लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

उपपत्ति और भारतीय गणित

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उपपत्ति और भारतीय गणित के बीच अंतर

उपपत्ति vs. भारतीय गणित

प्रकरण से प्रतिपादित अर्थ के साधन में जो युक्ति प्रस्तुत की जाती है उसे उपपत्ति कहते हैं- ज्ञान के साधन में उपपत्ति का महत्वपूर्ण स्थान है। आत्मज्ञान की प्राप्ति में जो तीन क्रमिक श्रेणियाँ उपनिषदों में बतलाई गई हैं उनमें मनन की सिद्धि उपपत्ति के ही द्वारा होती है। वेद के उपदेश को श्रुतिवाक्यों से प्रथमतः सुनना चाहिए (श्रवण) और तदनन्तर उनका मनन करना चाहिए (मनन)। युक्तियों के सहारे ही कोई तत्व दृढ़ और हृदयंगम बताया जा सकता है। बिना युक्ति के मनन निराधार रहता है और यह आत्मविश्वास नहीं उत्पन्न कर सकता। मनन की सिद्धि के अनंतर निदिध्यासन करने पर ही आत्मा की पूर्ण साधना निष्पन्न होती है। "मन्तव्यश्चोपपत्तिभिः" की व्याख्या में माथुरी उपपत्ति को हेतु का पर्याय मानती है। . गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारम्भिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ। गणित-विज्ञान न केवल औद्योगिक क्रांति का बल्कि परवर्ती काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है। बिना गणित के विज्ञान की कोई भी शाखा पूर्ण नहीं हो सकती। भारत ने औद्योगिक क्रांति के लिए न केवल आर्थिक पूँजी प्रदान की वरन् विज्ञान की नींव के जीवंत तत्व भी प्रदान किये जिसके बिना मानवता विज्ञान और उच्च तकनीकी के इस आधुनिक दौर में प्रवेश नहीं कर पाती। विदेशी विद्वानों ने भी गणित के क्षेत्र में भारत के योगदान की मुक्तकंठ से सराहना की है। .

उपपत्ति और भारतीय गणित के बीच समानता

उपपत्ति और भारतीय गणित आम में 6 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): भास्कराचार्य, वेद, गणेश दैवज्ञ, गोलाध्याय, अल्गोरिद्म, उपनिषद्

भास्कराचार्य

---- भास्कराचार्य या भाष्कर द्वितीय (1114 – 1185) प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं ज्योतिषी थे। इनके द्वारा रचित मुख्य ग्रन्थ सिद्धान्त शिरोमणि है जिसमें लीलावती, बीजगणित, ग्रहगणित तथा गोलाध्याय नामक चार भाग हैं। ये चार भाग क्रमशः अंकगणित, बीजगणित, ग्रहों की गति से सम्बन्धित गणित तथा गोले से सम्बन्धित हैं। आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्य ने उजागर कर दिया था। भास्कराचार्य ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस कारण आकाशीय पिण्ड पृथ्वी पर गिरते हैं’। उन्होने करणकौतूहल नामक एक दूसरे ग्रन्थ की भी रचना की थी। ये अपने समय के सुप्रसिद्ध गणितज्ञ थे। कथित रूप से यह उज्जैन की वेधशाला के अध्यक्ष भी थे। उन्हें मध्यकालीन भारत का सर्वश्रेष्ठ गणितज्ञ माना जाता है। भास्कराचार्य के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं मिलती है। कुछ–कुछ जानकारी उनके श्लोकों से मिलती हैं। निम्नलिखित श्लोक के अनुसार भास्कराचार्य का जन्म विज्जडविड नामक गाँव में हुआ था जो सहयाद्रि पहाड़ियों में स्थित है। इस श्लोक के अनुसार भास्कराचार्य शांडिल्य गोत्र के थे और सह्याद्रि क्षेत्र के विज्जलविड नामक स्थान के निवासी थे। लेकिन विद्वान इस विज्जलविड ग्राम की भौगोलिक स्थिति का प्रामाणिक निर्धारण नहीं कर पाए हैं। डॉ.

उपपत्ति और भास्कराचार्य · भारतीय गणित और भास्कराचार्य · और देखें »

वेद

वेद प्राचीन भारत के पवितत्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं, जो ईश्वर की वाणी है। ये विश्व के उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में हैं जिनके पवित्र मन्त्र आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से पढ़े और सुने जाते हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् शब्द से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है। इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है -.

