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एकेश्वरवाद और वेदान्त दर्शन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

एकेश्वरवाद और वेदान्त दर्शन के बीच अंतर

एकेश्वरवाद vs. वेदान्त दर्शन

एकेश्वरवाद अथवा एकदेववाद वह सिद्धान्त है जो 'ईश्वर एक है' अथवा 'एक ईश्वर है' विचार को सर्वप्रमुख रूप में मान्यता देता है। एकेश्वरवादी एक ही ईश्वर में विश्वास करता है और केवल उसी की पूजा-उपासना करता है। इसके साथ ही वह किसी भी ऐसी अन्य अलौकिक शक्ति या देवता को नहीं मानता जो उस ईश्वर का समकक्ष हो सके अथवा उसका स्थान ले सके। इसी दृष्टि से बहुदेववाद, एकदेववाद का विलोम सिद्धान्त कहा जाता है। एकेश्वरवाद के विरोधी दार्शनिक मतवादों में दार्शनिक सर्वेश्वरवाद, दार्शनिक निरीश्वरवाद तथा दार्शनिक संदेहवाद की गणना की जाती है। सर्वेश्वरवाद, ईश्वर और जगत् में अभिन्नता मानता है। उसके सिद्धांतवाक्य हैं- 'सब ईश्वर हैं' तथा 'ईश्वर सब हैं'। एकेश्वरवाद केवल एक ईश्वर की सत्ता मानता है। सर्वेश्वरवाद ईश्वर और जगत् दोनों की सत्ता मानता है। यद्यपि जगत् की सत्ता के स्वरूप में वैमत्य है तथापि ईश्वर और जगत् की एकता अवश्य स्वीकार करता है। 'ईश्वर एक है' वाक्य की सूक्ष्म दार्शनिक मीमांसा करने पर यह कहा जा सकता है कि सर्वसत्ता ईश्वर है। यह निष्कर्ष सर्वेश्वरवाद के निकट है। इसीलिए ये वाक्य एक ही तथ्य को दो ढंग से प्रकट करते हैं। इनका तुलनात्मक अध्ययन करने से यह प्रकट होता है कि 'ईश्वर एक है' वाक्य जहाँ ईश्वर के सर्वातीतत्व की ओर संकेत करता है वहीं 'सब ईश्वर हैं' वाक्य ईश्वर के सर्वव्यापकत्व की ओर। देशकालगत प्रभाव की दृष्टि से विचार करने पर ईश्वर के तीन विषम रूपों के अनुसार तीन प्रकार के एकेश्वरवाद का भी उल्लेख मिलता है-. वेदान्त ज्ञानयोग की एक शाखा है जो व्यक्ति को ज्ञान प्राप्ति की दिशा में उत्प्रेरित करता है। इसका मुख्य स्रोत उपनिषद है जो वेद ग्रंथो और अरण्यक ग्रंथों का सार समझे जाते हैं। उपनिषद् वैदिक साहित्य का अंतिम भाग है, इसीलिए इसको वेदान्त कहते हैं। कर्मकांड और उपासना का मुख्यत: वर्णन मंत्र और ब्राह्मणों में है, ज्ञान का विवेचन उपनिषदों में। 'वेदान्त' का शाब्दिक अर्थ है - 'वेदों का अंत' (अथवा सार)। वेदान्त की तीन शाखाएँ जो सबसे ज्यादा जानी जाती हैं वे हैं: अद्वैत वेदान्त, विशिष्ट अद्वैत और द्वैत। आदि शंकराचार्य, रामानुज और श्री मध्वाचार्य जिनको क्रमश: इन तीनो शाखाओं का प्रवर्तक माना जाता है, इनके अलावा भी ज्ञानयोग की अन्य शाखाएँ हैं। ये शाखाएँ अपने प्रवर्तकों के नाम से जानी जाती हैं जिनमें भास्कर, वल्लभ, चैतन्य, निम्बारक, वाचस्पति मिश्र, सुरेश्वर और विज्ञान भिक्षु। आधुनिक काल में जो प्रमुख वेदान्ती हुये हैं उनमें रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, अरविंद घोष, स्वामी शिवानंद राजा राममोहन रॉय और रमण महर्षि उल्लेखनीय हैं। ये आधुनिक विचारक अद्वैत वेदान्त शाखा का प्रतिनिधित्व करते हैं। दूसरे वेदान्तो के प्रवर्तकों ने भी अपने विचारों को भारत में भलिभाँति प्रचारित किया है परन्तु भारत के बाहर उन्हें बहुत कम जाना जाता है। .

एकेश्वरवाद और वेदान्त दर्शन के बीच समानता

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एकेश्वरवाद और वेदान्त दर्शन के बीच तुलना

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संदर्भ

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