ऐसे घूमने वाले यान को अंग्रेज़ी में "रोवर" (rover) कहा जाता है और इस योजना में भेजे गए रोवर का नाम "क्युरियौसिटि" (Curiosity), यानी "जिज्ञासा" है। यह २६ नवम्बर २०११ को पृथ्वी से राकेट पर मंगल की ओर रवाना हुआ था और अगस्त २०१२ में मंगल पर गेल क्रेटर नाम के क्रेटर की तह में उतरेगा। क्युरियौसिटि यान वहाँ पर मिटटी और पत्थरों की जाँच कर के वैज्ञानिकों को यह अंदाज़ा लगाने में मदद करेगा की क्या मंगल पर कभी भी जीवन पनपने के लिए अनुकूल वातावरण मौजूद था या नहीं। अकार में यह रोवर एक आम गाड़ी से ज़रा बड़ा है। मंगल विज्ञान प्रयोगशाला योजना का कुल ख़र्चा २.५ अरब अमेरिकी डालर अनुमानित किया गया है। .

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रॉकेट

अपोलो १५ अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण रॉकेट एक प्रकार का वाहन है जिसके उड़ने का सिद्धान्त न्यूटन के गति के तीसरे नियम क्रिया तथा बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया पर आधारित है। तेज गति से गर्म वायु को पीछे की ओर फेंकने पर रॉकेट को आगे की दिशा में समान अनुपात का बल मिलता है। इसी सिद्धांत पर कार्य करने वाले जेट विमान, अंतरिक्ष यान एवं प्रक्षेपास्त्र विभिन्न प्रकार के राकेटों के उदाहरण हैं। रॉकेट के भीतर एक कक्ष में ठोस या तरल ईंधन को आक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है जिससे उच्च दाब पर गैस उत्पन्न होती है। यह गैस पीछे की ओर एक संकरे मुँह से अत्यन्त वेग के साथ बाहर निकलती है। इसके फलस्वरूप जो प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है वह रॉकेट को तीव्र वेग से आगे की ओर ले जाती है। अंतरिक्ष यानों को वायुमंडल से ऊपर उड़ना होता है इसलिए वे अपना ईंधन एवं आक्सीजन लेकर उड़ते हैं। जेट विमान में केवल ईँधन रहता है। जब विमान चलना प्रारम्भ करता है तो विमान के सिरे पर बने छिद्र से बाहर की वायु इंजन में प्रवेश करती है। वायु के आक्सीजन के साथ मिलकर ईँधन अत्यधिक दबाव पर जलता है। जलने से उत्पन्न गैस का दाब बहुत अधिक होता है। यह गैस वायु के साथ मिलकर पीछे की ओर के जेट से तीव्र वेग से बाहर निकलती है। यद्यपि गैस का द्रव्यमान बहुत कम होता है किन्तु तीव्र वेग के कारण संवेग और प्रतिक्रिया बल बहुत अधिक होता है। इसलिए जेट विमान आगे की ओर तीव्र वेग से गतिमान होता है। रॉकेट का इतिहास १३वी सदी से प्रारंभ होता है। चीन में राकेट विद्या का विकास बहुत तेज़ी से हुआ और जल्दी ही इसका प्रयोग अस्त्र के रूप में किया जाने लगा। मंगोल लड़ाकों के द्वारा रॉकेट तकनीक यूरोप पहुँची और फिर विभिन्न शासकों द्वारा यूरोप और एशिया के अन्य भागों में प्रचलित हुई। सन १७९२ में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने अंग्रेज सेना के विरुद्ध लोहे के बने रॉकेटों का प्रयोग किया। इस युद्ध के बाद अंग्रेज सेना ने रॉकेट के महत्त्व को समझा और इसकी तकनीक को विकसित कर विश्व भर में इसका प्रचार किया। स्पेस टुडे पर--> .

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सोलर डायनामिक ओब्सर्वेटरी

सोलर डायनामिक ओब्सर्वेटरी (Solar Dynamics Observatory (SDO)), एक नासा मिशन है जो पांच से ज्यादा वर्षों तक सूर्य की जांच पड़ताल करेगा। .

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जूनो (अंतरिक्ष यान)

बृहस्पति के आगे जूनो शोध यान का काल्पनिक चित्र जूनो (अंग्रेज़ी: Juno) अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान परिषद्, नासा, द्वारा हमारे सौर मंडल के पाँचवे ग्रह, बृहस्पति, पर अध्ययन करने के लिए पृथ्वी से ५ अगस्त २०११ को छोड़ा गया एक अंतरिक्ष शोध यान है। लगभग ५ वर्ष लंबी यात्रा के बाद ५ जुलाई २०१६ को यह बृहस्पति तक पहुँचने में सफल रहा। इस अभियान पर लगभग १.१ अरब डॉलर की लागत का अनुमान है। .

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आरडी-180

आरडी-180 (RD-180) एक रूस में डिज़ाइन और निर्मित इंजन रॉकेट है। वर्तमान में आरडी-180 इंजन अमेरिकी एटलस V प्रक्षेपण यान के पहले चरण के लिए उपयोग किया जाता है। आरडी-180 आरडी-170 रॉकेट इंजन से उत्पन्न हुआ है। .

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केप केनवरल एयर फोर्स स्टेशन

श्रेणी:अमेरीका के रॉकेट प्रक्षेपण स्थल.

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एटलस V

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