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उद्दीप्त उत्सर्जन

सूची उद्दीप्त उत्सर्जन

उद्दीप्त उत्सर्जन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक उत्तेजित इलेक्ट्रॉन (अथवा उत्तेजित आण्विक अवस्था) किसी निश्चित आवृति की विद्युतचुम्बकीय तरंग से अन्योन्य क्रिया के पश्चात इस क्षेत्र की समकक्ष ऊर्जा के किसी निम्न स्तर में चला जाता है। इस अवस्था में उत्सर्जित फोटोन की कला, आवृत्ति, ध्रुवण और दिशा आपतित फोटोन के समान होंगे। अतः यह स्वतः उत्सर्जन से भिन्न है जो बिना किसी बाहरी विद्युत क्षेत्र पर निर्भर नहीं होता। तथापि प्रक्रिया आण्विक अवशोषण के रूप में समतुल्य है जिसमें एक अवशोषित फोटोन की ऊर्जा समतुल्य कार्य करती है लेकिन विपरित संक्रमण के साथ: निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर की ओर। .

4 संबंधों: दिशा, ध्रुवण (विद्युतचुम्बकीय), आवृत्ति, कला (तरंग)

दिशा

हिन्दू धर्म के अनुसार मुख्य दिशायें चार हैं - पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण.

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ध्रुवण (विद्युतचुम्बकीय)

ध्रुवण (Polarization) अनुप्रस्थ तरंगों (जैसे, प्रकाश) का गुण है जो उनके दोलनों की दिशा (orientation) से सम्बन्धित है। ध्रुव का अर्थ है 'निश्चित'। ध्रुवित तरंग में किसी सीमित रूप में ही दोलन होते हैं जबकि अध्रुवित तरंग में सभी दिशाओं में समान रूप से दोलन होता है। किसी गैस या द्रव में गतिमान ध्वनि तरंगें ध्रुवण का गुण प्रदर्शित नहीं करतीं क्योंकि उनकी गति की दिशा और दोलन की दिशा एक ही होती है। .

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आवृत्ति

विभिन्न आवृतियों की तरंगें कोई आवृत घटना (बार-बार दोहराई जाने वाली घटना), इकाई समय में जितनी बार घटित होती है उसे उस घटना की आवृत्ति (frequency) कहते हैं। आवृति को किसी साइनाकार (sinusoidal) तरंग के कला (phase) परिवर्तन की दर के रूप में भी समझ सकते हैं। आवृति की इकाई हर्त्ज (साकल्स प्रति सेकण्ड) होती है। एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे आवर्त काल (Time Period) कहते हैं। आवर्त काल .

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कला (तरंग)

दो तरंगों के बीच कलान्तर किसी तरंग के सन्दर्भ में, कला (फेज) वह समयावधि या दूरी है जो उस तरंग के किसी सन्दर्भ बिन्दु के सापेक्ष अभिव्यक्त की गयी हो। किसी बिन्दु की कला से पता चलता है कि वह बिन्दु उस तरंग के ग्राफ में कहाँ स्थित होगी। प्रायः कला को उस तरंग के आवर्तकाल के अनुपात (अनुपात) के रूप में व्यक्त किया जाता है और प्रायः उस तरंग का वह बिन्दु सन्दर्भ के रूप में लिया जाता है जिस पर विस्थापन (या विद्युत क्षेत्र, या चुम्बकीय क्षेत्र या दाब) शून्य हो। तरंग के एक आवर्तकाल को ३६० डिग्री के तुल्य मानते हुए कला को प्रायः अंशों (डिग्री) में भी व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिये तरंग के किसी बिन्दु की कला ३० डिग्री होने का अर्थ है कि वह बिन्दु सन्दर्भ बिन्दु से ३०/३६० .

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