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उपप्रमेय

सूची उपप्रमेय

उपप्रमेय वह कथन है जो किसी प्रमेय से सीधे और स्पष्टत: निकल जाता है। इस शब्द का भी कोई औपचारिक परिभाषा नहीं है कि किसे "प्रमेय" कहा जाय और किसे उपप्रमेय। .

3 संबंधों: प्रमेय, प्रमेयिका, अटकल

प्रमेय

पाइथागोरस का प्रमेय; इसे प्राचीन भारतीय गणितज्ञ बौधायन ने सबसे पहले प्रस्तुत किया था। प्रमेय (Theorem) का शाब्दिक अर्थ है - ऐसा कथन जिसे प्रमाण द्वारा सिद्ध किया जा सके। इसे साध्य भी कहते हैं। गणित में (और विशेषकर रेखागणित में) बहुत से प्रमेय हैं। प्रमेयों की विशेषता है कि उन्हें स्वयंसिद्धों (axioms) एवं सामान्य तर्क (deductive logic) से सिद्ध किया जा सकता है। .

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प्रमेयिका

गणित में प्रमेयिका (lemma) ऐसे कथन को कहते हैं जो सिद्ध किया जा चुका हो। प्रमेयिकाएँ अन्य 'बड़े परिणामों' की सिद्धि के लिये सीढ़ी का काम करतीं हैं। गणित के अनेकानेक परिणाम "प्रमेयिका" कहे जाते हैं। किन्तु प्रमेय और प्रमेयिका में कोई औपचारिक (formal) या प्रामाणिक अन्तर नहीं है बल्कि केवल परम्परा और प्रयोग के आधार पर ही कोई कथन प्रमेय या प्रमेयिका के नाम से प्रचलित हो जाता है। .

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अटकल

अटकल या 'ऊहा' (conjecture) ऐसे कथन को कहते हैं जो बहुविध जांचने पर सत्य या वास्तविक लगता हो किन्तु जिसकी सत्यता पूर्ण रूप से सिद्ध न की जा सकी हो। कार्ल पॉपर ने इस शब्द का वैज्ञानिक दर्शनशास्त्र में सर्वप्रथम प्रयोग करना आरम्भ किया। अटकल, परिकल्पना से इन अर्थ में भिन्न है कि कुछ स्वीकृत आधारों के द्वारा परिकल्पना की जाँच की जा सकती है। गणित में अनुमान उस कथन को कहते हैं जो सत्य प्रतीत होता है किन्तु जिसको विधिवत सिद्ध न किया जा सका हो। .

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