उपपत्ति और वेद · भारतीय गणित और वेद · और देखें »

गणेश दैवज्ञ

गणेश दैवज्ञ एक खगोलविद थे। उनके द्वारा रचित ग्रहलाघव प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसके अलावा बुद्धिविलासिनी टीका भी प्रसिद्ध है। बुद्धिविलासिनी में गणेश दैवज्ञ ने गणित की परिभाषा निम्नवत की है- गणेश ने अपना गणित ग्रंथ ‘ग्रहलाघव’ सन् 1521 के आस-पास आरम्भ किया। ग्रहगणित पर गणेश की जितनी कृतियाँ प्रचलित हैं, उतनी अन्य किसी की नहीं। ज्योतिष पर भी गणेश ने कार्य किया है। इन्होंने भास्करकृत ‘लीलावती’ की टीका लिखी थी। इसी टीका में उन्होंने गुणन की एक विधि का वर्णन किया है जो 8वीं शती या उससे पहले के हिंदुओं को स्मरण थी। जब गणेश ने इसका उल्लेख किया तो वह सहज ही अरब पहुंची और अन्य यूरोपीय देशों में भी। पसियोली के ‘सूमा’ नामक ग्रंथ में भी इसका उल्लेख मिलता है। श्रेणी:भारतीय गणितज्ञ श्रेणी:भारतीय खगोलविद.

उपपत्ति और गणेश दैवज्ञ · गणेश दैवज्ञ और भारतीय गणित · और देखें »

गोलाध्याय

गोलाध्याय, भास्कराचार्य द्वारा रचित ग्रन्थ सिद्धान्त शिरोमणि के चार भागों में से एक भाग है। अन्य तीन भाग लीलावती, बीजगणित, तथा ग्रहगणित हैं। इसमें चक्रवाल गणित का एक प्रश्न देखिए- .

उपपत्ति और गोलाध्याय · गोलाध्याय और भारतीय गणित · और देखें »

अल्गोरिद्म

महत्तम समापवर्तक (HCF) निकालने के लिए यूक्लिड के अल्गोरिद्म का फ्लोचार्ट गणित, संगणन तथा अन्य विधाओं में किसी कार्य को करने के लिये आवश्यक चरणों के समूह को कलन विधि (अल्गोरिद्म) कहते है। कलन विधि को किसी स्पष्ट रूप से पारिभाषित गणनात्मक समस्या का समाधान करने के औजार (tool) के रूप में भी समझा जा सकता है। उस समस्या का इनपुट और आउटपुट सामान्य भाषा में वर्णित किये गये रहते हैं; इसके समाधान के रूप में कलन विधि, क्रमवार ढंग से बताता है कि यह इन्पुट/आउटपुट सम्बन्ध किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है। कुछ उदाहरण: १) कुछ संख्यायें बिना किसी क्रम के दी हुई हैं; इन्हें आरोही क्रम (ascending order) में कैसे सजायेंगे? २) दो पूर्णांक संख्याएं दी हुई हैं; उनका महत्तम समापवर्तक (Highest Common Factor) कैसे निकालेंगे ? .

अल्गोरिद्म और उपपत्ति · अल्गोरिद्म और भारतीय गणित · और देखें »

उपनिषद्

उपनिषद् हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ हैं। ये वैदिक वाङ्मय के अभिन्न भाग हैं। इनमें परमेश्वर, परमात्मा-ब्रह्म और आत्मा के स्वभाव और सम्बन्ध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन दिया गया है। उपनिषदों में कर्मकांड को 'अवर' कहकर ज्ञान को इसलिए महत्व दिया गया कि ज्ञान स्थूल से सूक्ष्म की ओर ले जाता है। ब्रह्म, जीव और जगत्‌ का ज्ञान पाना उपनिषदों की मूल शिक्षा है। भगवद्गीता तथा ब्रह्मसूत्र उपनिषदों के साथ मिलकर वेदान्त की 'प्रस्थानत्रयी' कहलाते हैं। उपनिषद ही समस्त भारतीय दर्शनों के मूल स्रोत हैं, चाहे वो वेदान्त हो या सांख्य या जैन धर्म या बौद्ध धर्म। उपनिषदों को स्वयं भी वेदान्त कहा गया है। दुनिया के कई दार्शनिक उपनिषदों को सबसे बेहतरीन ज्ञानकोश मानते हैं। उपनिषद् भारतीय सभ्यता की विश्व को अमूल्य धरोहर है। मुख्य उपनिषद 12 या 13 हैं। हरेक किसी न किसी वेद से जुड़ा हुआ है। ये संस्कृत में लिखे गये हैं। १७वी सदी में दारा शिकोह ने अनेक उपनिषदों का फारसी में अनुवाद कराया। १९वीं सदी में जर्मन तत्त्ववेता शोपेनहावर और मैक्समूलर ने इन ग्रन्थों में जो रुचि दिखलाकर इनके अनुवाद किए वह सर्वविदित हैं और माननीय हैं। .

उपनिषद् और उपपत्ति · उपनिषद् और भारतीय गणित · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

उपपत्ति और भारतीय गणित के बीच तुलना

उपपत्ति 11 संबंध है और भारतीय गणित 178 है। वे आम 6 में है, समानता सूचकांक 3.17% है = 6 / (11 + 178)।

संदर्भ

यह लेख उपपत्ति और भारतीय गणित के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »