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उपनाम और उपाध्याय

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उपनाम और उपाध्याय के बीच अंतर

उपनाम vs. उपाध्याय

नाम के साथ प्रयोग हुआ दूसरा शब्द जो नाम कि जाति या किसी विशेषता को व्यक्त करता है उपनाम (Surname / सरनेम) कहलाता है। जैसे महात्मा गाँधी, सचिन तेंदुलकर, भगत सिंह आदि में दूसरा शब्द गाँधी, तेंदुलकर, सिंह उपनाम हैं। . उपाध्याय (संस्कृत - उप + अधि + इण घं‌) इस शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार की गई है- 'उपेत्य अधीयते अस्मात्‌' जिसके पास जाकर अध्ययन किया जाए, वह उपाध्याय होता है। उपाध्याय ब्राह्मणों के एक वर्ग की संज्ञा भी है। मनुस्मृति के अनुसार वेद के एक भाग एवं वेदांग को वृत्ति लेकर पढ़ानेवाले शिक्षक को उपाध्याय कहते थे। 'एकदेशं तु वेदस्य वेदांगान्यपि वा पुन:। योऽध्यापयति वृत्तयर्थ उपाध्याय: स उच्चते (मनु 2:141)। यह आचार्य की अधीनता में शिक्षण कार्य किया करता था। संभवत: एक आचार्य के अधीन दस उपाध्याय शिक्षण कार्य किया करते थे ('उपाध्यायान्‌ दशाचार्य: मनु 2,146)। याज्ञवल्क्य (1,35), वशिष्ठ (3,21) और विष्णु (28,2) के अनुसार भी वृत्ति लेकर पढ़ाना ब्राह्मणों के आदर्श के अनुरूप नहीं समझा जाता था, इसलिए संभवत: उपध्याय के संबंध में नीतिकार ने कहा है - 'उपाध्याश्च वैद्यश्च ऋतुकाले वरस्त्रिय:। सूतिका दूतिका नौका कार्यान्ते ते च शष्पवत्‌।' बौद्ध साहित्य में भी उपाध्याय (उपज्झाय) के संबंध में अनेक निर्देश उपलब्ध हैं। महावग्ग (1-31) के अनुसार उपसंपन्न भिक्षु को बौद्ध ग्रंथों की शिक्षा उपाध्याय द्वारा दी जाती थी। पढ़ने का प्रार्थनापत्र भी उसी की सेवा में प्रस्तुत किया जाता था। (महावग्ग 1.25.7)। इत्सिंग के विवरण से ज्ञात होता है कि जब उपासक प्र्व्राज्या लेता था, जब उपाध्याय के सम्मुख ही उसे श्रम की दीक्षा दी जाती थी। दीक्षाग्रहण के पश्चात्‌ ही उसे 'त्रिचीवर' भिक्षापात्र और निशीदान (जलपात्र) प्रदान करता था। उपसंपन्न भिक्षु को 'विनय' की शिक्षा उपाध्याय द्वारा ही दी जाती थी। केवल पुरुष ही नहीं, स्त्रियाँ भी उपाध्याय होती थीं। पतंजलि ने उपाध्याया की व्युत्पत्ति इस प्रकार की है-'उपेत्याधीयते अस्या: सा उपाध्याया।' उपाध्याय संस्था का विकास संभवत: इस प्रकार हुआ। धार्मिक संस्कार करने तथा धर्मतत्व का उपदेश देने का कार्य पहले कुल का मुख्य पुरुष वा कुलवृद्ध करता था। यही उपाध्याय होता था। प्राय: सब जातियों में यही पाया जाता है। भारतीय आर्यों में कुलपति ही उपाध्याय होता था। यहूदियों में 'अब्राहम आइजे' आदि कुलपति उपाध्याय का काम करते थे। अरब लोगों में शेख यह काम करता था। आज भी वह उस समाज का नेता तथा धार्मिक कृत्यों और मामलों में प्रमुख होता है। रोमन कैथोलिक और ग्रीक संप्रदाय में उपाध्याय का अधिकार मानने की प्रथा है। श्रेणी:शिक्षा श्रेणी:भारतीय संस्कृति श्रेणी:चित्र जोड़ें.

उपनाम और उपाध्याय के बीच समानता

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उपनाम और उपाध्याय के बीच तुलना

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संदर्भ

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